आतंकी हमले में 44 लोगों की जान बचाने वाले शहीद रॉकी के भाई को चपरासी की नौकरी पर भड़के परिजन

2/8/2016 4:34:51 PM

यमुनानगर (सुमित ओबरॉय): शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मर-मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा। शहीदों की याद में लिखी गई यह पंक्तियां रामगढ़ माजरा निवासी शहीद रॉकी पर पूरी तरह से सटीक बैठ रही हैं। रॉकी की शहादत के बाद सात अगस्त 2015 को उसके अंतिम संस्कार के समय जहां हरियाणा के कई मंत्रियों व विधायकों ने उसे अंतिम विदाई देते हुए परिवार को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया था। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी उसके भाई को सरकारी नौकरी देकर शहीद का सम्मान करने की बात कही थी लेकिन अब प्रदेश सरकार द्वारा अंबाला के उपायुक्त के माध्यम से डीसी यमुनानगर व रॉकी के परिवार के पास चपरासी की नौकरी का पत्र भेजा गया है।

सरकार द्वारा भेजे गए पत्र के बाद एक शहीद का परिवार उसे लेकर क्या महसूस करता है और बेटे की शहादत के बाद परिवार किस प्रकार से अपनी गुजर बसर कर रहा है। इसका जायजा लिया हमारे संवाददाता ने। रॉकी की शहादत के बाद आज भी उसका परिवार पहले की तरह ही अपनी गुजर बसर कर रहा है। रॉकी के पिता जहां सुबह साइकिल चलाकर मजदूरी करने के लिए जाते हैं।
 

वहीं, रॉकी के भाई व बहन सुबह-सुबह जानवरों के लिए चारा काटकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं। घर में गैस न होने पर रॉकी की मां चूल्हे पर ही खाना बनाती है। ऐसे में परिवार के सभी सदस्यों ने सरकार द्वारा भेजे गए चपरासी की नौकरी के पत्र को रॉकी की शहादत का अपमान बताते हुए यह नौकरी करने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है। रॉकी के परिवार वालों की माने तो प्रदेश सरकार द्वारा भेजे गए चपरासी की नौकरी के पत्र के पीछे उन्हें सरकार की मंशा साफ नजर नहीं आ रही है। एक तरफ तो केंद्र सरकार के गृह सचिव ने उन्हें पत्र भेजकर रॉकी को मरणोपरांत शोर्य चक्र देकर सम्मान दिए जाने का संदेश भेजा है। वहीं, प्रदेश सरकार द्वारा चपरासी की नौकरी के लिए पत्र भेजकर उनका अपमान किया जा रहा है।

रॉकी को याद कर छलक पड़ी आंखें
रॉकी की मां की बुढ़ी हो चुकी आंखें आज भी अपने बेटे को याद कर छलक पड़ती हैं। वे केवल इतना ही कहती हैं कि सरकार ने उनके दूसरे बेटे को सरकारी नौकरी देने के लिए कहा था लेकिन अब जो पत्र उन्हें आया उससे काफी धक्का लगा है कि सरकार रॉकी की शहादत का इस तरह से अपमान करेगी। उन्होंने कहा कि उनके परिवार में केवल रॉकी ही की कमाने वाला एकमात्र सहारा था। सरकार ने उनके बारे में कुछ नहीं सोचा। इसलिए वह और उनका परिवार सरकार द्वारा भेजी गई चपरासी की नौकरी को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

बड़ी-बड़ी बातें करने वाले कर गए छोटा काम
रॉकी के बारे में जब उसकी बहन नेहा से बात की तो उसका गला भर आया और बोली कि रॉकी की शहादत के समय बहुत बड़े-बड़े लोग आए थे। सब ने उसे व उसके भाई को नौकरी देने की बात कही थी लेकिन अब उसके भाई को चपरासी की नौकरी दे रहे हैं। नेहा की मानें तो रॉकी ही उन्हें  जीना सिखा रहा था, उसकी शहादत के समय बड़ी-बड़ी बातें करने वालों में से अब कोई भी उन्हें पूछने के लिए नहीं आता। बल्कि उन्हें ही उन लोगों से मिलने के लिए उनके पीछे भागना पड़ रहा है मिलने पर भी वह लोग टाल-मटौल करते हैं और टाइम देने के बाद भी मिलते नहीं है। नेहा ने रॉकी की शहादत पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले छोटा काम कर गए। रॉकी के भाई रोहित ने कहा कि योग्यता पूरी होने के बाद उसे चपरासी की नौकरी देना सही नहीं है। इसलिए उन्होंने इस नौकरी को स्वीकार नहीं किया है।

इस बारे में उन्होंने सीएम से बात की थी और सीएम ने उन्हें भरोसा दिलाया है। रोहित ने बताया कि उनसे हरियाणा पुलिस के लिए भी फार्म मांगे थे, जिसके बाद उसके टेस्ट लिए गए और फाइल बनाकर हरियाणा सरकार के पास भेजी गई थी लेकिन अभी तक उसे लेकर कोई जवाब नहीं आया है। अब सरकार ने उनके पास चपरासी की नौकरी के लिए पत्र भेजा है। एक तरफ जहां भाजपा सरकार देश के शहीदों के सम्मान में कई घोषणाएं कर रही है।

वहीं हरियाणा की भाजपा सरकार ने एक शहीद के भाई को उसकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार नौकरी देने की बजाए एक चपरासी की नौकरी का पत्र भेजकर न सिर्फ उसकी शहादत का अपमान करने का काम किया, बल्कि सरकार के इस कदम के बाद अब हरियाणा सरकार पर भी सवाल उठने लगे हैं। कारण साफ है कि यदि सरकार शहीद के भाई को कोई अच्छी नौकरी नहीं दे सकती तो कम से कम उसकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर ही नौकरी दे देती, जिस कारण किसी को भी कोई बात करने का मुद्दा न मिलता लेकिन सरकार ने शहीद की शहादत का अपमान कर विपक्ष को फिलहाल बैठे बिठाए ही बहस के लिए एक मुद्दा दे दिया है। अब देखना यह होगा कि सरकार अपने इस फैसले पर आने वाले दिनों में क्या निर्णय लेगी।