राजस्थान पलायन कर रहे हरियाणा के कॉटन कारखानेदार

9/22/2018 12:04:52 PM

सिरसा(सेतिया): राजस्थान और पंजाब की तुलना में हरियाणा में कॉटन पर अधिक मार्कीट फीस ने किसानों और कॉटन कारखानेदारों की कमर तोड़ दी है। ऐसे में कॉटन कारखानेदार यहां से राजस्थान पलायन करने को विवश हैं। हरियाणा से अब एक दर्जन से अधिक कॉटन कारखानेदार पलायन कर चुके हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है। अकेले सिरसा जिला से करीब 4 बड़े कारोबारियों ने राजस्थान में कॉटन कारखाने स्थापित किए हैं। हरियाणा की कृषि नीति का यह एक बड़ा छेद है कि हर साल यहां का 7 से 10 लाख क्विंटल  नरमा पड़ोसी राज्यों में बिकता है। ऐसे में हर सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुक्सान झेलना पड़ता है। 

दरअसल, प्रत्येक राज्य में फसलों पर मार्कीट फीस वसूलने का प्रावधान है। इस समय हरियाणा में नरमे पर कुल फीस 2 रुपए 80 पैसे प्रति क्विंटल है। जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब में मार्कीट फीस 2 फीसदी, राजस्थान में 1.60 फीसदी, गुजरात में 50 पैसे है। हरियाणा में अब यह फीस 2.80 है। 2010-11 में तत्कालीन हुड्डा सरकार की ओर से मार्कीट फीस 4 प्रतिशत से घटाकर 1.60 प्रतिशत की गई थी। 1 अगस्त 2016 को फिर से मार्कीट फीस 2.80 प्रतिशत कर दिया गया। ऐसे में हर वर्ष मार्कीट फीस की एवज में किसानों को करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। 

गौरतलब है कि इस बार प्रदेश में इस बार करीब साढ़े 6 लाख हैक्टेयर में जबकि सिरसा में सर्वाधिक 1 लाख 85 हजार हैक्टेयर में नरमा-कपास की काश्त की गई है। हर वर्ष राज्य में औसतन 25 लाख गांठों का उत्पादन होता है। प्रति गांठ पर मार्कीट फीस बढऩे से किसानों को 300 रुपए की चपत लग रही है। ऐसे में किसानों पर 75 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ गया है। सरकार की ओर से मार्कीट फीस बढ़ाने पर कारखानेदार अपने उद्योग चलाने में समर्थ नहीं है। ऐसे में यहां के कारखानेदार अब राजस्थान का रुख कर रहे हैं। 

हरियाणा कॉटन जिनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील मित्तल बताते हैं कि इस नीति से कई तरह के नुक्सान हैं। अधिक फीस होने के चलते प्रति किं्वटल किसानों पर करीब 100 रुपए का बोझ पड़ रहा है। ऐसे में किसान साथ लगते इलाकों में फसल बेचते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि चौपटा इलाके के गांव राजस्थान से सटे हैं। वे बताते हैं कि पिछली बार चौपटा बैल्ट में ही करीब डेढ़ लाख किं्वटल नरमा राजस्थान में बेचा गया। इस बार यह आंकड़ा अधिक रहने की संभावना है। मित्तल ने स्वयं अभी हाल में राजस्थान के बहरोड़ में कॉटन फैक्टरी लगाई है। वहां फैक्टरी लगाने की वजह भी हरियाणा में अधिक मार्कीट फीस होना है।

सिरसा में हैं अधिक फैक्टरियां
दरअसल, हरियाणा देश का प्रमुख कपास उत्पादक राज्य है। इस लिहाज से प्रदेश 8वें नम्बर पर है। हरियाणा में हर साल करीब 25 लाख गांठों का उत्पादन होता है। इस समय हरियाणा के सिरसा जिला में 38, आदमपुर में करीब 10, फतेहाबाद में 6 फैक्टरियों के अलावा नरवाना, उकलाना, जींद, कलायत आदि हिस्सों में कॉटन जिङ्क्षनग फैक्टरियां हैं। गहरी पैठ से देखें तो राज्य में कॉटन संबंधी उद्योग की प्रबल संभावनाएं हैं। पर अधिक मार्कीट फीस व उत्तम उद्योग नीति न होने के चलते पहले एक-एक करके स्पिङ्क्षनग मिल सिमट गईं और अब जिङ्क्षनग कारखानों पर अधिक मार्कीट फीस का खतरा मंडरा रहा है।
 

Deepak Paul