अजब प्रथा: इस गांव में पैसे दान देने के बाद ही मिलती है दुल्हन

3/2/2016 10:51:04 AM

डबवाली: शादी में माता-पिता अपनी बेटी को दहेज देकर विदा करते हैं। दहेज न देने पर कई लड़कियां तो इसकी भेंट चढ़ा दी जाती हैं लेकिन हरियाणा का एक ऐसा गांव है जहां दुल्हन को ले जाने से पहले दूल्हे को दान देना पड़ता है। दरअसल ये दान शिक्षा के लिए है। दूल्हे की ओर से दिया गया दान कालूआना वेलफेयर शिक्षा समिति को मिलता है। दूल्हों द्वारा दिए गए दान को समिति करीब 30 से 35 गांवों की 300 बेटियों को पढ़ाने पर खर्च करती है। यह प्रथा पिछले करीब सात साल से चली आ रही है।
 

साल 2005 से पहले शिक्षा के मामले में बेटियों की दशा काफी खराब थी। उस समय गांव कालूआना के राजकीय मिडिल स्कूल की एक बेटी भी पास नहीं हुई थी। मूलभूत सुविधाओं से पिछड़ा विद्यालय आखिरी सांस ले रहा था। तब गांव की पंचायत ने इसे फिर से खड़े करने की योजना बनाई लेकिन सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद भी जब कोई बात नहीं बनी तो उस समय के सरपंच जगदेव सहारण ने कालूआना वेलफेयर शिक्षा समिति बनाकर जोहड़ को भरने की ठानी।

युवाओं के जोश के आगे किसी का बस नहीं चला। जोहड़ भर दिया गया। सरकारी ग्रांट से कमरे खड़े हो गए। यहां शिक्षण संस्थान के लिए चलाई जा रही बसों में तेल, स्टॉफ का पूरा खर्च समिति वहन करती है। यहां तक कि समिति ने अपने खर्च पर गांव कालूआना के शिक्षण संस्थानों में जेबीटी विषयों के अध्यापक भी नियुक्त कर रखे हैं।
 

पूरा खर्च वहन करने के लिए करीब सात साल पहले एक अनोखी प्रथा की शुरुआत की गई कि गांव की बेटी को अपनी दुल्हन बनाने के लिए गांव में आने वाले दूल्हे से शिक्षा का दान लिया जाएगा। तब से चली आ रही ये प्रथा आज भी जारी है। दूल्हे से ये दान लड़की का पिता मांगता है। इससे इससे समिति को लाखों रुपए की आमदन होती है।
 

यहीं नहीं गांव में जब लड़ाई-झगड़े होते हैं तो जिन पक्षों को जुर्माना लगाया जाता है वो रुपया भी समिति के एकाऊंट में जमा करवाया जाता है। फसली सीजन के दौरान समिति सदस्य जमींदारों से उगाही करते हैं और इसे शिक्षण संस्थान में खर्च किया जाता है। वहीं इस समिति की बस में सफर करने वाली लड़कियों से किराया नहीं मांगा जाता वो अफनी मर्जी से ही दान देती हैं। डोनेशन के रूप में 100 रुपए से 1000 रुपए तक दिए जा सकते हैं।