दुष्यंत के ''गढ़'' से अभिमन्यु ने दिया JJP को झटका, कहा- लोकसभा चुनाव में नहीं होगा गठबंधन
punjabkesari.in Thursday, Feb 01, 2024 - 06:31 PM (IST)

उचाना(प्रदीप श्योकंद): भाजपा के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु आज उचाना में स्वर्गीय कुलदीप सिंह की धर्मपत्नी लक्ष्मी देवी के निधन पर शोक प्रकट करने पहुंचे। बीते दिनों समाज सेविका लक्ष्मी देवी का निधन हो गया था। इस दौरान पत्रकारों से रुबरु हुए कैप्टन ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में विपक्ष द्वारा भाजपा पर बेईमानी करने के लगाए जा रहे आरोपों पर बोलते हुए कहा कि जो हार को नहीं पचा पाते हैं, ये उन लोगों की फितरत होती है। जब-जब कांग्रेस या इनके गठबंधन के लोग चुनाव हारते हैं तो कभी ईवीएम को दोष देते हैं तो कभी किसी और को। लेकिन अपने अंदर नहीं झांकते हैं।
जब हिमाचाल, पंजाब में चुनाव जीता तो किसी तरह के आरोप नहीं लगाए, तब सब ठीक होती है। हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के लोगों का ही वोट खराब हुआ था। उसकी जबावदारी तो कांग्रेस के लोगों की थी। तब भी पढ़े-लिखे लोग थे। आज उनके अपने वोटों में कमी है, ट्रेनिंग में कमी है उसका जबाव अपने अंदर से लेना चाहिए, जिनके वोट खारिज हुए है। उनसे पूछना चाहिए। जिनके वोट खारिज हुए है वो तो अब तक कुछ नहीं कह रहे है। ये लोकतंत्र की जीत है।
जेजेपी राष्ट्रीयध्यक्ष अजय चौटाला के गठबंधन को लठ की तरह मजबूत के बयान पर बोलते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि अच्छी बात है, विधानसभा में बहुमत के लिए हमें उनके सहयोग की जरूरत है। विधानसभा में बहुमत के लिए लठ गड़ा रहे तो अच्छी बात है। लोकसभा चुनाव गठबंधन में लड़े जाने के सवाल पर कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि अभी तो राजनस्थान में चुनाव हुए तो उन्होंने अपने सिंबल पर चुनाव लड़े। हमने अपने सिंबल पर लड़े। पहले भी हमने दस की दस लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़े हैं। इस बार भी दस की दस सीटों पर कमल खिलेगा।
कुमारी शैलजा द्वारा भाजपा के अंदर गुटबाजी के बयान पर भाजपा नेता ने कहा कि जिसकी जैसी अंदर की सृष्टि है उसकी वैसे दृष्टि होगी। कांग्रेस के लोगों की ऐसी ही अंदर की सृष्टि है। कांग्रेस के लोगों की जैसी नजर है वैसे उन्हें नजारा दिखता है। कांग्रेस द्वारा निकाली जा रही जन संदेश यात्रा पर बोलते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आज कहा है न तो हरियाणा में आज पार्टी है न ही संगठन है। पार्टी के पांच-पांच अध्यक्ष हैं। ये तो कुछ परिवार हैं जो अपनी राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं।
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