अधिकारियों की लापरवाही से धूल फांक रही दर्जनों बसें

4/24/2019 2:15:47 PM

रोहतक(संजीव): रोडवेज विभाग के हालात पिछले काफी समय से काफी दयनीय बने हुए हैं। कारण, हर माह एक विभाग की एक बस कंडम हो रही है। तय किलोमीटर और वर्ष के हिसाब से कंडम बसों को बस बेड़े से बाहर कर वर्कशॉप में धूल फांकने के लिए छोड़ दिया जाता है। हालांकि इनमें से कई बसें ऐसी हालत में हैं, जिन्हें रिपेयर किया जा सकता है। लेकिन विभाग के पास पर्याप्त स्टॉफ व संसाधन न होने के चलते उनकी सुध कोई नहीं लेता।

दूसरी तरफ विभाग की ओर से नई बसें भी नहीं खरीदी जा रही हैं। कुल मिलाकर अधिकारी और सरकार की लापरवाही का खामियाजा जिले की जनता को उठाना पड़ रहा है। कर्मचारी यूनियन बस बेड़े में 10 हजार बसों के बढ़ाने की मांग कर सरकार से कर चुकी है। रोडवेज कर्मचारी यूनियन सरकार से रोडवेज के बेड़े में नई बसें शामिल करने के लिए पिछले काफी समय से संघर्ष कर रही है लेकिन सरकार ऐसा करने की बजाय निजी बसों को परमिट देने पर तुली है।

सरकार के इस फैसले के विरोध में गत वर्ष अक्तूबर माह में रोडवेज कर्मचारियों ने लगातार 17 दिन हड़ताल की थी। सूत्रों का कहना है कि नियमानुसार बेड़े में हर वर्ष 180 नई बसें शामिल करने की जरूरत है लेकिन हर वर्ष तो दूर की बात, यहां तो 5-5 साल तक नई बसों की खरीद नहीं होती। कंडम बसें ही सड़क पर धकेली जा रहीं हैं। ऐसे में चलती बस का स्टीयरिंग अचानक जाम हो जाए या उसकी कमानी टूट जाए, कहा नहीं जा सकता।

यह आशंका भी है कि कहीं बस के ब्रेक फेल न हो जाए और कोई बड़ा हादसा हो जाए। कुल मिलाकर बसों का लगातार कंडम व जर्जर होने का सिलसिला जारी है। इससे विभाग को तो भारी नुक्सान उठाना पड़ रहा है, साथ ही यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। नई बसें नहीं मिलने के कारण कई मार्गों पर बसों की कमी बढ़ती जा रही है। 

6 साल तक ही चल सकती है बस
परिवहन विभाग के तय नियमानुसार एक बस अधिकतम 6 साल या 8 लाख किलोमीटर तक चल सकती है। इसके बाद बस की नीलामी का प्रावधान है, मगर यहां ऐसा नहीं हो रहा। जिले में इस समय करीब 187 बसें हैं, जबकि जरूरत 500 बसों की है। यहां के कर्मचारी नेताओं की मानें तो यहां बसों की खरीद तय प्रक्रिया के तहत नहीं हो रही। एक साथ नई बसों की खरीद होगी तो ये सभी बसें एक समय पर रिटायर हो जाएंगी। यदि हर माह खरीद होती रहे तो विभाग आदर्श-स्थिति तक जा सकता है।

क्यों हो रही बसें कंडम
जिले का कोई भी मार्ग ऐसा नहीं हैं जो जर्जर न हो। यही कारण है कि इन मार्गों पर चलने वाली बसें समय से पूर्व ही जर्जर व कंडम हो रही हैं। ऐसी ही स्थिति प्राइवेट बसों के साथ है। जिले के लोकल रूटों के हालात और भी दयनीय हैं। दूसरा बस चालक भी लापरवाही बरतते हैं। 

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