बाबा बंदा सिंह बहादुर के 302वें शहीदी दिवस पर हुआ महान गुरमत समागम

punjabkesari.in Sunday, Jun 10, 2018 - 11:47 AM (IST)

रोहतक: सिख सम्प्रदाय की तरफ से बाबा बंदा सिंह बहादुर के 302वें शहीदी पर्व के अवसर पर शनिवार को पुराना आई.टी.आई. मैदान स्थित शहीद मदन लाल ढींगरा कम्युनिटी सैंटर में महान गुरमत समागम का आयोजन किया गया। बंदई सम्प्रदाय के प्रमुख 10वें वंशज व वर्तमान में गद्दी नशीन बाबा बंदा सिंह बहादुर रियासी जम्मू-कश्मीर जतिंद्र पाल सोढी की सरपरस्ती में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर महामंडलेश्वर बाबा कपिलपुरी महाराज व बाबा कर्णपुरी महाराज ने भी संगत को अपना आशीर्वाद दिया। 

गुरमत समागम का शुभारम्भ गुरु की शब्द वाणी ने किया गया। इसके बाद अमृतसर से पधारे कथा वाचक भाई किशन सिंह ने अपनी मधुर आवाज में कथा का रसपान संगत को करवाया। उन्होंने कथा के दौरान बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवन पर प्रकाश डाला और आज की युवा पीढ़ी को उनके दिखाए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। वहीं, दिल्ली से आए रागी जत्था गुरबचन सिंह लाली, रागी जत्था मनप्रीत सिंह जगाधरी ने कीर्तन के माध्यम से ऐसा समा बांधा कि हर कोई वाहे गुरु को याद करने पर विवश हो गया। 

पूरी संगत भक्ति में लीन दिखाई दी। महान गुरमत समागम के दौरान गद्दी नशीन जतिंद्र पाल सोढी ने संगत को बाबा बंदा बहादुर के बारे में बताया। उनके द्वारा सिख समाज के लिए किए गए संघर्ष की गाथा का वर्णन करते हुए कहा कि वे पहले ऐसे सिख सेनापति हुए, जिन्होंने मुगलों के अजेय होने के भ्रम को तोड़ा था। उन्होंने छोटे साहबजादों की शहादत का बदला लिया और गुरु गोबिंद सिंह द्वारा संकल्पित प्रभुसत्ता सम्पन्न लोक राज्य की राजधानी लोहगढ़ में खालसा राज की नींव रखी। 

यही नहीं, उन्होंने गुरुनानक देव और गुरु गोबिंद सिंह के नाम से सिक्का और मोहरे जारी करके, निम्न वर्ग के लोगों को उच्च पद दिलाया। साथ ही हल वाहक किसान-मजदूरों को जमीन का मालिक बनाया। बाबा कपिलपुरी महाराज ने भी बाबा बंदा सिंह बहादुर की गौरव गाथा का वर्णन करते हुए कहा कि बंदा सिंह बहादुर ने अति प्राचीन जमींदारी प्रथा का अंत कर दिया था तथा कृषकों को बड़े-बड़े जागीरदारों और जमींदारों की दासता से मुक्त कर दिया था। उन्होंने जो समाज के लिए, सिख सम्प्रदाय के लिए किया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। बाबा कर्णपुरी महाराज ने भी बाबा बंदा सिंह बहादुर को नमन किया और बच्चों को उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया। 

बाबा बंदा सिंह बहादुर सिख सम्प्रदाय के सदस्य प्रीमत भयाना ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यह महान गुरमत समागम का आयोजन किया गया, जिसमें बाबा बंदा बहादुर के साहस व उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने के लिए युवाओं को प्रेरित किया जाता है। इसके साथ ही संगत ने गुरु ग्रंथ साहिब के आगे माथा टेका और घर-परिवार की सुख शांति की कामना की। आंधी-बारिश के कारण कुछ देरी से शुरू हुए गुरमत समागम में सैंकड़ों की संख्या में संगत पहुंची। समागम के दौरान गुरु का लंगर भी छकाया गया, जिसमें संगत ने प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर सुरजन सिंह चावला प्रधान, वेद मक्कड़, रामसिंह हंस, राम लुभाया परुथी व जी.डी जावा सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Deepak Paul

static