इनफर्टिलिटी इलाज का मार्केट साइज क्यों बढ़ रहा है : डॉ चंचल शर्मा
punjabkesari.in Thursday, Jan 19, 2023 - 07:09 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : आज के समय में इनफर्टिलिटी की समस्या बहुत ही आम हो गई है। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 10-15 प्रतिशत जोड़ों में इनफर्टिलिटी संबंधी समस्याएं होती हैं। इसके अलावा, 2015 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 27.5 मिलियन जोड़े बच्चे चाहते हैं लेकिन स्वाभाविक रूप से ऐसा करने में असमर्थ होते हैं। देर से पितृत्व के बढ़ते प्रचलन ने महिलाओं में अंडे की गुणवत्ता में गिरावट, ट्यूब का बंद होना और अन्य कारणों से बांझपन की घटनाओं को बढ़ा दिया है, जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा लोगों की जीवन शैली ने निसंतानता के मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। यही कारण है कि व्यक्तियों को अलग अलग उपचार विकल्पों के लिए प्रेरित कर रहा है, जो मार्केट में बड़े अवसर पैदा कर रहा है।
व्यवसाय में बदल चुका है इनफर्टिलिटी का इलाज
भारत में बढ़ते इन्फर्टिलिटी ट्रीटमेंट लगभग हर घर परिचित होता जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है हमारे देश के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे शहर के गली मोहल्लों में बड़ी संख्या में इन्फर्टिलिटी क्लिनिक का खुलना। एक अन्य रिपोर्ट में पिछले पांच सालों में देश में फर्टिलिटी सेगमेंट में 20% की वृद्धि हुई है। 2021 की बात करें तो भारतीय प्रजनन उद्योग का मूल्य 746 मिलियन डॉलर था और 2027 तक 1,453 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। फर्टिलिटी ट्रीटीमेंट सेवाओं के बाजार में 2021 से 2028 के समय में बाजार में वृद्धि होने की उम्मीद है।
देश में बढ़ते इन्फर्टिलिटी ट्रीटमेंट मार्केट का कारण
इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट मार्केट के इतने फलने-फूलने की सबसे बड़ी वजह यही है कि भरतीयों में इनफर्टिलिटी की समस्या दिन प्रतिदिन बड़ती जा रही है। जिसके कई कारण हो सकते है। आशा आयुर्वेदा के दिल्ली स्थित क्लिनिक की सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर चंचल शर्मा बताती है की “भारत में इन्फर्टिलिटी की समस्या काफी तेजी से बढ़ रही है। इसका कारण है महिला में अंडे का न बनना, फैलोपियन ट्यूब का बंद होना, एंडोमेट्रिओसिस की समस्या, उम्र ज्यादा होने की वजह से अंडे की गुणवत्ता में गिरावट देखना, कीमोथेरपी, दवाओं का अधिक सेवन, खराब लाइफस्टाइल और कई बार ऑटोइम्यून जैसी अन्य बीमारियों की वजह से मार्केट का साइज बड़ रहा है।”
पुरुषों में इनफर्टिलिटी के कारणों में स्पर्म की कमी या गुणवत्ता में गिरावट देखना, खराब खानपान, शराब और धूम्रपान के अधिक सेवन, बेतरतीब लाइफस्टाइल शामिल है। इसके अलावा आजकल युवा देर से शादी कर रहा है जिससे उनके माता-पिता बनने के सपने में शारीरिक उम्र साथ नहीं दे पाता है। तब ऐसे में बच्चा गोद लेने की लंबी और जटिल प्रक्रियाओं से बचने के लिए भी लोग इनफर्टिलिटी क्लिनिकों का सहारा लें रहा है। इन्हीं कारणों से बांझपन दर में वृद्धि हो रही है, जिसमें आईवीएफ में एग-स्पर्म दोनर और कमर्शल सरोगेसी यानी किराए पर कोख देने का प्रचलन बड़ गया है। ऐसी महिलाओं की कोख एक-दो बार नहीं, बल्कि बार बार किराए पर ली जाती है। इसकी वजह से न केवल महिला का स्वास्थ्य दांव पर होता है बल्कि नए कानून बनने के बाद भी मानसिक शोषण होता रहता है।
आयुर्वेद में बिना साइड फेक्ट बनना मां संभव
माता-पिता की चाह रखने वालों के लिए इनफर्टिलिटी की समस्या दुखों, समाजिक यातनाओं को जन्म देती है। संतान प्रप्ति एक ऐसी संवेदनशील चाहत होती है, जिसे पुरा करने के लिए लोग कुछ भी करने को अतुर हो जाते है। निसंतानता की समस्या होने के बाद लोगों के दिमाग में सबसे पहले आईवीएफ आता है। लेकिन आईवीएफ के ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि निषेचन के बाद भी महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है। और लाखों खर्च होने के बाद भी कोई परिणाम नहीं मिलता है। डॉक्टर चंचल शर्मा का कहना है कि एक डॉक्टर होने के नाते सलाह देती हूं कि आयुर्वेदिक इलाज पर भरोसा रखें जो आईवीएफ के महंगें इलाज से कई गुणा बेहतर है। जैसे एलोपैथी साइंस में आईवीएफ एक रास्ता है वैसे ही आयुर्वेद में बिना सर्जरी के प्राकृतिक उपचार भी संभव है। आयुर्वेदिक इलाज से जहा मरीज को सस्ता, सिडेफेक्ट फ्री, और ज्यादा सफलता मिलती है, वही देश का बहुत सारा धन देश में रहता है। क्योकि आयुर्वेद का ज्ञान, मेडिसिन,प्रोडक्ट्स, एजुकेशन, डॉक्टर सभी भारतीय है। वही बाकि सब इलाज में चाहे अनचाहे बहुत सारा धन देश से बाहार चला जाता है। तो आयुर्वेद उपचार मरीज और देश दोनो के हित में है।