ईडी ने मैसर्स रिचा इंडस्ट्रीज लिमिटेड के गुरुग्राम-फरीदाबाद में आठ ठिकानों पर चलाया सर्च ऑपरेशन, आठ लाख रुपए नकदी व चार महगी कारें भी जब्त की
punjabkesari.in Saturday, Dec 06, 2025 - 08:20 PM (IST)
गुड़गांव, ब्यूरो: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), गुरुग्राम कार्यालय की टीम ने गुरुग्राम व फरीदाबाद में मेसर्स रिचा इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल), व प्रमोटरों संदीप गुप्ता, मनीष गुप्ता और सुशील गुप्ता और इसकी समूह कंपनियों से संबंधित आठ ठिकानों पर पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत सर्च ऑपरेशन चलाया। ईडी की टीमों ने सीबीआई द्वारा आईपीसी, 1860 और पीसी अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर आरोपी व्यक्तियों द्वारा आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक कदाचार के अपराधों के लिए जांच शुरू की, जिससे उन्होंने खुद भारी लाभ कमाया और बैंकों को 50.54 करोड़ रुपए का पर्याप्त नुकसान पहुंचाया।
वर्ष 2015 से 2018 के दौरान 236 करोड़ रुपए, तलाशी के दौरान निष्कर्ष और ईडी द्वारा की गई जांच में संदीप गुप्ता, मनीष गुप्ता और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा आरआईएल (रिचा इंडस्ट्रीज लिमिटेड) की संपत्ति को हड़पने और कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) को विफल करने के लिए एक ठोस साजिश का पर्दाफाश हुआ। कथित तौर पर प्रमोटरों ने एक शेल कंपनी, मेसर्स सारीगा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (एससीपीएल) को शामिल किया, जिसमें आरआईएल के एक पूर्व कर्मचारी को बेनामीदार के रूप में इस्तेमाल किया गया। जांच में पाया है कि समन्वित प्रयासों के माध्यम से, एससीपीएल ने धोखाधड़ी से लेनदारों की समिति (सीओसी) में वोटिंग अधिकार हासिल कर लिए, जिससे गुप्ता परिवार सीआईआरपी को अपने पक्ष में बाधित करने और प्रभावित करने में सक्षम हो गया।
जांच में सामने आया कि दिवालियापन अवधि के दौरान, उन्होंने कथित रूप से आरआईएल के संचालन पर अनधिकृत नियंत्रण बनाए रखा, समझौते किए, और वैधानिक मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए पारिश्रमिक प्राप्त किया। जांच में रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल, अरविंद कुमार, प्रमोटर्स के साथ मिलीभगत करते हुए पाए गए, उन्होंने ट्रांज़ैक्शन ऑडिट रिपोर्ट में कई धोखाधड़ी वाले सौदों का खुलासा होने के बावजूद, बचने के लिए एप्लीकेशन फाइल नहीं की। सबूत यह भी बताते हैं कि क्राइम से होने वाली कमाई के ज़रिए भेजी गई, जिसने बाद में आरआईएल को फिर से खरीदने के लिए एक रिज़ॉल्यूशन प्लान जमा किया, जो एक प्रॉक्सी एंटिटी के माध्यम से कंट्रोल वापस पाने की एक स्ट्रेटेजिक कोशिश का संकेत है। इसके अलावा, प्रमोटर्स संदीप गुप्ता, मनीष गुप्ता और श्वेता गुप्ता ने कथित तौर पर बैंक की देनदारियों से इम्युनिटी पाने के लिए ज़रूरी एसेट की जानकारी छिपाकर पर्सनल इन्सॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स के दौरान धोखाधड़ी वाले एफिडेविट जमा किए।
ईडी ने दस्तावेज व डेटा किया बरामद:
सर्च ऑपरेशन के दौरान, कई डिजिटल डिवाइस और गलत डॉक्यूमेंट्स जैसे डायरेक्टर्स के पास मौजूद एसेट्स, फाइल किए गए क्लेम, ऑडिटेड फाइनेंशियल्स, ग्रुप कंपनियों का टैली डेटा, गुप्ता परिवार की शेल कंपनियां, लीगल रिकॉर्ड, धोखाधड़ी वाले एफिडेविट, कंपनी से फंड का डायवर्जन, आदि बरामद और सीज किए गए। इसके अलावा, प्रमोटरों और उनसे जुड़े लोगों के कई बैंक अकाउंट, जिनमें 40 लाख रुपए से ज़्यादा का क्रेडिट बैलेंस था, उन्हें भी फ्ऱीज कर दिया गया। ईडी की टीम ने आठ लाख कैश के साथ-साथ गुप्ता परिवार द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली संबंधित कंपनियों और बेनामी कंपनियों की चार महंगी गाडिय़ां भी ज़ब्त की गईं।