विडम्बना : कृषि विभाग की ‘बीमार’ व्यवस्था मिट्टी के स्वास्थ्य पर भारी

7/22/2017 3:30:15 PM

सोनीपत(विकास): किसान के खेत की मिट्टी किन रोगों से ग्रस्त है या फिर उसमें कौन-कौन से पोषक तत्व कम हो गए हैं, इन सब की जानकारी मिट्टी हैल्थ कार्ड के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराई जाती है परन्तु पिछले एक साल से कृषि विभाग की बीमार व्यवस्था मिट्टी की सेहत पर भारी पड़ रही है। आलम यह है कि मिट्टी की जांच के लिए हजारों की संख्या में विभाग द्वारा सैम्पल तो लिए जा चुके हैं लेकिन साल भर बीत जाने के बावजूद अधिकतर किसानों को मिट्टी हैल्थ कार्ड नहीं मिल पाए हैं। 

गौरतलब है कि खेतों की मिट्टी की सेहत की जांच के लिए सरकार द्वारा मिट्टी हैल्थ कार्ड बनाने की योजना शुरू की गई थी जिसके अंतर्गत किसानों के खेतों की मिट्टी के सैम्पल लेकर लैब में जांच कराई जाती है। जांच के बाद किसान को मिट्टी हैल्थ कार्ड जारी किया जाता है जिसमें मिट्टी की सेहत से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियां उपलब्ध होती है। आवश्यकता पडऩे पर मिट्टी के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किसानों को दिशा-निर्देश भी जारी किए जाते हैं। 

सोनीपत ब्लाक में शून्य तो खरखौदा में बांटे गए हैं अब तक महज 139 कार्ड 
मिट्टी के जांच करवाने के लिए सरकार किसानों को लगातार जागरूक कर रही है परन्तु समय पर कृषि विभाग किसानों को हैल्थ कार्ड जारी नहीं कर पा रहा है जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल सोनीपत ब्लाक से 13 हजार से अधिक मिट्टी के सैम्पल लिए गए थे परन्तु साल बाद अब तक एक भी किसान को मिट्टी हैल्थ कार्ड जारी नहीं किया गया है। यही हाल खरखौदा ब्लाक का भी है। खरखौदा ब्लाक में 10 हजार से अधिक किसानों के मिट्टी के सैम्पल लिए गए थे, उनमें से अब तक 139 हैल्थ कार्ड ही जारी किए गए है।

इसी तरह राई ब्लाक में भी लगभग 6 हजार मिट्टी हैल्थ कार्ड ही किसानों को जारी किए गए है। गन्नौर ब्लाक में 71 हजार मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जाने है लेकिन अब तक विभाग करीब 20 हजार हैल्थ कार्ड ही किसानों तक पहुंचा पाया है। जिले के अन्य ब्लाकों में भी मिट्टी हैल्थ कार्ड स्थिति अधिक बेहतर नहीं है। मिट्टी हैल्थ कार्ड योजना पर कर्मचारियों की कमी भी भारी पड़ रही है। सोनीपत, खरखौदा, राई और गन्नौर ब्लाक में 36 ए.डी.ओ. की पोस्ट है परन्तु मौजूदा समय में सिर्फ 7 ए.डी.ओ. ही कार्यरत हैं। इनमें से 2 ए.डी.ओ. ने चंद दिनों पहले ही पदभार सम्भाला है। सोनीपत ब्लाक में ए.डी.ओ. की पोस्ट में सिर्फ 1 पद भरा हुआ है। इसी तरह से गन्नौर में 10 पदों में से एक भी पद पर ए.डी.ओ. तैनात नहीं है। खरखौदा व राई ब्लाक के 8-8 पदों में से 3-3 पद ही भरे हुए है। परिणामस्वरूप समय पर काम नहीं हो पा रहा है। मिट्टी की जांच के लिए बनाई गई लैबों की स्थिति भी खस्ता बनी हुई है। गोहाना और सोनीपत में जांच की जाती है, परन्तु कई-कई दिनों तक लैब बंद रहती है। 

अब मिट्टी हैल्थ कार्ड की सार्थकता पर भी उठे सवाल 
मिट्टी की सेहत की जांच के लिए एक से 2 साल पहले मिट्टी के सैम्पल लिए गए थे परन्तु हैल्थ कार्ड जारी करने में देरी की वजह से अब उक्त मिट्टी हैल्थ कार्ड की सार्थकता पर भी सवाल खड़े होने लगे है। दरअसल विशेषज्ञों के अनुसार मिट्टी के सैम्पल लेने से एक या 2 माह के अंदर ही मिट्टी की जांच करके उसका हैल्थ कार्ड बना देना चाहिए। अधिक समय लगने पर मिट्टी जांच की रिपोर्ट सटीक नहीं हो पाएगी। वहीं जिन किसानों ने दो साल पहले सैम्पल दिए थे, उन किसानों के खेतों की मिट्टी की हालत मौजूदा समय में अलग पाए जाने की सम्भावना कई गुणा अधिक है। किसान को हर 3 साल में एक बार अवश्य मिट्टी की जांच करानी चाहिए, परन्तु अब दो-दो साल तक हैल्थ कार्ड ही बनकर नहीं आएगी तो किसानों का रुझान भी इस तरफ कम हो जाएगा। जिसका सीधा असर उपजाऊ क्षमता पर पड़ेगा। कर्मचारियों की कमी के कारण मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड बनाने में दिक्कत आ रही है। इस संबंध में वीरवार को ही संबंधित अधिकारियों की बैठक ली गई थी और सभी को जल्द से जल्द मिट्टी हैल्थ कार्ड किसानों तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

ब्लाक स्तर पर लिए गए मिट्टी के सैम्पल के आंकड़े 
गन्नौर     13,056 सैम्पल 
राई     8524 सैम्पल 
खरखौदा    10,022 सैम्पल 
सोनीपत    13,268 सैम्पल