सावधान! सड़कों पर दौड़ रहे मौत के दूत, खतरा बने बिना रिफ्लैक्टर भारी वाहन

12/17/2018 4:50:25 PM

सिरसा(माहेश्वरी): सर्द मौसम में अब धुंध पडऩी शुरू हो गई है। रात के वक्त कोहरे के बीच सफर खतरे से खाली नहीं। खतरा उन वाहनों से है जो नियमों और लोगों की जान की परवाह किए बगैर सड़कों पर सरपट दौड़ते हैं। बिना रिफ्लैक्टर लगे ये भारी वाहन सड़कों पर मौत का दूत बनकर दौड़ रहे हैं। खासतौर से ट्रैक्टर- ट्रालियां। धुंध के मौसम में सबसे ज्यादा हादसे इन ट्रैक्टर-ट्रालियों की वजह से होते हैं। इसके बावजूद इनकी रफ्तार बदस्तूर जारी है। इनके मालिकों को न तो यातायात नियमों की कोई परवाह है और न ही सुरक्षा से कोई सरोकार।

रिफ्लैक्टर से इतर ये वाहन ओवरलोड भी होते हैं। बस जितना जी आया लाद लिया और हो गए सड़कों पर सवार। न तो वेट का कोई मापदंड, न ही हाइट का। हर दिन शहर से सैंकड़ों ट्रालियां आवागमन करती हैं। ट्रालियों में क्षमता से अधिक वजन भर कर सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। हालांकि ट्रैफिक पुलिस, रोड सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन व विभिन्न क्लबों की ओर से समय-समय पर इन वाहनों पर रिफलैक्टर लगाए जाते हैं। फिर भी ऐसी अनगिनत ट्रैक्टर-ट्रालियां सड़कों पर दौड़ रही हैं, जिनके रिफ्लैक्टर नहीं लगे हुए। 

सबक लेने को तैयार नहीं प्रशासन
सड़कें सिकुड़ रही हैं और वाहनों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। ओवरलोडिड वाहनों के कारण सड़कों पर जाम की स्थिति भी अक्सर बनी रहती है। अधिकांश ट्रालियों से रिफ्लैक्टर तक गायब हैं और यह ट्रैक्टर-ट्रालियां रात के अंधेरे में अधिक दौड़ती हैं। ट्रालियों पर रिफ्लैक्टर न होने के कारण कोहरे के सीजन में बड़े हादसे की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। ऐसा भी नहीं है कि पहले हादसा न हुआ है। मगर प्रशासन सबक लेने को तैयार नहीं। इस दिशा में बरती जा रही गंभीर लापरवाही किसी भी पल भीषण सड़क दुर्घटना का कारण बन सकती है। लोगों का कहना है कि ओवरलोडिड वाहनों पर शिकंजा कसा जाना चाहिए। ओवरलोडिड वाहनों के कारण हादसे होते रहते हैं। हालांकि रास्तों पर कई जगह पुलिस थाने, नाके व चौकियां भी हैं। बावजूद इसके इन ओवरलोडिड वाहनों पर कोई शिकंजा नहीं है। 

धड़ल्ले से हो रहा कमर्शियल यूज
ट्रालियों में जितना जी चाहे उतना वजन लादा जा रहा है। ट्रालियां मौत का दूत बनकर सड़कों पर दौड़ रही हैं। अब सड़कों पर हालात ऐसे हैं कि इन ओवरलोडिड ट्रालियों को देख कोई भी दांतों तले उंगली दबाए बिना नहीं रह सकता। दूसरी तरफ एग्रीकल्चर पर्पज के लिए प्रयोग की अनुमति लेकर ट्रैक्टर-ट्रालियों का कमर्शियल यूज धड़ल्ले से हो रहा है। वाहन मालिकों द्वारा नियमों की जमकर खिल्ली उड़ाई जा रही है और प्रशासन मौनी बाबा बना हुआ है। 

नाबालिग भी दौड़ाते हैं भारी वाहन
कायदे-कानूनों को ताक पर रखकर ट्रैक्टर-ट्राली मालिक जहां जी चाहे वहां खड़ी कर कर देते हैं। सड़कों पर आढ़े-तिरछे खड़े यह वाहन मुसीबत बने हुए हैं। चिंतनीय है कि अनेक ट्रालियां ऐसी दौड़ती मिल जाएंगी, जिनका स्टेयरिंग कम उम्र-दराज के हाथों में होता है। हालात प्रतिदिन बहुत ही नाजुक होते हैं। कोहरा पडऩे लगा है और सड़कों पर दौड़ रहे ऐसे वाहन कभी भी हादसों का कारण बन सकते हैं। ट्रैक्टर-ट्राली मालिकों की गैर जागरूकता और प्रशासन का ढुलमुल रवैया कुल मिलाकर लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है। हैरानी की बात यह भी है कि पुलिस कर्मियों का रवैया भी इनके प्रति नरम होता है। स्थिति से वाकिफ  होते हुए भी कड़ी कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाती। 

Rakhi Yadav