स्कूलों के मिड-डे मील की गुणवत्ता जांचेंगे अफसर, कमी पाए जाने पर होगी सख्त कार्रवाई

2/13/2020 2:03:16 PM

सिरसा (भारद्वाज) : सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील के तहत बच्चों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता को परखने के लिए सरकार ने कड़ा रुख अपना लिया है। सरकार की ओर से जहां इस भोजन की समय-समय पर जांच करने के निर्देश दिए हैं तो वहीं यह भी प्रावधान किया गया है कि भोजन की लैब से टैस्टिंग भी करवाई जाए और यदि रैसिपी अथवा क्वालिटी में कोई कमी पाई जाती है तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

इन निर्देशों को अमलीजामा पहनाने के लिए जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है और मिड-डे मील की मॉनीटरिंग करने के मकसद से एक विशेष कमेटी का भी गठन किया गया है। विशेष बात यह है कि इस कमेटी में शिक्षा विभाग के ही नहीं अपितु अन्य विभागों के अफसरों को भी शामिल किया गया है। 

इसलिए उठाया गया है कदम
दरअसल, सरकारी स्कूलों के बच्चों को दोपहर का भोजन देने के लिए भारत सरकार की ओर से 15 अगस्त 1995 को देश के सभी सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले स्कूली बच्चों को अपराह्न भोज दिया जाता है। बदलते समय के साथ साथ इस योजना के अंतर्गत मिलने वाले भोजन की सामग्री में भी बदलाव किया गया और हर दिन अलग भोजन देने का प्रावधान किया गया।

बताया गया है कि कई जिलों में मिड-डे मील के तहत मिलने वाले खाद्य पदार्थों को लेकर शिकायतें आने लगी हैं और योजना अपने वास्तविक लक्ष्य से डगमगाने लगी। इस पर योजना की प्रासंगिकता को बरकरार रखने व बच्चों को मिलने वाले भोजन की जांच के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है जिसके तहत जिला स्तर पर एक मॉनीटरिंग कमेटी का गठन किया गया है। जिला सिरसा में इस उपायुक्त की ओर से इस कमेटी का गठन करने के लिए एक बैठक बुलाई और बैठक के तहत शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अलावा अन्य विभागों के अफसर व एस.डी.एम. को भी कमेटी में शामिल कर मिड-डे मील की मॉनीटरिंग करने को कहा गया है।

Isha