वायु प्रदूषण: हरियाणा की ‘हवा’ में घुल रहा ‘जहर’, इन 7 शहरों का स्तर रहा अत्यंत चिंताजनक
punjabkesari.in Thursday, Nov 25, 2021 - 08:56 AM (IST)
चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : मनुष्य को सेहतमंद रहने के लिए अक्सर पौष्टिक खान-पान के साथ-साथ स्वच्छ वातावरण को अहम माना गया है लेकिन पिछले एक दशक से ‘बदलाव’ का एक ऐसा दौर शुरू हो गया जिसे सेहत के लिहाज से खतरा कहा जाए तो कोई संदेह नहीं होगा। चूंकि खान-पान तो बदला ही साथ ही वातावरण में आया बदलाव ही नहीं अपितु इसे गिरावट कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस समय बदले वातावरण के साथ मानव शरीर के साथ साथ पशुओं पर भी जो चीज सर्वाधिक विपरीत प्रभाव डाल रही है कि वह है वायु में फैला प्रदूषण।
इस वायु प्रदूषण से जीवन इस कदर प्रभावित हो रहा है कि इसे वायु में घुल रहा जहर भी कहा जा सकता है। इसी नवम्बर माह की बात करें तो हरियाणा में दीपावली के बाद से वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है और प्रदेश के विभिन्न शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयर क्वालिटी इंडैक्स) का स्तर स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत घातक सिद्ध होता दिख रहा है। इनमें से बुधवार सांय 6 बजे तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वायु प्रदूषण के लिहाज से प्रदेश का गुरुग्राम जिला सबसे अधिक प्रभावित रहा जबकि पंचकूला में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे कम पाया गया।
प्रदूषण स्तर का यूं होता है नुक्सान
वायु गुणवत्ता सूचकांक की बात करें तो इसमें यह पता लगता है कि वायु में प्रदूषण का स्तर कितना है। इसमें भी विभिन्न प्रकार की श्रेणियां बनाई गई हैं। जिस श्रेणी को स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा माना जाता है उसमें यह सूचकांक 0 से 50 तक होना चाहिए जबकि संतोषजनक श्रेणी में यह सूचकांक 51 से 100 के बीच माना गया है। 101 से 200 तक चिंताजनक कहा जा सकता है। इसी प्रकार 200 से 300 के बीच वायु में सूचकांक का होना नुक्सानदायक माना जाता है जबकि 301 से 400 तक खतरनाक व 401 से ऊपर के स्तर को अत्यंत घातक की श्रेणी में रखा गया है। चिकित्सकों के अनुसार यूं तो 200 से ऊपर वायु प्रदूषण का स्तर बच्चों व बुजुर्गों के साथ-साथ हृदय व श्वास रोगियों के लिए काफी नुक्सानदायक साबित हो सकता है।
सी.एम. खट्टर ने फिर किया किसानों से पराली न जलाने का आह्वान
यूं तो हर वर्ष इन दिनों में वायु प्रदूषण बढ़ता ही है मगर इसमें अन्य कारणों के साथ-साथ किसानों द्वारा पराली जलाने को बड़ा कारण माना जाता है और इस कारण को लेकर राजनीतिक वाद-विवाद भी काफी जोर पकड़ता है लेकिन हर बार विभिन्न राज्यों खासकर हरियाणा, पंजाब व दिल्ली के मुख्यमंत्रियों द्वारा किसानों से पराली न जलाने का आग्रह भी किया जाता है और इस बारे सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए जाते हैं मगर फिर भी पराली जलाने के मामले सामने आते ही हैं। इस बारे बुधवार को ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ट्वीट कर किसानों से फसल अवशेष न जलाने की अपील करते हुए एक जिम्मेदार नागरिक की तरह वायु प्रदूषण रोकने का आह्वान किया है।
इन शहरों में ऐसी रही स्थिति
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बुधवार सायं 6 बजे तक हरियाणा को लेकर जो जानकारी उपलब्ध रही उसके मुताबिक प्रदेश के 7 शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर अत्यंत चिंताजनक रहा। यानी इन शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से अधिक रिकार्ड किया गया। इनमें गुरुग्राम में सर्वाधिक 379, फरीदाबाद में 365, जींद में 341, सोनीपत में 322, हिसार में 313, कैथल में 308, यमुनानगर में 305 व बहादुरगढ़ में यह सूचकांक 304 दर्ज किया गया जबकि सबसे कम 124 पंचकूला में दर्ज हुआ।
हरियाणा के अन्य शहरों की बात करें तो सभी शहरों में ही एयर क्वालिटी इंडैक्स स्वास्थ्य की दृष्टि से चिंताजनक ही पाया गया। बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक रोहतक में यह इंडैक्स 296, मानेसर में 291, अम्बाला में 289, कुरुक्षेत्र में 285, बल्लबगढ़ में 276, करनाल में 267, भिवानी में 197, दादरी में 247, सिरसा में 246,धारुहेड़ा में 260, फतेहाबाद में 188, मेवात में 156, नारनौल में 193, पलवल में 188 व पानीपत में 265 रिकार्ड किया गया।
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