खट्टर सरकार पर आरोप, कॉंग्रेस शासन में बने आरटीआई कानून को सरकार ने किया खत्म

punjabkesari.in Tuesday, Nov 16, 2021 - 05:14 PM (IST)

चंडीगढ़(धऱणी): प्रदेश सरकार द्वारा आरटीआई एक्ट में किए गए संशोधनों से आक्रोशित हरियाणा के विभिन्न जिलों के सूचना अधिकार प्रहरियों ने हरियाणा राज्य सूचना आयोग पर प्रदर्शन कर मुख्य सूचना आयुक्त यश पाल सिंघल को राष्ट्रपति के नाम 12 सूत्री ज्ञापन सौंपा । जनअभियान मंच के प्रदेशाध्यक्ष एवं आरटीआई प्रहरी पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार व सूचना आयोग ने  मिलकर आरटीआई एक्ट-2005 की हत्या कर दी है । इस कारण शासन-प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही लाने व लोकतंत्र में जन भागीदारी के लिए 16 वर्ष पूर्व  कांग्रेस शासन में बना आरटीआई एक्ट प्रदेश में पूरी समाप्त हो चुका है ।नतीजन भृष्टाचारियों को लूट का लाइसेंस मिल गया है ।

हरियाणा सरकार का आरटीआई विरोधी एजेंडा 
प्रदेश सरकार ने अपने आरटीआई विरोधी एजेंडे के तहत आरटीआई आवेदन पत्र के फॉर्मेट मेंं दिनांक 12 अप्रैल 2021 के अपने गजट नोटिफिकेशन द्वारा तबदीली करके आरटीआई आवेदक का आईडी प्रूफ अनिवार्य कर दिया है।ऐसा तो पूरे देश मे कहीं नहीं हुआ । संसद द्वारा पारित इस कानून में इस असैंवधानिक तबदीली के विरूद्ध राज्य सूचना आयेग के आदेशों को भी सरकार नहीं मान रही । इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के केस न. 10044/2010 में  वर्णित  ओपिनयन को सुप्रीम कोर्ट का आर्डर बताते हुए चीफ सैक्रेटरी (प्रशासनिक सुधार)  ने  गत 5 जनवरी को सर्कुलर जारी करके प्रदेश के कर्मचारियों की शैक्षणिक योग्यता, अनुभव प्रमाण पत्र जैसे पब्लिक डॉक्यूमैंट देने पर रोक लगवा दी है। इससे सरकारी नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में भ्रष्टाचार करने वाले भ्रष्टाचारियों को फर्जीवाड़े का लाईसेंस मिल गया है।

प्रदेश सरकार ने अपनी ओर से आरटीआई  एक्ट लागू कराने के लिए जो कुछ करना था,  वह ना करके नित नए असंवैधानिक फरमान जारी करके आरटीआई एक्ट की हत्या कर दी है। राज्य सूचना आयोग में आरटीआई एक्ट के जानकारों को सूचना आयुक्त नियुक्त न करके अपने चहेते ब्यूरोक्रेट अथवा भाजपा/आरएसएस से जुड़े डम्मी लोगों को राज्य सूचना आयुक्त लगाया जाता है। प्रदेश में बिना ट्रेनिंग नियुक्त राज्य जनसूचना अधिकारियों/प्रथम अपीलीय अधिकारियों को आरटीआई एक्ट की  क/ख/ग  तक नहीं मालूम। इसी प्रकार  सूचना आयोग का करोड़ों रुपये वार्षिक बजट होने के बावजूद आम जनता को इस कानून बारे जागरूक करने पर एक पैसा खर्च नहीं किया । आरटीआई एक्ट के सैक्शन-4 के तहत सभी सरकारी विभागों को अपनी वैबसाईट पर अपनी समस्त सूचनाएं जो 16 वर्ष पहले अपलोड करनी थी,वे आज तक नहीं की ।

राज्य सूचना आयोग की दुर्दशा
इसी प्रकार राज्य सूचना आयोग मेें सूचना आयुक्तों के 11 में से 6 पद रिक्त पड़े हैं। सूचना आयोग में लंबी-लंबी तारीखें लगाकर अपीलकर्ताओं का मनोबल तोड़ा जा रहा है। निर्धारित 30 दिन में सूचना न देने के डिफॉल्टर जनसूचना अधिकारियों को जुर्माना लगाए बगैर छोड़ देते हैं । सूचना दिलवाए बगैर अपील केस बंद कर दिए जाते हैं ।सुनवाई के बाद महीनों तक आयोग के आदेश न तो लिखे जाते हैं और न ही अपीलकर्ताओं को  मिलते हैं।

जन अभियान मंच की प्रमुख मांगे
1. राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के सभी 6 रिक्त पदों पर डम्मी व्यक्तियों को ना लगाकर तत्काल आरटीआई एक्ट के जानकार व योग्य व्यक्तियों की नियुक्ति हो ।(2). हरियाणा सरकार द्वारा आवेदन पत्र के साथ आईडी प्रूफ लगाने की अनिवार्यता का आदेश वापिस हो।(3).हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी/अर्धसरकारी कर्मियों की शैक्षणिक योग्यता अनुभव प्रमाण पत्र जैसे पब्लिक डॉक्यूमेंट देने पर लगाई रोक रद्द करो।(4). आरटीआई एक्ट-2005 के सैक्शन-4 के तहत सभी सूचनाएं सभी विभागों की अधिकारिक वैबसाईट पर डाली जाएं।(5). जुर्माना राशि 1000 रूपये प्रतिदिन हो व  डिफाल्टर जनसचूना अधिकारी पर विभागीय दंडात्मक कारवाई अनिवार्य हो।(6). सभी राज्य जनसूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकारियों को आरटीआई एक्ट-2005 की ट्रेनिंग दी जाए।(7). ऑनलाईन आरटीआई आवेदन लगाने व अपील केसों की ऑनलाईन वीडियो/ऑडियो कॉन्फ्रेंस से सुनवाई की व्यवस्था हो। (8).  2.75 करोड़ रूपये की जुर्माना राशि सूचना ना देने के डिफाल्टर जन सूचना अधिकारियों के वेतन से काटकर रिकवरी की जाए । कार्यक्रम में आरटीआई एक्टिविस्ट  एडवोकेट राजेश शर्मा,सुनील गिरधर,मुकेश  लूथरा ,सीता राम बरवारिया,सतीश बठला,सुरेश कुमार, ,विनोद,रिंकू आदि शामिल हुए ।


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Content Writer

Isha

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