फटे कपड़ों में प्रैक्टिस करने को मजबूर रेसलर नीतू...फिर भी मन में है देश के लिए खेलने का जज्बा

10/6/2015 4:06:32 PM

रोहतक (दीपक भारद्वाज): नीतू की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं लगती। एक तो हरियाणा, उस पर लड़की, वह भी दलित तबके से। फिर शादीशुदा और दो जुड़वां बच्चों की मां। पति बेरोजगार, घर में खाने तक के लाले। जन्म से लेकर 13 बरस की उम्र में शादी होना, टूटने और फिर से एक बार घर बसाना और 14 साल की उम्र में जुडवां बच्चों की मां बनने तक कई मुश्किल पस्थितियों से भी पाला पड़ा। ऐसी भयंकर स्थितियों में प्रैक्टिस शुरू कर नीतू देश की बैस्ट महिला रेसलर्स में जगह बनाने में कामयाब रही है।

नीतू ने इसी साल केरल में हुए नैशनल गेम्स में कांस्य पदक जीता है। उन्होंने 2014 की सीनियर नैशनल चैंपियनशिप और रांची में हुई जूनियर नैशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते। वह ब्राजील में हुई वर्ल्ड जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। उनकी उपलब्धियां किसी करिश्मे की तरह हैं लेकिन उनकी मुश्किले पहाड़ जैसी हैं। खिलाड़ी के लिए जरूरी डाइट तो छोड़िए, उनके पास दूध पीने तक के लिए पैसे नहीं हैं।

कायदे में तो उनकी उपलब्धियों के लिहाज से उन्हें सरकारी नौकरी मिल जानी चाहिए थी पर अभी उन्हें पदक जीतने पर मिलने वाली पुरस्कार राशि तक का इंतजार है। नीतू अंतर्राष्ट्रीय खिलाडी है जिसने देश में अनेक प्रतियोगिताओं में मैडल हासिल किए और वर्ल्ड रेस्लिंग चैंपिनशिप में भाग लिया।

नीतू का जन्म 30 दिसंबर 1995 में भिवानी शहर में वेदकुमार के घर में हुआ। दलित और गरीब परिवार में पांच भाई-बहन के बीच मुश्किल से गुजारा होता था। गरीबी के कारण उसके माता-पिता ने 13 साल की उम्र में शादी कर दी और वह भी बाप की उम्र से भी ज्यादा उम्र के मंदबुद्धि व्यक्ति से। किसी कारण उसकी शादी टूट गई। एक महीने के बाद ही रोहतक जिले के बेडवा गांव में संजय के साथ उसकी फिर से शादी कर दी गई और चौदह साल की उम्र में ही नीतू ने दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। उसके मन में कुश्ती को लेकर एक अटूट लालसा थी जिसके चलते शादी के कई साल बाद कुश्ती में अपना भाग्य आजमाने लगी और साथ-साथ पढ़ाई भी जारी रखी।

नीतू ने पिछले साल 10वीं पास की और अब 11वीं में पढ़ रही है। मुश्किल पस्थितियों में भी नीतू ने हार नहीं मानी और प्रैक्टिस शुरू कर देश की बेस्ट महिला रेसलर्स में जगह बनाने में कामयाब रही। नीतू ने इसी साल केरल में हुए नैशनल गेम्स में कांस्य पदक जीता है। उन्होंने 2014 की सीनियर नैशनल चैंपियनशिप और रांची में हुई जूनियर नैशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते। वह ब्राजील में हुई वर्ल्ड जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी है।

नीतू आज भी गरीबी के कारण फटे जूतों और फटी प्रैक्टिस ड्रैस में अभ्यास कर रही है। नीतू दो साल से रोहतक में छोटूराम खेल स्टेडियम में मंदीप कोच के देखरेख में अभ्यास  कर रही है। नीतू की खाने की खुराक भी उसे नहीं मिलती। उसके कोच और अन्य खिलाडी मदद करते हैं। कोई उसे अपनी पुरानी ड्रेस दे देता है तो कोई थोड़ा बहुत घी दे देता है। नीतू ने कहा कि उसके पति ने उसका काफी साथ दिया और हर कदम में उसका हौसला बढ़ाया।

नीतू ने कहा कि जब उसने कोच को बताया तो उन्होंने मैरीकॉम का उदहारण दिया और प्रैक्टिस पर आने को कहा। वहीं नीतू के कोच का कहना है कि वह इतनी कठिनाइयों के बाद इतना कर रही वह बहुत ही बड़ी बात है। वह बहुत ही गरीब परिवार से है। उसे बहुत दिक्कत आती है। वह महम से रोहतक बस में आती है। उसने नेशनल गेम्स में मैडल जीते हैं और वर्ल्ड जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व किया है। अभी सरकार ने जो नई खेल नीति की घोषणा की हुई है वह भी लागू नहीं हुई है। पहले एकेडमी में उसे दो हजार रुपए मिलते थे वे भी अब नहीं मिल रहे है क्योंकि वह एकेडमी भी अब बंद है।