किसान आंदोलन : कुंडली बॉर्डर पर 5 दिन में 20 हजार किसानों का इजाफा

2/3/2021 11:14:02 AM

सोनीपत : दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के आंदोलन में किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अकेले कुंडली बॉर्डर पर 5 दिन में किसानों की संख्या 20 हजार बढ़ गई है।  किसान आंदोलन जितना लंबा होता जा रहा है उसमें उतने ही उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं। जहां ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में बवाल व लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने के अगले 2 दिन तक के हालात से आंदोलन सिमटता दिख रहा था वहीं केवल 5 दिन में धरनास्थल पर दोबारा से दोगुने से ज्यादा किसान हो गए हैं। 

अब हालात ये हैं कि सरकारी रिपोर्ट के अनुसार कुंडली बॉर्डर पर 45 हजार से ज्यादा किसान जमा हैं और वहां किसानों के पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है। इस तरह से किसानों में जोश को देखते हुए नेताओं ने दोबारा से सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है क्योंकि उनको लग रहा है कि जब तक सरकार पर दबाव नहीं बनाया जाएगा उस समय तक सरकार की तरफ से बातचीत का प्रस्ताव नहीं मिलने वाला है इसलिए ही अब केवल एक ही लक्ष्य पर काम किया जा रहा है कि सरकार पर दबाव बनाकर दोबारा से बातचीत शुरू करवाई जाए।

कृषि कानून रद्द करवाने की मांग को लेकर किसानों ने 26 नवम्बर से नैशनल हाईवे-44 के कुंडली बॉर्डर पर डेरा डाला हुआ है। वहां पहले दिन करीब 2 हजार ट्रैक्टर-ट्राली व अन्य वाहनों में 25 हजार किसान पहुंचे थे। उसके बाद से किसान लगातार बढ़ते जा रहे थे और वहां 15 दिन के अंदर किसान दोगुने तक हो गए थे। कुंडली बॉर्डर पर जब धरना शुरू हुआ था तब सबसे ज्यादा पंजाब के किसान मौजूद थे और हरियाणा व यू.पी. वालों का उनको साथ मिल रहा था। यही कारण था कि नैशनल हाईवे-44 पर पड़ाव बढ़कर के.जी.पी.-के.एम.पी. गोल चक्कर तक पहुंच गया था जिसके बाद किसान लगातार बढ़ते गए और गणतंत्र दिवस पर करीब 2 लाख किसान बॉर्डर पर पहुंचे थे लेकिन ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में बवाल व लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराए जाने के बाद आंदोलन को तगड़ा झटका लगा। 

कुंडली बॉर्डर से अचानक से किसान घर लौट गए और 28 जनवरी तक आंदोलन सिमटता हुआ दिखाई देने लगा और बॉर्डर पर केवल 20 हजार किसान रह गए थे। उसके अगले ही दिन सरकार की सख्ती व किसान नेताओं की भावनात्मक अपील के रंग ने दोबारा से आंदोलन को ऊपर चढ़ाना शुरू कर दिया। अब जिस तरह से किसान बढ़े हैं उसके सहारे सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास हो रहा है जिससे सरकार दोबारा बातचीत शुरू कर सके क्योंकि किसान नेताओं को लगता है कि दबाव होने पर ही सरकार बातचीत के लिए तैयार होगी। हरियाणा के किसानों से लगातार धरनास्थल पर पहुंचने की अपील किसान नेता कर रहे हैं जिससे यह बताया जा सके कि सरकार के लगातार सख्ती के बावजूद भी किसान पीछे नहीं हट रहा है और वह लगातार धरनास्थल पर पहुंच रहा है। किसान नेताओं का मानना है कि जब सरकार को यह समझ आएगा तो उसके सामने बातचीत करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।

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Manisha rana