तारों की छांव से समय का अंदाजा लगा करती थी प्रैक्टिस, अब सफलता ने छुए पैर

punjabkesari.in Sunday, Jan 12, 2020 - 12:12 PM (IST)

शाहाबाद मारकंडा(सपरा): वल्र्ड गेम्स एथलीट ऑफ दि ईयर में कप्तान रानी रामपाल का नाम नामित होने से रानी की माता राममूर्ति व पिता रामपाल गौरवान्वित हैं और इस खुशी पर फूले नहीं समा रहे हैं। रानी की इस उपलब्धि पर माता-पिता की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े और कहा कि आज उनकी बेटी ने वह कर दिखाया है जो बेटे कभी नहीं कर सकते। 

माता राममूर्ति व पिता रामपाल ने कहा कि जिसकी बेटी देश का गौरव हो उससे बड़ी अमीरी क्या हो सकती है। उन्होंने रानी को हमेशा एक बेटे की तरह समझा है। पिता ने रानी की दास्तान के पीछे छिपे संघर्ष पर बात करते हुए कहा कि जब रानी ने हॉकी की शुरूआत की थी तो घर में गरीबी की दास्तां थी और एक छोटी-सी गरीब कालोनी में उनका कच्चा मकान था। घर में अलार्म वाली घड़ी तक नहीं थी और रानी को सुबह 5 बजे हॉकी मैदान में पहुंचना होता था। लेकिन घड़ी न होने के कारण वह तारों की छांव से समय का अंदाजा लगाते थे और रानी को उठाकर वह ग्राऊंड के लिए रवाना करते थे। इस चक्कर में रानी रामपाल कईं बार रात्रि 3-3 बजे भी उठी है। 

पिता रामपाल ने कहा कि रानी जब 8 साल की थी तो रानी ने खेलना शुरू किया था और बड़ी ही कुशलता के साथ अभ्यास किया। उस समय इतनी गरीबी थी कि रानी के खेलने के लिए बढिय़ा शूज भी उनके बस की बात नहीं थी लेकिन कोच बलदेव सिंह ने रानी को सभी साधन उपलब्ध करवाए यहां तक कि ग्राऊंड में आने जाने के लिए साइकिल की व्यवस्था भी कोच बलदेव सिंह ने की।


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Isha

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