हरियाणा सरकार का HC को दावा, मुरथल गैंगरेप के मिले सबूत नहीं होंगे सार्वजनिक

10/23/2016 6:22:08 AM

चंडीगढ़: फरवरी में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान मुरथल गैंगरेप की घटना पर हरियाणा सरकार ने पंजाब-हरियाणा HC को दावा किया है कि इस मामले से जुड़े उन्हें कई अहम सबूत मिले हैं। लेकिन उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। सरकार उन सबूतों को केवल हाईकोर्ट से ही साझा करेगी।

हरियाणा सरकार ने सिर्फ इस बात पर ध्यान दिया है कि इन सबूतों को सार्वजनिक रूप में ओपन कोर्ट में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि कई लोगों ने अपनी पहचान छिपाए रखने की शर्त पर ही सरकार को यह सबूत दिए हैं।  

हरियाणा सरकार का कहना है कि यह बेहद संवेदनशील मामला है, इसलिए जुटाए गए सबूत केवल कोर्ट से ही साझा किए जा सकते हैं। सरकार ने मुरथल में मिले महिलाओं के अंडर गारमेंट पर पाए गए वीर्य के बारे में फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट का हवाला भी दिया और बताया कि अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट में सीलबंद रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। एमिकस क्यूरी अनुपम गुप्ता ने कोर्ट में मांग की कि यह सबूत उनसे साझा किए जाने चाहिए।

उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार शायद इस डर से सबूत उनसे छिपा रही है कि कहीं सबूतों की पोल न खुल जाए। एमिकस क्यूरी के एतराज के बावजूद सरकार इस बात पर अड़ी रही कि सबूत सिर्फ कोर्ट को ही दिए जाएंगे और कोर्ट की ओर से सबूत देखने के बाद यदि उचित हो तो कोर्ट इन्हें एमिकस क्यूरी को सौंप सकती है। इस पर अनुपम गुप्ता ने कहा कि हरियाणा सरकार शुरू से ही उन्हें इस केस से अलग करना चाहती है और यही कारण है कि अब सबूत छिपाए जा रहे हैं। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 3 दिसंबर तय करते हुए हरियाणा सरकार को अगली सुनवाई पर सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए।

हरियाणा सरकार ने गत हाईकोर्ट में जानकारी दी कि आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा की घटनाओं को लेकर अब तक 2105 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 565 चालान कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं। सरकार ने बताया कि 173 बिना गिरफ्तारी वाले चालान हैं। 2066 लोग ऐसे हैं, जिनके खिलाफ चालान बिना गिरफ्तारी पेश किया गया है। इसके साथ ही 38 मामले ऐसे हैं, जिनमें अभी जांच चल रही है।