मेनका गांधी की संस्था को चुकाने पड़े ऊंट मालिकों को 20 लाख

6/10/2018 1:35:07 PM

झज्जर(संजीत): साल 2012 के जाते-जाते झज्जर पुलिस के सहयोग से मेनका गांधी की संस्था द्वारा पकड़े गए ऊंटों के मामले को लेकर चल रहे अदालती मामले में सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन अपने पांव पीछे खींच रहा है। मामले को जनहित में बताकर वापस लेने की तैयारी की जा रही है। हालांकि जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में दी गई याचिका को अदालत यह कहते हुए खारिज कर चुकी है कि यह मामला जनहित की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। फिलहाल प्रशासन की याचिका पर अदालत ने 5 जुलाई की तिथि सुनवाई के लिए निर्धारित की है।

यह था मामला
28 दिसम्बर 2012 को मेनका गांधी की संस्था पी.एफ.ए. की रेङ्क्षडग टीम के कुछ सदस्यों ने झज्जर-कोसली मार्ग पर 68 ऊंटों को पकड़ा था। बाद में इन्हीं ऊंटों को स्थानीय पुलिस ने पशु क्रूरता अधिनियम के साथ भादस की धारा-420, 467 व 120 बी के तहत यह मामला दर्ज करते हुए ऊंट मालिकों को गिरफ्तार कर न सिर्फ जेल भेज दिया बल्कि पकड़े गए ऊंटों को पी.एफ.ए. के उक्त सदस्यों को भी सौंप दिया। लेकिन बाद में मामले से जमानत मिलने के बाद ऊंटों की बरामदगी के लिए अदालत में याचिका डाली। 

अदालत से मिले आदेशों के बाद जब पुलिस असली ऊंट मालिकों के साथ ऊंटों की बरामदगी के लिए पी.एफ.ए. के दिल्ली कार्यालय पहुंची तो वहां उनसे ऊंटों के खाने-पीने के खर्च के नाम पर 24 लाख रुपए से ज्यादा की मांग की। जिसके बाद एक बार फिर से ऊंट मालिक अदालत की शरण में पहुंचे, तो अदालत ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए पुलिस अधीक्षक को नोटिस देते हुए ऊंट सौंपने के निर्देश दिए लेकिन बात एक बार फिर से ऊंटों को रखने के खर्च पर अटक गई। बार-बार हो रही अदालती आदेशों की अवहेलना से खफा तत्कालीन सी.जे.एम. कुमुद गुगनानी ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को पत्र लिखते हुए पूरे मामले की सी.बी.आई. जांच कराने की मांग करते हुए पुलिस व संस्था पर मिली भगत के आरोप लगाए। 
 

जिसके बाद उच्च न्यायालय ने सरकार को आदेश देते हुए ऊंट मालिकों को उनकी कीमत देने तथा आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर ऊंटों की कीमत उनसे वसूल करने के निर्देश दिए। मामले के अदालत में विचाराधीन व मामले के बढ़ते दबाव के कारण संस्था की ओर से जुलाई 2013 में ऊंट मालिकों को 20 लाख रुपए दे दिए गए। इसी बीच पुलिस ने भी पी.एफ.ए. के इन आरोपी सदस्यों के खिलाफ अमानत में खयानत करने सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया और इन सभी को जेल भी भेज दिया गया।

कौन सा जनहित जुड़ा है मामले से 
जिस वक्त मामला दर्ज हुआ था केन्द्र व प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। इसी बीच दोनों के स्थान पर भाजपा सरकारों ने ले ली और उसके बाद से ही मामले को वापस लेने की कोशिशें शुरू कर दी गई। माना जा रहा है सबके पीछे केन्द्र सरकार में मंत्री मेनका गांधी का दबाव काम कर रहा है और मामले को जनहित से जुड़ा बताकर वापस लेने की तैयारी की जा रही है। संस्था द्वारा जिला उपायुक्त को मामले को जनहित से जुड़ा बता कर वापस लेने के लिए लिखे गए पत्र के बाद जिला उपायुक्त ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखा। जिसके जवाब में ए.सी.एस. ने प्रशासन को पत्र भेजकर बताया कि सरकार के निर्णय अनुसार मामला वापस ले लिया जाए। जबकि पत्र में इस मामले को लेकर कैबिनेट की बैठक का कोई जिक्र नहीं किया गया है।

Deepak Paul