भावना अरोड़ा की बहुप्रतीक्षित पुस्तक''नगरोटा अंडर सीज ''चंडीगढ़ में हुई रिलीज
punjabkesari.in Sunday, Nov 24, 2024 - 08:21 PM (IST)
चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी ): भावना अरोड़ा की बहुप्रतीक्षित पुस्तक 'नगरोटा अंडर सीज', जो भारतीय सेना की वीरता और बलिदान का एक शक्तिशाली गाथा है, को पेंगुइन ने रविवार को प्रेस क्लब चंडीगढ़ में रिलीज किया। इस अवसर पर मेजर जनरल नीरज बाली एसएम; लेफ्टिनेंट जनरल ए के शर्मा, यूवाईएसएम, वाईएसएम, एसएम; लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वीएसएम एंड बार, एडीसी और मीनू शेखावत उपस्थित थे।
भारतीय सेना की अदम्य भावना के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में, 'नगरोटा अंडर सीज' 29 नवंबर, 2016 की दर्दनाक घटनाओं को याद कराती है, जब जम्मू और कश्मीर में नगरोटा सैन्य बेस पर एक क्रूर आतंकवादी हमला हुआ था। दो महीने पहले ही भारतीय सेना के सफल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद प्रतिशोध से प्रेरित भारी हथियारों से लैस घुसपैठियों ने शिविर पर निर्दयी हमला किया।
बेस के भीतर रहने वाले परिवारों और जीवन को दांव पर लगाने के साथ, सेना के जवानों ने बलिदान की सच्ची भावना व असाधारण साहस दिखाया। बेस्टसेलिंग लेखिका भावना अरोड़ा की यह पुस्तक पाठकों को उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन की गहराई में ले जाती है यहाँ भारतीय सेना ने शौर्य की अनूठी मिसाल पेश कर अनगिनत लोगों की जान बचाई और बहादुरी की एक स्थायी विरासत दी।
भारत की सबसे प्रिय लेखिकाओं में से एक भावना अरोड़ा को उनके बेस्टसेलिंग उपन्यासों के लिए जाना जाता है, जो वीरता की सच्ची कहानियों को प्रकाश में लाती हैं। एक शिक्षक, कॉर्पोरेट ट्रेनर और शिक्षाविद्, भावना को भारतीय सशस्त्र बलों के अनुभवों का दस्तावेजीकरण करने का एक स्थायी जुनून है। उनकी वीरता और बलिदान के प्रति उनकी भक्ति ने उनके लेखन को आकार दिया है, जो उनकी विरासत का सम्मान करने वाले आख्यानों में जान फूंकते हैं।
नगरोटा अंडर सीज में, वह सैन्य बहादुरी के मानवीय पक्ष को मार्मिक रूप से पकड़ती है, जो उसके शोध की गहराई और उसकी कहानी कहने की तीव्रता को दर्शाती है।
मीडिया से बात करते हुए भावना अरोड़ा ने कहा, 'नगरोटा अंडर सीज' उन लोगों के साहस और बहादुरी के बारे में बात करती है जो ऑपरेशन में शामिल थे। पुस्तक में इस बात का प्रत्यक्ष विवरण दिया गया है कि किस तरह से हमारे सुरक्षा बलों द्वारा पूरे कठिन ऑपरेशन को बहादुरी से अंजाम दिया गया था।उन्होंने आगे कहा, "हर सुबह एक नए जीवन की शुरुआत करती है। लेकिन यह उन लोगों के लिए सच नहीं था, जो 29 नवंबर, 2016 की सुबह नगरोटा छावनी में भारी गोलीबारी और ग्रेनेड फटने की गगनभेदी आवाज़ों से जागे।
यह वह मनहूस सुबह थी जब तीन फिदायीन, कुछ स्थानीय लोगों की मदद से, भारी सुरक्षा वाले सैन्य क्षेत्र में घुस गए । आतंकवादी हथियारों, गोला-बारूद और भोजन से लैस थे जो उन्हें एक सप्ताह तक चल सकते थे और छावनी में बंधक जैसी स्थिति पैदा करने की नापाक योजना के साथ आए थे। अर्धसैनिक बलों सहित सेना ने सर्वोत्तम कौशल और प्रशिक्षण से लैस होकर उन सभी को पकड़ लिया और हमारे लोगों को बंधक बनाए जाने की खतरनाक स्थिति को विफल कर दिया।