जबरदस्त कहानियों से अर्जन वैली वे तक और लकी अली, मोहित चौहान की मौसिकी में डूबे-डूबे रह गये दिल्लीवासी.
punjabkesari.in Sunday, Feb 02, 2025 - 05:30 PM (IST)
गुड़गांव ब्यूरो : दिल्ली की सर्द शामें, चुनावी सरगर्मी, बजट और सप्ताहअंत के बीच दिल्लीवासियों के लिए घूमने-फिरने, मस्ती मजा करने की खुमारी में सुंदर नर्सरी में जारी कथाकार इंटरनेशनल स्टोरीटेलर्स फेस्टिवल खूब लुभा रहा है। फेस्टिवल में रोमांच, हल्के-फुल्के हंसी-फुहार के पल, बैठक में किस्से-कहानी, गीत-संगीत और चर्चायें उन्हें अविस्मरणीय अनुभव दे रही हैं और उन्हें बांधे हुए है। गहिलोत बहनों - रचना, प्रार्थना और शगुना द्वारा निर्मित एवम् क्यूरेट इस फेस्टिवल का आयोजन निवेश, एचएचएसीएच और बाबाजी म्यूजिक द्वारा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय एवम् पर्यटन मंत्रालय और दिल्ली पर्यटन, दिल्ली सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। यह फेस्टिवल का 18वां संस्करण है।
कहानियां हमारे जीवन का अभिन्न अंग है, बचपन से लेकर जीवन के तमाम सफर में कभी हम कहानियां सुनते हैं, सुनाते हैं, बनाते हैं और जीवंत कथा-कहानियों का हिस्सा बने रहते हैं। शायद यह कहानियों और इससे जुड़े विभिन्न पहलू ही हैं, जो आज के दौर में डिलीटल दुनिया की खुमारी के बीच भी सुंदर नर्सरी में आयोजित कथाकार फेस्टिवल के लिए लोगों को उत्साहित कर रहे हैं और लगातार दर्शक इससे जुड़कर ना केवल पुरानी यादों, या कहानियों की दुनिया में गोते लगा रहे हैं, बल्कि उत्सव की अन्य रोमांचक गतिविधियों से भी रूबरू होने का अवसर जी रहे हैं। हमारी परम्पराओं, विरासत और पौराणिक गाथाओं के माध्यम से जीवन के विविध पहलुओं को छूती व अमर करती यह दास्तां आयोजकों के लिए भी सकारात्मक पहलू है।
उत्सव के दौरान विदेशी कहानीकारों चाहे वह उसीफू जलोह (सिएरा लियोन) हों, या पोलिना त्सेरकसोवा (एस्टोनिया) या फिर नामा तेल त्सुर (इज़राइल) तीनों ने ही अपने कहानी कहने के अंदाज के दिल्लीवासियों का दिल जीता है, विशेषरूप से उसीफू तो दर्शकों के बीच हिंदी फिल्मी गीतों का भी जादू बिखेर रहे हैं। तीनों ही कहानीकारों की विविधता भरी कहानियां, उन्हें प्रस्तुत करने का सशक्त अंदाज और दर्शकों के साथ तालमेल बहुत संजीदा अनुभव है। जहां उत्सव के पहले दिन लोकप्रिय निर्देशक इम्तियाज अली ने मोहित चौहान के साथ हुए सत्र में लोगों को बांधे रखा, उनसे संवाद किया, कहानियां सुनाई और उनके अनुभवों को जाना यह काफी दोस्ताना अंदाज था जो सभी को कायल कर रहा था। वहीं कुटले खान के राजस्थानी फोक ने लोक-संगीत की शानदार छटा बिखेरी, अपने गीतों सहित उन्होंने कई पारम्परिक लोकगीत सुनाकर दर्शकों का मनोरंजन किया।
फेस्टिवल के दूसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय कहानीकारों का जादू दर्शकों पर बरकरार रहा। प्रेरित करती, जीवन जीने का अंदाज बताती कहानियां, हल्के-फुल्के अंदाज में गूढ़ संदेश और तरह-तरह की अवाजें निकालने का उनका अंदाज सभी पर छाया रहा। शाम के दूसरे सत्र में गायक मोहित चौहान के साथ निर्देशक अनुराग बासु के सत्र का संचालन किया प्रार्थना गहिलोत ने। यहां दोनो ने दर्शकों के साथ जुगलबंदी में अपने अनुभव साझा किये, उनके सवालों के जवाब दिये। अनुराग ने अपने फिल्मी व टीवी के दिनों को याद किया और बताया कि किस तरह से समय के साथ कहानियों को प्रस्तुत करने का अंदाज बदला है और दर्शकों की पसंद बदली है। अनुराग ने बीच में कुछ मजेदार स्टेप भी किये, जिनका दर्शकों ने लुत्फ उठाया, उन्होंने कहा कि आज के समय में रील के कायल युवाओं की उपस्थिति सराहनीय है, जहां अमूमन वे रील बनाते और देखते दिखते हैं वहां इतने मशगूल होकर गंभीरता से हमसे जुड़े है, इससे पहले सभी ने कहानीकारों के साथ अच्छा समय बिताया, यह बताता है कि पल-पल दर्शकों की पसंद और राय बदलती है और दौर नियमित रूप से बदलता रहता है।
अर्जन वैली वे गीत से अपनी बुलंद आवाज और अंदाज के कायल करके सुर्खियां पाने वाले भूपिंदर बब्बल ने मंच पर आते हुए पंजाबी तड़का लगा दिया और जो दर्शक शालीनता और गंभीरता से फेस्टिवल का लुत्फ उठा रहे थे, उनका रोमांच और उत्साह अलग स्तर पर पहुंच गया और वे बब्बल की तान पर झूमते, गाते नज़र आये। बब्बल ने अर्जन वैली ते, छल्ला सहित एक के बाद एक कई पंजाबी गीत प्रस्तुत किये और माहौल बना दिया। और अंततः दर्शकों का मौका मिला उस पल का जिसके लिए वे शाम से इंतजार कर रहे थे, उनके पसंदीदा और प्रख्यात गायक लकी अली से रूबरू होने का।
किस्से कहानी और मौसिकी सत्र में उनका व मोहित चौहान की बातचीत का संचालन किया प्रार्थना गहिलोत ने। यह सत्र बातचीत से ज्यादा दोस्ताना तालमेल भरा रहा। जहां मोहित एवं लकी अली ने दर्शकों संग हल्के-फुल्के अंदाज में चुटकी ली, उनके सवालों के जवाब तो दिये ही, साथ ही उनकी डिमांड पर अपने कई गानों की पंक्तियां सुनायी और दर्शकों ने भी उनका पूरा साथ दिया। इन सत्रों में समय कब कैसे बीता पता ही नहीं लगा और दर्शक तो उनके गीत डूबा-डूबा रहता हूं कि भांति उनके अंदाज में डूबे-डूबे रह गये।