सियासी राजधानी में सियासत की ठंडी चाल

7/21/2019 1:28:28 PM

रोहतक(अमरदीप): विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश की सियासी राजधानी रोहतक में अब तक भी चुनावों को लेकर पाॢटयों द्वारा एक दूसरे पर दागे जाने वाले सियासी तीर ठंडे पड़े हैं। एक तरफ जहां भाजपा धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है, वहीं कांग्रेस, इनैलो, जजपा समेत अन्य विपक्षी दल अब तक भी मैदान में नहीं उतरे हैं। रोहतक के इतिहास में ऐसा पहली दफा लोगों की जुबां से सुनने को मिल रहा है कि जब चुनाव के 2 माह ही शेष बचे हों और राजनीतिक धुरंधर मैदान से दूर हैं।
बात करें अगर भारतीय जनता पार्टी की तो वह लोकसभा में रोहतक सीट को जीतने के बाद बुलंद हौसलों के साथ आगे बढ़ रही है। स्थानीय नेताओं से लेकर संगठन तक छोटी-छोटी मीटिंग कर रहा है, वहीं मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला भी रोहतक रोहतक में बैठकें कर चुके हैं। 

दूसरी तरफ, लोकसभा के रण में हारने के बाद कांग्रेसी नेताओं ने न तो स्थानीय स्तर पर कोई मीटिंग की और न ही ऐसी कोई आगामी योजना दिखाई दे रही है जिससे पार्टी को ऑक्सीजन मिल सके। यह स्थिति तबहै जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का रोहतक गढ़ माना जाता है और वह प्रदेश मेें करीब 10 वर्ष तक सत्तासीन रहकर मुख्यमंत्री की कमान संभाल चुके हैं।

भले ही प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेकर कांग्रेस में गुटबाजी जारी हो लेकिन स्थानीय स्तर पर ठंडी पड़ी सियासत को देखकर कांग्रेस पार्टी के अन्य पदों पर तैनात नेताओं के हौसले टूट रहे हैं, वहीं इनैलो की राजनीति तो तभी कमजोर पड़ गई थी जब प्रदेश महासचिव सतीश नांदल ने पद से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली थी। इसके बाद से ऐसी स्थिति बन गई कि मानो इनैलो वैंटीलेटर पर चली गई हो, वहीं युवा ब्रिगेड जेजेपी भी तकरीबन मैदान से आऊट ही अब तक नजर आ रही है। आम आदमी पार्टी के नवीन जयङ्क्षहद खुद ही लोगों के बीच पहुंच रहे हैं लेकिन उन्होंने भी अब तक पार्टी में ऐसा कोई नेता नहीं जोड़ा जो पार्टी को आगे बढ़ाने में जान फूंक सके।

Isha