फोर्टिस मानेसर में बिना कोई निशान वाली एंडोस्कोपिक कार्डियाक सर्जरी से 16-वर्षीय किशोर को मिला नया जीवन
punjabkesari.in Friday, Aug 22, 2025 - 07:47 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : फोर्टिस हॉस्पीटल, मानेसर के डॉक्टरों ने दुर्लभ और जटिल टोटल एंडोस्कोपिक कार्डियाक सर्जरी से 16-वर्षीय किशोर के हृदय में 35 मिमी आकार के छेद को सफलतापूर्वक बंद कर मरीज को नया जीवनदान दिया है। फरीदकोट, पंजाब का यह किशोर जन्मजात हृदय विकार से पीड़ित था जिसकी वजह से पिछले वर्षों में उसके हृदय की कार्यप्रणाली कमजोर पड़ चुकी थी। मरीज के परिवार ने इससे पहले कई अस्पतालों में कंसल्टेशन लिया था लेकिन पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी के बाद दिखायी देने वाले घाव के बड़े निशानों को लेकर चिंतित थे और यही वजह थी कि वे इलाज से बच रहे थे।
आखिरकार मरीज के परिजनों ने फोर्टिस मानेसर से संपर्क किया जहां डॉ महेश वाधवानी, डायरेक्टर एवं एचओडी सीटीवीएस के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने बिना निशान की (स्कारलैस) एंडोस्कोपिक कार्डियाक सर्जरी करने का फैसला किया। सर्जिकल टीम की कमान डॉ श्यामवीर सिंह खंगारोत (सीनियर कंसल्टैंट पिडियाट्रिक सीटीवीएस) संभाल रहे थे और उनके साथ टीम में डॉ दीपक ठाकुर (सीनियर कंसल्टैंट पिडियाट्रिक कार्डियोलॉजी), डॉ आलोक रंजन साहू (एडिशनल डायरेक्टर एवं एचओडी कार्डियाक एनेस्थीसिया), डॉ गरिमा बियानी (कंसल्टैंट पिडियाट्रिक कार्डियोलॉजी) तथा डॉ राधिका खरे (अटैंडिंग कंसल्टैंट कार्डियोक एनेस्थीसिया) थे। यह सर्जरी लगभग पांच घंटे चली और अगले पांच दिनों में धीरे-धीरे मरीज की सांस, ताकत और स्टैमिना में सुधार के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
मरीज को जब फोर्टिस मानेसर में भर्ती किराया गया था तो उन्हें पिछले करीब छह महीने से थकान होने पर सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी। अस्पताल में जांच के बाद उनके महत्वपूर्ण संकेत स्थिर पाए गए, लेकिन विस्तृत जांच में उनके हृदय में 35 मिली आकार का बड़ा छेद यानि एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) की पुष्टि हुई। इसकी वजह से हार्ट वाल्व में से हल्का रिसाव, पल्मोनेरी हाइपरटेंशन और हृदय के बायीं ओर वाल्व में मामूली रिसाव था।
सर्जरी से पहले मरीज के इको (ECHO) टैस्ट तथा सीने के एक्स-रे से हृदय के दाएं चैंबर्स के बड़े आकार और कार्डियोमेगाली (cardiomegaly - हृदय का आकार सामान्य से बड़ा होना) की पुष्टि हुई। हालांकि उपचार के तौर पर ओपन-हार्ट सर्जरी का विकल्प खुला था लेकिन मरीज के परिजनों को इससे जुड़े रिस्क और सर्जरी की वजह से छाती पर दिखायी देने वाले बड़े निशान को लेकर चिंता थी। तब डॉक्टरों ने मिनीमॅली इन्वेसिव टोटल एंडोस्कोपिक कार्डियाक सर्जरी का फैसला किया। मरीज के दाएं बगल के नीचे चार छोटे आकार के चीरे (प्रत्येक 5 से.मी. से कम) लगाए गए और बिना छाती खोलने उनके हृदय के छेद को सफलतापूर्वक बंद किया गया। इस एडवांस तकनीक की सुविधा भारत के कुछ गिने-चुने केंद्रों पर ही उपलब्ध है। इससे मरीज की त्वरित रिकवरी होती है और पीड़ा भी कम से कम होती है, तथा सर्जरी के बाद शरीर पर उभरे निशानों को देखकर पैदा होने वाले मनोवैज्ञानिक दबाव से भी बचाव होता है। सर्जरी के बाद इको (ECHO) टैस्ट से मरीज के हृदय में मौजूद रहे छेद के पूरी तरह से बंद होने की पुष्टि भी हो चुकी है।
इस मामले की और जानकारी देते हुए, डॉ महेश वाधवानी, डायरेक्टर एवं एचओडी सीटीवीएस, फोर्टिस हॉस्पीटल मानेसर ने बताया, “एंडोस्कोपिक कार्डियाक सर्जरी काफी उन्नत और जटिल प्रक्रियाओं में से एक है, जिसे देश के कुछ गिने-चुने केंद्रों में ही किया जाता है। इसमें एक पतली, लचीली ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है जिसके साथ एक कैमरा जुड़ा होता है (एंडोस्कोप) होता है, इसे मामूली चीरा कर मरीज के शरीर में डाला जाता है ताकि हृदय की सर्जरी करने के लिए स्पष्ट रूप से देखा जा सके। इसका इस्तेमाल आमतौर से एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट क्लोज़र तथा अन्य सीएचडी संबंधी कंडीशंस के इलाज में होता है। इस तकनीक का एक बड़ा फायदा यह होता है कि मरीज की तेजी से रिकवरी होती है, उसे शारीरिक पीड़ा भी कम होती है और साथ ही, सर्जरी की वजह से छाती पर बनने वाले बड़े निशानों को देखने से होने वाली मनोवैज्ञानिक पीड़ा से भी नहीं गुजरना पड़ता। इस मामले ने एक बार फिर इस बात की पुष्टि की है कि किस प्रकार कार्डियोक केयर में इनोवेशन और प्रिसीजन से किस प्रकार युवाओं की जिंदगी को बदला जा सकता है। हम जेनेसिस फाउंडेशन के आभारी हैं जिन्होंने इस मामले में वित्तीय मदद दी क्योंकि मरीज के पिता इस सर्जरी का बोझ उठाने में असमर्थ थे।”
डॉक्टरों का आभार व्यक्त करते हुए मरीज की माताजी ने कहा, “हमें शुरू से ही पता था कि मेरे बेटे के हृदय में छेद है। हमने नॉर्थ इंडिया के कई अस्पतालों में बेटे को दिखाया और डॉक्टरों से परामर्श किया, लेकिन हर जगह हमें ओपन हार्ट सर्जरी का ही विकल्प दिया गया, जिसका मतलब था सर्जरी के बाद बड़े निशान और साथ ही, रिकवरी में धीमी गति जो लंबा समय भी लेती है। आखिर में हम फोर्टिस हॉस्पीटल मानेसर, गुड़गांव आए और हम यहां पिडियाट्रिक कार्डियोलॉजी तथा स्ट्रक्चरल हार्ट डिज़ीज टीम से मिले। पूरी जांच और मूल्यांकन तथा सलाह-मश्विरा के बाद हमें उम्मीद जगी कि यहां हमें वही उपचार मिलेगा जो हम चाहते हैं। हमें उस वक्त काफी राहत महसूस हुई जब डॉक्टरों की टीम ने मिनीमॅली इन्वेसिव सर्जरी का विकल्प सुझाया जिसमें छाती को खोले/काटे बगैर ही हृदय का छेद बंद हो सकता है। हम पैरेंट्स के लिए यह काफी सुकून का विषय था। अब सर्जरी के बाद हम अपने बेटे को खुशहाल और सेहतमंद जिंदगी जीते देखकर हम काफी खुश हैं। अभिजीत सिंह, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस मानेसर ने कहा, “फोर्टिस हॉस्पीटल मानेसर में अत्याधुनिक कैथ लैब्स, हाइ रेज़ोल्यूशन इमेजिंग सुविधा, और विस्तृत डायग्नॉस्टिक क्षमताओं समेत नवीनतम एवं उन्नत हेल्थकेयर टैक्नोलॉजी उपलब्ध है। यह मामला इस बात का पुख्ता उदाहरण है कि किस प्रकार उन्नत और आधुनिक टैक्नोलॉजी की मदद से मरीज की रिकवरी कम समय में मुमकिन है और स्वास्थ्यलाभ भी बेहतर होता है।