मामा की मौत के बाद नशे को ‘मात’ देने निकला अमनदीप

9/30/2019 1:39:00 PM

सिरसा (भारद्वाज): बेटी का ब्याह देख नहीं पाया...बेटे का भी ब्याह सिर पर आया...रूठे बेटे को मनाऊं कैसे...मैं घर जाऊं कैसे? यह किसी शायर की रचना का हिस्सा नहीं अपितु वो कड़वी हकीकत है जिसका अहसास सिर्फ अमनदीप को है। अमनदीप पिछले 11 सालों से अपने घर-परिवार से दूर है और उसे अपने परिवार से बिछुडऩे का गम नहीं अपितु किसी दूसरे के घर में मातम न पसरे इसकी चिंता जरूर है। 

इसी चिंता में वह साइकिल पर ऐसा चढ़ा कि लाखों मील पार करने के बाद आज भी उसका सफर जारी है। जी, हम बता दें कि दरअसल करीब 60 साल के अमनदीप सिंह खालसा यूं तो बेंगलुरु के रहने वाले हैं मगर उन्होंने नशे के खिलाफ एक ऐसी मुहिम छेड़ी हुई है जिसके तहत उनकी साइकिल का पहिया राज्य दर राजय होते हुए सिरसा तक पहुंचा है। साइकिल पर सवार होकर नशे के खिलाफ भारत भ्रमण पर निकले अमनदीप भी इसकी खास वजह बताते हैं।

गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करवाने वाले इस अमनदीप की कहानी में ऐसे पहलू हैं जिसे जानने के बाद हर कोई उनके इस प्रयास की सराहना किए बैगर नहीं रहता। अमनदीप का यह सफर अब आखिरी पड़ाव में है और इसके बाद उनका रुख अपने घर की ओर होगा मगर एक ङ्क्षचता यह जरूर है कि बेटा जो रूठ गया है तो उसे मनाएं तो कैसे?

4000 को लोगों से छुड़वा चुके नश
अमनदीप सिंह खालसा ने बताया कि तब से लेकर अब तक वे 26 राज्यों में अपनी साइकिल का पहिया घुमा चुके हैं और इसके तहत 2 लाख 35 हजार किलोमीटर का सफर भी तय कर लिया गया है। देश भर में 35 हजार स्कूल-कालेजों और 50 हजार गांवों में उनकी साइकिल पहुंच चुकी है। इस सफर के दौरान 8 साइकिलें खत्म भी हो चुकी हैं और अब वे अपने सफर के आखिरी पड़ाव में 9वीं नई साइकिल पर सवार हैं।

खास बात यह है कि नशे के खिलाफ चलाई इस मुहिम के तहत 4 हजार लोगों को नशा छुड़वा भी चुके हैं। अमनदीप का कहना है कि भारत भ्रमण के दौरान जब वे पंजाब पहुंचे तो उन्हें काफी दुख हुआ। वे पंजाब में 3 साल तक रहे और इस दौरान उन्होंने पंजाब के 12,937 गांवों में सफर किया लेकिन वहां नशे ने काफी जड़ें जमाई हुई हैं। यहां लोगों को जागरूक करते वक्त उन्हें काफी दिक्कतें आईं मगर उनकी कोशिशों के परिणाम जरूर सामने आएंगे। 

इसलिए नहीं पहुंच पाए बेटी की शादी में
अमनदीप  द्वारा साइकिल पर किए गए इतने लंबे सफर के कारण उनका गिनीज बुक ऑफ द रिकार्ड में नाम शुमार हो गया। इसके लिए अमरीका की ओर से उन्हें विशेष अवार्ड भी प्रदान किया जाएगा मगर अमनदीप कहते हैं कि उन्हें अवार्ड से ज्यादा खुशी इस बात की है कि अब तक वे 4 हजार लोगों के जीवन में खुशहाली ला चुके हैं। अमनदीप ने बताया कि उनके पास लैपटॉप व अन्य साहित्यक सामग्री है जिसके मार्फत वे नशे से मुक्ति वाली दवाई खुद बनाकर नशेडिय़ों को नि:शुल्क देते हैं।

साथ ही विद्यार्थियों को लैपटॉप के जरिए ऐसी फुटेज अथवा फिल्म दिखाकर नशे से दूर करने के लिए प्रेरित करते हैं जो नशे पर आधारित फिल्में बनाई गई हैं। वे अपने सफर के दौरान कोलकाता थे और तब घर से मैसेज आया था कि बेटी का ब्याह है मगर मजबूरी थी कि वे नहीं जा सके। अब इस पड़ाव के दौरान वे साइकिल पर सवार होकर गुजरात में बेटी के ससुराल गए और उससे मिलकर आए हैं, लेकिन अब अगले 3 माह में बेटे की भी शादी है तो उम्मीद है कि सफर पूरा हो जाएगा और मकसद भी, इसके बाद वे घर जाकर नाराज हुए परिवारवालों को मना लेंगे। 

Isha