हथनीकुंड बैराज नायक या खलनायक!
punjabkesari.in Friday, Jul 27, 2018 - 11:13 AM (IST)

यमुनानगर(वीरेन्द्र त्यागी): बरसात के दिनों में यमुनानगर जिले में स्थित हथनीकुंड बैराज नायक होने के बावजूद खलनायक बन जाता है! पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बारिश के बाद जब यमुना का जल स्तर बढ़ जाता है तो हथनीकुंड बैराज को पूरा देश एक खलनायक के रूप में देखा जाता है। कहा जाता है कि हथनीकुंड बैराज से यमुनानगर ने पानी छोड़ दिया, जिससे दिल्ली तक तबाही मच सकती है। ऐसा हर बार होता है लेकिन शायद किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि हथनीकुंड बैराज से पानी क्यों छोड़ा जाता है, क्या हथनीकुंड बैराज बरसात के दिनों में खलनायक बन जाता है। क्या हथनीकुंड बैराज से छोड़े जाने वाले पानी को वहीं रोका जा सकता है। साधारण भाषा में पूरा देश यही कहता है कि हथनीकुंड बैराज से पानी छोड़ दिया गया जोकि दिल्ली तक तबाही मचाएगा।
बंद करनी पड़ती है वेस्टन व ईस्टन कैनाल में सप्लाई
पहाड़ी क्षेत्र से आने वाले पानी को स्टोर तो किया नहीं जा सकता, इसलिए जो भी पानी आएगा उसे बैराज के गेट खोलकर आगे निकालना ही होगा। 25 हजार क्यूसिक तक यदि पानी हो तो गेट खोलने की जरूरत नहीं है लेकिन इसके बाद गेट खोलना पड़ता है और वेस्टन व ईस्टन यमुना कैनाल में आने वाले पानी को रोकना पड़ता है। यदि ऐसा न किया जाए तो इन नहरों के साथ लगे शहरों में पानी अपना कहर बरपाएगा । 2 या 4 लाख क्यूसिक पानी तक किसी प्रकार का कोई खास खतरा नहीं होता और पानी यमुना से होता हुआ आगे दिल्ली तक पहुंच जाता है। वैसे करीब 1 लाख के बाद ही जिला प्रशासन द्वारा जिले में अलर्ट घोषित कर दिया जाता है, हालांकि कोई ऐसी बात नहीं होती, बावजूद इसके सावधानियां बरती जाती हैं। यमुना में गत 2 वर्ष पूर्व करीब 9 लाख क्यूसिक तक पानी छोड़ा गया था। पानी चाहे कितना भी हो उसको छोडऩा मजबूरी है।
हरदेव सिंह कांबोज, एक्स.ई.एन., सिंचाई विभाग।
हथनीकुंड बैराज से पानी को छोड़े जाने में ही भलाई है, क्योंकि इसे स्टोर नहीं किया जा सकता। पहाड़ी क्षेत्र से आने वाले पानी को रोकने के लिए बैराज में 10 गेट लगे हैं लेकिन यदि पानी अधिक मात्रा में हो तो उसे छोडऩा होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो पानी के दबाव से हथनीकुंड बैराज को भी नुक्सान होगा और यमुना के तट भी टूट जाएंगे। 2 या 3 लाख क्यूसिक पानी से भयभीत होने की जरूरत नहीं है। इतने पानी से कुछ नहीं होता। यदि पानी 5 लाख क्यूसिक के आसपास या इससे अधिक हो तो चेतावनी दी जा सकती है। 5 लाख क्यूसिक पानी आने के बाद ही खतरे के निशान से ऊपर बताया जा सकता है।
यदि गेट न खोला तो टूटेंगे यमुना के तट
मिली जानकारी के अनुसार हथनीकुंड बैराज में 25 हजार क्यूसिक तक पानी को रोकने की क्षमता है। इसके बाद यदि पानी का स्तर बढ़ता है तो उस पानी को गेट खोलकर यमुना में छोड़ दिया जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में आई बारिश को लेकर जितना भी पानी आता है चाहे वह कितने हजार व लाख क्यूसिक क्यों न हो उसे यमुना में छोडऩा ही पड़ता है और यदि ऐसा न किया जाए तो पानी के दबाव से यमुना के किनारे टूटेंगे। यहां तक की पानी के प्रैशर से बैराज के गेट को भी नुक्सान पहुंच सकता है, इसलिए इस पानी को गेट खोलकर आगे निकालना ही होता है। पानी को क्यूसिक में नापने के लिए पानी की गति, लंबाई, चौड़ाई व ऊंचाई देखी जाती है और उसके अनुसार जल स्तर को लेकर निशान अंकित किए जाते हैं। इसी हिसाब से पानी को क्यूसिक में नापा जाता है।