भिवानी में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को राष्ट्रीय कुष्ठ जागरूकता दिवस के रूप में मनाया

punjabkesari.in Sunday, Jan 30, 2022 - 04:10 PM (IST)

भिवानी (अशोक भारद्वाज) : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 74वीं पुण्यतिथि पर आज भिवानी में राष्ट्रीय कुष्ठ जागरूकता अभियान के तहत मनाया गया। इस अभियान के तहत आज भिवानी के लघु सचिवालय में उपायुक्त आरएस ढि़ल्लो ने हरी झंडी दिखाकर कुष्ठ जागरूकता रैली को रवाना किया, जो कुष्ठ रोगियों के प्रति आम जनता को शहर व ग्रामीण क्षेत्र में जागरूक करेंगी। इस मौके पर महात्मा गांधी की 74वीं पुण्यतिथि पर उन्हे याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए गए तथा लघु सचिवालय में कर्मचारियों व अधिकारियों ने कुष्ठ रोग को जड़ से मिटाने के लिए शपथ भी ली।

इस मौके पर उपायुक्त आरएस ढि़ल्लो, जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह श्योराण एवं हैल्थ कंसलटेंट सतपाल पंघाल ने बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों के प्रति अपनत्व का भाव रखते थे। हमें उनकी पुण्यतिथि पर कुष्ठ रोगियों को सेवाभाव की नजर से देखना चाहिए। उन्होंन कहा कि प्रत्येक प्राणी समाज का हिस्सा है, उसके साथ किसी प्रकार का भेदभाव करना अमानवीयता है। महात्मा गांधी की इसी विचारधारा के साथ कुष्ठ रोगियों के प्रति सद्भाव रखते थे। इसीलिए महात्मा गांधी की 74वीं पुण्यतिथि को कुष्ठ जागरूकता अभियान-2022 के तहत मनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हमें अपने आसपास यह देखना चाहिए कि किसी व्यक्ति में कुष्ठ रोग के लक्षण तो नही हैं, यदि किसी व्यक्ति में कुष्ठ रोग के लक्षण नजर आते हैं तो उसे सामान्य अस्पताल में उपचार के लिए भिजवाने में मदद करनी चाहिए। कुष्ठ रोग असाध्य बीमारी नहीं है। इसका उपचार संभव है। उन्होंने बताया कि यदि कोई कुष्ठ रोगी मिलता है तो उसको पूरा उपचार दिया जाता है और रोगी पर उपचार संबंधित नजर भी रखी जाती है। रोगी की काऊंसलिंग भी जाती है तो वह मानसिक रूप से कमजोर न पड़े। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की चेतना रैली ने शहर में नागरिकों से कुष्ठ रोगियों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करने का आह्वान किया।

अब कुष्ठ रोग लाईलाज नहीं रहा। जिस भी व्यक्ति को चमड़ी में सफेद दाग व कुष्ठ की संभावनाएं नजर आती है तो वे तुरंत चिकित्सक को दिखाएं। इसका मुफ्त जांच, दवा व ईलाज संभव है तथा छह: माह से एक वर्ष तक एमडीटी दवाखाने से पूर्णतया ठीक हो सकता है। उन्होंने कहा कि कुष्ठ कोई दैवीय प्रकोप नहीं, बल्कि त्वचा संबंधी रोग है। जो मनुष्य की त्वचा, ऊपरी श्वसन, आंखों व शरीर के कुछ भागों को नुकसान पहुंचाता है।


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Content Writer

Manisha rana

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