साइबर क्राइम का शिकार हो रहे लोग, न पैसा मिल रहा वापस, न पकड़े जा रहे शातिर

6/25/2019 1:35:02 PM

रोहतक (किन्हा): बदलते समय व बैंकिंग संसाधनों के डिजीटलाइजेशन होने से खाताधारकों को बहुत सारी सहूलियतें मिली हैं परंतु इन्हीं सुविधाओं के साथ साइबर अपराधों में हुई वृद्धि ने बैंकों व पुलिस के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। हर दिन कहीं न कहीं खाताधारक साइबर अपराधियों का शिकार हो रहे हैं।

बैंकों में भी जमा धन सुरक्षित न रहने से लोग हताश हैं। पुलिस केवल मुकद्दमा पंजीकृत कर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रही है। अधिकांश मामलों में देखा गया है कि पुलिस मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई करना भूल जाती है। ऐसे मामलों में सीनियर अधिकारी भी तब तक संज्ञान नहीं लेते जब तक मामला हाई प्रोफाइल न हो, वहीं बैंक भी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेता है। अधिकांश मामलों में देखा गया है कि न तो ग्राहकों के खाते में पैसे वापस आते हैं और न ही पुलिस शातिर अपराधियों को गिरफ्तार करती है। 

कई तरह से करते हैं फ्राड 
साइबर अपराधियों के पास खाते में सेंध लगाने के कई तरीके हैं। एक साधारण तरीका यह है कि शातिर बैंक अधिकारी बनकर ग्राहकों को फोन करते हैं। इसके बाद उनसे ए.टी.एम. कार्ड नंबर, पिन पूछकर पैसे निकाल लेते हैं।  हाल के दिनों में अपराधियों ने ग्राहकों से आधार नंबर पूछना भी शुरू किया है। जैसे ही ग्राहक आधार नंबर बताता है उनके खाते से ऑनलाइन पैसे का ट्रांसफर हो जाता है, वहीं तीसरा तरीका यह है कि अपराधी ग्राहकों के ए.टी.एम. का क्लोन तैयार कर दूसरा ए.टी.एम. तैयार करता है और पैसे की निकासी कर लेता है।

लूटने वाले करते हैं फर्जी कॉल्स
लोगों को मोबाइल पर अक्सर फर्जी कॉल्स आते हैं। फर्जी कॉल्स करने वाला खुद को रिजर्व बैंक या राष्ट्रीयकृत बैंक का प्रतिनिधि बताता है। बैंक खाते के बारे में पूछताछ करने के बाद ए.टी.एम. नंबर व पासवर्ड भी पूछ लेता है। लोग गलती से ए.टी.एम. व पासवर्ड की जानकारी सांझा कर लेते हैं और चंद मिनटों में ही बैंक खाते से रकम कम हो जाती है। लोगों को हर दिन इस तरह के फर्जी कॉल्स आते हैं। बैंक ए.टी.एम. संबंधी जानकारी सांझा नहीं करने की सलाह देते हैं।

Isha