किराए के लाइसैंस पर दवाइयां बेचने का कारोबार जोरों पर, सुस्ती की चादर तान सोया ड्रग विभाग

7/14/2016 2:21:05 PM

सिरसा: नियम के मुताबिक कैमिस्ट की दुकान चलाने के लिए व्यक्ति का फार्मासिस्ट होना जरूरी है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिला में अधिकतर मैडीकल स्टोर बिना फार्मासिस्ट के चलाए जा रहे हैं। 
 
 
फार्मासिस्ट का लाइसैंस किराए पर लेकर अयोग्य लोगों द्वारा दवाइयां बेचकर जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जिला में किराए के लाइसैंस पर दवाइयां बेची जा रही है और ड्रग विभाग लंबी तानकर सोया हुआ है। ड्रग विभाग की ओर से इस दिशा में अभी तक कार्रवाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। अगर कोई ‘अनाड़ी’ दवा विक्रेता किसी को गलत दवा दें, जिसके सेवन से उसकी जान पर बन आए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जाहिर सी बात है कि सारा खेल आपसी रजामंदी से चल रहा है, जिसका खमियाजा आमजन को भुगतना पड़ सकता है। 
 
जिला में करीब 1,250 मैडीकल स्टोर
जानकारी के मुताबिक जिला में अंग्रेजी दवाइयों की करीब साढ़े 1,200 दुकानें है। इनमें से अधिकतर दवा विक्रेता ऐसे है जिनके पास दवाइयां बेचने का लाइसैंस तो है लेकिन ये लाइसैंस खुद उनका नहीं बल्कि उस फार्मासिस्ट का है।  जो वर्तमान में दवा बेचने का कार्य नहीं करता। इसके अलावा कुछ दवा विक्रेता ऐसे भी हैं जो लाइसैंस धारक फार्मासिस्ट को ढूंढते हैं। 
 
 
कायदे-नियम सूली पर
जिला में तमाम नियम कायदों की जैसे हवा निकाल दी गई है। कुछ दवा विक्रेता ही ऐसे हैं जो विभाग के नियम कायदों से सरोकार रखते है। अधिकतर दवा विक्रेताओं ने किराए पर फार्मासिस्ट का लाइसैंस लेकर नियमों की कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास किया है, लेकिन दवा बेचने का व्यवहारिक ज्ञान न होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
 
 
क्या कहता है नियम
नियम कहता है कि दवाइयों की दुकान पर फार्मासिस्ट का होना बेहद जरूरी है, ताकि मरीज को दवा देते समय किसी तरह की लापरवाही न हो। इसके साथ दवाइयों के बिल पर फार्मासिस्ट के हस्ताक्षर भी होने चाहिए।