पब्लिक के लिए ‘दोस्त’ नहीं ‘भय’ का प्रतीक बनी पुलिस

10/1/2017 3:45:15 PM

सिरसा (कौशिक): पुलिस के सेवा, सुरक्षा व सहयोग का नारा मौजूदा परिदृश्य में खोखला साबित हो रहा है। सेवा की जगह पुलिस द्वारा फरयादी को परेशान किया जाता है और सुरक्षा का हाल यह है कि आए दिन शहर में चोरियां हो रही हैं। पुलिस द्वारा चोरी की एफ.आई.आर. तक दर्ज नहीं की जाती। शिकायतकर्ता को पुलिस द्वारा इतना डरा दिया जाता है कि वह पचड़े में पड़ने से तौबा कर लेता है। रही बात सहयोग की तो यह पुलिस की ‘खातिरदारी’ पर निर्भर करता है। यह बात सभी पुलिस कर्मचारियों पर लागू नहीं होती।

कर्तव्यनिष्ठ पुलिस कर्मचारियों की भीड़ में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जो अपनी कारगुजारियों से न केवल महकमे को बदनाम कर रहे हैं, बल्कि अपने प्रदेश ‘मुखिया’ के प्रयासों को भी पलीता लगा रहे हैं। डी.जी.पी. पुलिस व पब्लिक के बीच मधुर संबंध कायम करने की कोशिशों में जी-जान से जुटे हुए हैं। उनकी चाहत है कि जनता के साथ पुलिस कर्मचारी एक दोस्त की तरह बर्ताव करें और उनकी शिकायतों का फौरी तौर पर समाधान करें, ताकि अपराध व अपराधियों के खात्मे में पब्लिक पुलिस की मदद करें। विडम्बना यह है कि डी.जी.पी. के इस मकसद को उनके मुलाजिम ही पूरा नहीं होने दे रहे। उनकी लाख कोशिशों के बावजूद अनेक पुलिस कर्मियों की सेहत पर कोई असर नहीं। उनका रवैया पब्लिक के साथ अभी भी ‘तानाशाह’ जैसा ही बना हुआ है। शुक्रवार देर रात शहर में हुई चोरी की घटना को लेकर पुलिस का रवैया यह बताने के लिए काफी है कि पुलिस पीड़ित के ‘जख्मों’ पर मरहम लगाने की बजाय उसे ‘कुरेदने’ का काम बखूबी करती है।

यह हुआ घटनाक्रम
भीम कालोनी निवासी देवकी बंसल के घर शुक्रवार चोर घुस आया। देर रात करीब 2 बजे जब परिवार के लोग गहरी नींद में थे, तब चोर ने कमरे में टंगे बैग से 20 हजार रुपए की नकदी निकाल ली। इसी दौरान परिवार के लोगों की नींद खुल गई। चोर उन्हें देखकर भाग खड़ा हुआ लेकिन मेन गेट के भीतर ताला लगा होने के कारण वह साथ लगते बाथरूम में घुस गया। परिवार के लोगों ने शोर मचा दिया और बाथरूम को बाहर से कुंडी लगा दी। मेन गेट खोलकर परिवार के लोग बाहर आते, इससे पहले चोर बाथरूम के रोशनदान का शीशा तोड़कर गली में कूदकर फरार हो गया। देवकी बंसल ने बताया कि रात को करीब 9 बजे बिजली चली गई थी, तभी संभवत: चोर अंधेरे का फायदा उठाकर घर में दाखिल हो गया और छत पर जाकर छिप गया।

सहमे परिवार को खूब डराया पुलिस ने
देवकी बंसल ने देर रात करीब 3 बजे पुलिस कंट्रोल रूम में वारदात की सूचना दी तो कुछ देर बाद पी.सी.आर. मौके पर पहुंची। पी.सी.आर. कर्मी पालाराम ने देवकी बंसल को सुबह 9 बजे कीॢतनगर पुलिस चौकी में जाकर शिकायत दर्ज करवाने की बात कही। देवकी सुबह पुलिस चौकी पहुंचे लेकिन यहां मौजूद कर्मचारियों ने उनकी शिकायत पर गौर फरमाने की बजाय उन्हें ही लताडऩा शुरू कर दिया। पीड़ित पर ही पुलिस ने आरोपों की झड़ी लगा दी। देवकी ने भरे मन से बताया कि मौके का मुआयना करने आए 2 पुलिस कर्मचारियों ने कहा कि ‘तुम्हारे पास 20 हजार रुपए कहां से आए, इसका सबूत दो’, कोई चोरी-वोरी नहीं हुई सब ड्रामा है।

मौके पर मौजूद आस-पड़ोस के लोगों ने कहा कि वे इस बात के गवाह हैं कि चोरी हुई है। इस पर पुलिस कर्मचारियों ने गली वासियों को फटकारते हुए कहा कि तुम बीच में मत बोलो। देवकी ने बताया कि पुलिस कर्मचारियों ने कहा कि पुलिस कंट्रोल रूम में फोन क्यों किया। रात को ही चौकी आना था। रोशनदान इतना छोटा है कि चोर इससे नहीं निकल सकता। बेरहमी देखिए पीड़ित को पुलिस ने टास्क देते हुए कहा कि आधा घंटा देता हूं कोई इस रोशनदान से निकलकर दिखाए।

इस घटनाक्रम से यह साफ जाहिर होता है कि कुछ पुलिस कर्मचारियों के तानाशाह आचरण के चलते अभी भी पुलिस जनता के बीच भय का प्रतीक बनी हुई है। ऐसे में डी.जी.पी. का उद्देश्य पूरा हो पाना दूर की कौड़ी नजर आता है।

जालसाजों के खिलाफ कार्रवाई नहीं
पुलिस की लचर कार्यप्रणाली का एक अन्य उदाहरण भी सामने है। रानियां रोड स्थित गली रविदास मंदिर वाली निवासी रमेश कुमार ने गत 22 सितम्बर को एस.पी. ऑफिस में फर्जीवाड़े की शिकायत दी थी, जिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 
रमेश ने बताया कि गांधी कालोनी स्थित प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना केंद्र में उसकी पत्नी परमजीत ने वर्ष 2015 में फार्म भरवाए थे। यहां से उसके कागजातों में जालसाजी कर अन्य बैंकों में अकाऊंट खोलकर जालसाजी की जा रही है। न तो रानियां चुंगी पुलिस चौकी वाले सुनते हैं न ही एस.पी. ऑफिस वाले।