हरियाणा में दंगा पीड़ितों के जख्मों पर: मरहम लगाने आएंगे राहुल

5/1/2016 2:02:07 PM

चंडीगढ़: जाट आरक्षण आंदोलन के बहाने हरियाणा की भाजपा सरकार प्रदेश कांग्रेस की घेराबंदी में जुटी है। लेकिन कांग्रेस इतनी जल्दी झुकने के मूड में नहीं दिख रही। सरकार को जवाब देने के लिए पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व मैदान में उतरने की तैयारी में है। दंगा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी जल्द ही हरियाणा का दौरा करेंगे।

यह जानकारी उन्होंने गत दिवस नई दिल्ली में 12 तुगलक रोड स्थित अपने निवास पर हरियाणा के चुङ्क्षनदा पत्रकारों के साथ अनौपचारिक चर्चा के दौरान दी। वहीं, जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए उपद्रव और ङ्क्षहसा के लिए राहुल ने सीधे तौर पर भाजपा और आर.एस.एस. को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने तो यहां तक कह दिया हरियाणा में हुए दंगे भाजपा की राजनीतिक साजिश और ‘फूट डालो, राज करो’ की नीति का परिणाम थे।

उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात में भी भाजपा यह नीति लागू कर चुकी है। राहुल ने कहा कि दंगों के बूते सत्ता हथियाने और खुद को भगवान साबित करने की कोशिश में जुटे पी.एम. नरेंद्र मोदी और आर.एस.एस. प्रमुख मोहन भागवत की साजिशों से अब पर्दा उठ चुका है। इस दौरान राहुल के साथ कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन रणदीप सिंह सुर्जेवाला भी मौजूद रहे। हरियाणा में हुए दंगों पर मुखर होकर बोलने के बजाय 1-2 ट्वीट से ही काम चलाने के सवाल पर राहुल ने कहा कि हमने मजबूती से आवाज उठाई है।

प्रदेश के लोगों को जाट और गैर जाट के नाम पर बांटने की भाजपा की साजिश कांग्रेस ही बेनकाब करेगी। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर लगे आरोप नकारते हुए राहुल ने कहा कि कांग्रेस के 10 साल के राज में दंगों के बजाय सिर्फ विकास हुआ था। वहीं, भाजपा के डेढ़ साल में ही दंगे हो गए। इसकी वजह समझने की जरूरत है। राहुल ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनके परिवार को बदनाम करने के लिए समय-समय पर तरह-तरह के बेबुनियाद आरोप लगाए जाते रहते हैं। भावुक अंदाज में उन्होंने कहा कि मैं पहले इंसान हूं। फिर हिंदुस्तानी और आखिर में कांग्रेसी।

कांग्रेस एक परिवार द्वारा ही चलाए जाने के आरोपों को नकारते हुए उन्होंने कहा कि मेरे परिवार में तो दो से ज्यादा पद नहीं हैं। पद की लालसा ही होती तो मैं कब का प्रधानमंत्री बन गया होता। साथ ही राहुल ने संकेत दिए कि पार्टी में वह सर्वोच्च जिम्मेदारी से भाग नहीं रहे हैं। जल्द ही वह अध्यक्ष भी बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर मुझे जिम्मेदारी से बचना होता तो 2014 के लोकसभा चुनाव में ही बचता। लेकिन मैंने चुनौती का सामना किया।