‘जाति नहीं, आर्थिक आधार पर मिले आरक्षण’

8/30/2015 2:18:06 AM

सोनीपत: आरक्षण को लेकर गुजरात व हरियाणा में मच रहे बवाल के बीच अब आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग को लेकर आवाज उठने लगी है। कई संगठनों ने अब जाति आधारित आरक्षण का खुलकर विरोध करने का निर्णय लिया है। भारतीय किसान संघ ने जाति आधारित आरक्षण को भाईचारे के लिए खतरा बताते हुए आॢथक आधार पर आरक्षण की मांग की है। 

 
संघ का सीधा तर्क है कि आज हर जाति में सक्षम व असक्षम लोग हैं तो ऐसे में केवल उन्हींं लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए जिन्हें इसकी जरूरत है। संघ ने इसकी विवेचना किए जाने की भी मांग उठाई। संघ का कहना है कि जो परिस्थितियां आरक्षण देते वक्त रही होंगी, उनमें मौजूदा समय में बेहद बदलाव आए हैं। ऐसे में अब आरक्षण को लोगों ने राजनीतिक तौर पर हथियार बना लिया है। 
 
शुक्रवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री वीरेंद्र सिंह बढख़ालसा, संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष कंवल सिंह चौहान, जिलाध्यक्ष ताहर सिंह, कोषाध्यक्ष रमेश दहिया, जगदीश दहिया, अजय मलिक, प्रवीन आदि ने संयुक्त रूप से कहा कि आरक्षण की वजह से समाज बंट रहा है। 
 
इसलिए जरूरी हो गया है कि आरक्षण को जाति आधार पर समाप्त कर पूरे देश में आर्थिक आधार पर इसकी व्यवस्था की जाए। बढख़ालसा ने कहा कि जिन जातियों को आरक्षण दिया गया है, उनमें भी अधिकतर लोगों को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल सका है। इसकी मूल वजह यह है कि यह राजनीति का हथियार बन गया है।
 
अभिव्यक्ति की आजादी का गलत फायदा उठा रहे सांसद सैनी: एक सवाल के जवाब में बढख़ालसा ने कहा कि निश्चिततौर पर सांसद राजकुमार सैनी का बयान बांटने वाला है। उन्होंने कहा कि यह संबंधित दल का दायित्व बनता है कि ऐसे लोगों पर लगाम लगाए।उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह कतई नहीं है कि आप दूसरे के क्षेत्र में अनाधिकार चेष्टा करें। 
 
उन्होंने कहा कि वे राजनीतिक रूप से किसी दल के समर्थन में नहीं है लेकिन सामाजिक संगठन अगर आगे आते हैं तो किसान संघ उनके साथ मंच सांझा करने तथा आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।