प्रशासन की ओर से सैंटरों के बाहर नहीं थी कोई व्यवस्था

9/23/2019 3:15:50 PM

यमुनानगर : हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा क्लर्क पद के लिए ली जा रही परीक्षा को लेकर परीक्षा देने शहर में पहुंचने वाला लगभग हर परीक्षार्थी परेशान रहा। दूर दूर से परीक्षाएं देने यहां परीक्षार्थी पहुंचे जिनके समय से पहले पहुंचने पर जिला प्रशासन व सरकार की ओर से कोई इंतजाम नहीं किए गए थे कि वे कहीं ठहर सकते, लेट आने वालों के लिए कोई छूट नहीं थी कि वे कुछ लेट भी परीक्षा केन्द्रों पर जा सकते। 

सुबह की परीक्षा देने वाले छात्र रात को या अल सुबह ही परीक्षा केंद्रों के बाहर पहुंच गए और उन्हें परीक्षा शुरू होने तक का समय उन्हें गुजारना मुश्किल हो गया। आखिर बेगाने शहर में ये जाएं भी तो कहां जाएं। सड़क पर पड़े सीवरेज के पाइप ही इन परीक्षार्थियों के आशियाने बने। महिला व पुरुष परीक्षार्थी हाईवे के किनारे पड़े इन पाइपों में बैठकर अपना समय निकाल रहे थे। पाइप भी कम पड़ गए क्योंकि परीक्षार्थी अधिक थे, जिसे सीवरेज का पाइप आराम करने के लिए मिल गया, मानो उसे तो एक होटल का कमरा मिल गया। 

इन पाइपों में बैठकर भी परीक्षार्थी खुश दिखाई दिए। हाईवे के किनारे पड़े ये पाइप ही परीक्षार्थियों के लिए शरण स्थली बने। कुछ परीक्षार्थियों ने कहा कि उन्हें कम से कम ये सीवरेज के पाइप ही सही, बैठने के लिए उन्हें कुछ तो मिला। कुछ परीक्षा केन्द्र तो ऐसे थे जहां परीक्षार्थियोंके बैठने व खड़े होने के लिए भी कोई स्थान नहीं था। परीक्षार्थी लगभग 200 से 250 किलोमीटर दूर तक से परीक्षा देने पहुंचे थे।

एन.जी.ओ. की सेवाएं भी नहीं पहुंची हर परीक्षार्थी तक 
शनिवार को तो क्लर्क की परीक्षाओं के लिए केवल सायं कालीन सत्र में ही परीक्षाएं थी जिसके चलते करीब 25 हजार परीक्षार्थी व लगभग इतने ही उनके अभिभावक शहर में पहुंचे थे। रविवार को तो सुबह व शाम दोनों सत्र में परीक्षाएं थी जिसके चलते लगभग 50 हजार परीक्षार्थी शहर में पहुंचे।इसी प्रकार इन परीक्षार्थियों के साथ विशेष रूप से महिला परीक्षाॢथयों के साथ अभिभावक भी परीक्षा केन्द्रों तक पहुंचे, जिन्हें जल्दी आने पर परीक्षाओं के समय तक इंतजार करना पड़ा व बाद में भी परीक्षा खत्म होने का इंतजार करना पड़ा।

विभिन्न एन.जी.ओ. द्वारा अपने स्तर पर भी कुछ प्रबंध परीक्षार्थियों व उनके अभिभावकों के लिए किए गए थे।हर परीक्षार्थी को इस बारे में जानकारी भी नहीं थी कि कहां क्या प्रबंधक है क्योंकि बाहर से आने वाले परीक्षार्थी को क्या मालूम कि किस एन.जी.ओ. ने उनके लिए क्या इंतजाम किया हुआ है। हालांकि बहुत परीक्षार्थी ऐसे भी थे, जिन्होंने विभिन्न एन.जी.ओ. द्वारा किए गए प्रबंधों का फायदा उठाया। रक्षक अकादमी कें संचालक नसीम खान ने बताया कि उन्होंने मोटरसाइकिल सवार रक्षकों को विभिन्न स्थानों पर तैनात किया हुआ था। इन रक्षकों द्वारा परीक्षार्थियों को उनके परीक्षा केन्द्र तक पहुंचाने का काम किया गया। इसके अतिरिक्त शहर के कई सार्वजनिक स्थानों पर नक्शा लगाकर जानकारी दी गई थी।

स्टाफ को भी नहीं थी मोबाइल ले जाने की अनुमति 
परीक्षाओं के लिए जिला प्रशासन की और से तमाम पुख्ता इंतजाम किए गए। समय रहते ही परीक्षाथियों को परीक्षा केन्द्रों में प्रवेश दिया गया। किसी प्रकार का कोई भी सामान ले जाने की अनुमति किसी परीक्षार्थी को नहीं थी। केन्द्रों में मोबाइल फोन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध था। यहां तक कि जिस स्टाफ की ड्यूटी परीक्षा केन्द्र में लगी हुई थी उन्हें भी अपने साथ मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं थी। परीक्षा केन्द्रोंके आस पास व शहर के अन्य भागों में भी मोबाइल काम नहीं कर रहे थे क्योंकि परीक्षा केंद्रों पर जैमर की व्यवस्था की गई थी।

परीक्षार्थियों की गहन जांच के बाद ही उन्हें परीक्षा केन्द्र में प्रवेश दिया गया। हर बार की तरह इस बार भी महिला परीक्षार्थियों के गहने तक उतरवाकर बाहर रख दिए गए। परीक्षा केंद्रों के 200 मीटर के दायरे में जिला प्रशासन द्वारा पहले से ही धारा-144 लगा दी गई थी। विभिन्न परीक्षा केन्द्रों पर फ्लाइंग व जिला प्रशासन के अधिकारी भी गश्त करते रहे ताकि परीक्षाएं शांति पूर्ण तरीके से नकल रहित हो।

Isha