जिले में गैर मान्यता प्राप्त 36 स्कूल, बच्चों के भविष्य पर तलवार

3/24/2019 1:45:14 PM

यमुनानगर (सतीश): बिना मान्यता के जिले में चल रहे स्कूलों की लिस्ट शिक्षा विभाग ने वैबसाइट पर अपलोड कर दी है। विभाग ने लोगों से अपील की है कि आगामी शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए अपने बच्चों का दाखिला इन स्कूलों में न करवाएं। इन स्कूलों को बंद किए जाने की योजना है। शिक्षा निदेशक ने जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से प्रदेश के सभी स्कू लों का सर्वे कराया था।

प्रदेश में 1083 स्कूल ऐसे पाए गए थे जो बिना मान्यता के चल रहे थे। इनमें जिले के 36 स्कूल हैं। इनमें 16 स्कूल पहली से 5वीं तक के तथा 20 स्कूल पहली से 8वीं तक के हैं। इसके अलावा और भी काफी स्कूल हैं जो शिक्षा विभाग के निशाने पर हैं। इन स्कूलों में इस वक्त भी हजारों बच्चे पढ़ रहे हैं। मान्यता नहीं होने के बावजूद ये स्कूल हर साल बच्चों को दाखिला करते, उनसे मोटी फीस वसूलते फिर भी अधिकारियों को इसका पता नहीं चला। 

बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों को अभी तक बचाने की कोशिश
शहरवासियों के मुताबिक जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी दोनों कार्यालयों में ये लिस्ट नहीं है। अगर होती तो इन्हें सार्वजनिक तौर पर क्यों नहीं चस्पाया। इन स्कूलों का सर्वे इन्हीं दोनों अधिकारियों के कार्यालयों द्वारा करवाया गया था। साफ है कि बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों को अभी तक बचाने की कोशिश होती रही। जिन लोगों ने इन्हें बचाया उनकी पहचान कर विभाग को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। जो स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं इन स्कूलों का गत वर्ष सर्वे हो चुका है। ये सर्वे भी शिक्षा विभाग के जिला अधिकारियों द्वारा करवाया गया था। शिक्षा विभाग के निदेशक इन स्कूलों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं।

ये भी आदेश हो चुके हैं कि आगामी शैक्षणिक सत्र में इन स्कूलों में दाखिले नहीं हो पाएंगे। एडवोकेट अमनदीप सिंह का कहना है कि शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण ही ये स्कूल इतने सालों तक शिक्षा के नाम पर कारोबार और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते रहे। मौलिक शिक्षा अधिकारी सुरेश कुमार ने 38 स्कूलों के अपलोड होने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इन सभी स्कूलों को बी.ई.ओ. के माध्यम से नोटिस दिए जा रहे हंै। जल्द ही इन्हें बंद किया जाएगा। इतने लंबे समय से बिना मान्यता प्राप्त स्कूल चलने बारे पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि ये तो पिछले अधिकारी ही बता सकते हैं। हालांकि उन्होंने माना कि यह बड़ी लापरवाही है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अगस्त 2018 में जिला में इस पद को ज्वाइन किया था। इसके बाद वे नियमित कार्रवाई कर रहे हैं। 

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