टेस्ट रिपोर्ट देने वाले लैब संचालक खुद झोलाछाप

7/16/2018 3:50:05 PM

यमुनानगर(भारद्वाज/सुखविंद्र): जिले में लैब संचालकों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के नियमों की धज्जियां सरेआम उड़ाई जा रही हैं। यह मुंह मांगे दामों पर मरीजों के टैस्ट कर रहे हैं। मरीजों को टैस्ट की रिपोर्ट देने वाले यह लैब संचालक खुद झोलाछाप हैं। इनके पास न तो कोई डिग्री है और न ही रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने की कोई मान्यता। अधिकांश लैब संचालक किसी अन्य लैब से काम सीखकर रोगियों के टैस्टों की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले अपने एक फैसले में कहा था कि प्रत्येक लैब के अंदर एक एम.बी.बी.एस. चिकित्सक ही लैब का संचालन कर सकता है लेकिन यह आम लोग लैब संचालक अब किसी डाक्टर से कम नजर नहीं आ रहे। लैब संचालक छोटे-छोटे टैस्ट के मन-माने रुपए लेते हैं। 

जिले में चल रहीं 400 अनाधिकृत लैब 
जिले में लगभग 400 लैब ऐसी है जोकि अनाधिकृत रूप से चल रही हैं। केवल 12 से 15 तक ही डाक्टर्स ऐसे हैं जोकि लैब रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार औसतन सिफ 20 प्रतिशत पैथोलॉजी ऐसी हैं जिनमें रिपोर्ट अवश्य योग्यता रखने वाले यानि एम.सी.आई. पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट तैयार करते हैं जबकि 80 प्रतिशत रिपोर्ट पर अपात्र लोग हस्ताक्षर करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने रखा अपना निर्णय बरकरार 
10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पैथौलॉजिस्ट की पूर्ण विचार याचिका खारिज कर दी है। अपने पुराने फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पैथोलॉजी रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर करने के लिए रजिस्टर्ड मैडीकल प्रैक्टिशनर यानि मैडीकल काऊंसिल ऑफ इंडिया में पंजीकृत होना चाहिए।


 

Rakhi Yadav