डायरिया से 5 माह की बच्ची की जान गई

punjabkesari.in Tuesday, Aug 20, 2019 - 11:28 AM (IST)

फरीदाबाद: प्रदेश की सरकार एक ओर तो बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं पर विभिन्न योजनाएं चलाकर बेटियों को आगे बढ़ाने के दावे कर रही है। वहीं फरीदाबाद के सबसे बड़े जिला अस्पताल में बेटियों के इलाज में कोताही बरती जा रही है। यहां 200 बेड के अस्पताल में डायरिया (उल्टी, दस्त) का इलाज भी संभव नहीं है। यहां आए दिन उल्टी दस्त के चलते नवजातों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। आलम यह है कि अस्पताल प्रबंधन के पास नवजातों चढ़ाने के लिए न तो ग्लूकोज और न ही ओआरएस। ऐसे में ग्लूकोज और ओआरएस के अभाव में सोमवार को नवजात बच्ची की मौत हो गई।

चिकित्सा कर्मियों ने उसे ग्लूकोज नहीं चढ़ाया। बच्ची को सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी, बच्ची के शरीर में लगातार पानी की मात्रा कम होती गई और उसने दिल्ली जाने से पहले ही दमतोड़ दिया।परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए इमरजेंसी में हंगामा कर दिया। उनका कहना था कि पहले तो अस्पताल की इमरजेंसी में बच्ची को सही तरीके से मास्क लगाकर ऑक्सीजन नहीं दी गई, वहीं ग्लूकोज चढ़ाने से भी मना कर दिया। हालत बिगड़ती देख चिकित्सकों ने बच्ची की बीमारी से पल्ला झाड़ते हुए उसे दिल्ली सफदरजंग अस्पताल के लिए रैफर कर दिया।

फिर भी नवजात के गंभीर हालत में होने के बावजूद समय पर एंबुलेंस नहीं दी गई जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। बच्ची की मां सरोज ने बताया कि उनकी नंनद जगवती एंबुलेंस लेने के लिए 108 रुम में गई। जहां मौजूद स्टॉफ  ने कहा कि अभी एंबुलेंस मौजूद नहीं है। एंबुलेंस को आने के लिए करीब आधा घंटा लगेगा। यह बात उन्होंने इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर को बताई। सरोज ने बताया कि एंबुलेंस आने से पहले ही उनकी बेटी की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अगर उनको समय पर भी एंबुलेंस मिल जाती तो शायद आज उनकी बेटी जिंदा होती। 


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Isha

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