बच्चे, युवा और बड़ों में बढ़े इस बीमारी के केस, समय पर पहचाने लक्षण, तुरंत कराएं इलाज

punjabkesari.in Thursday, Sep 25, 2025 - 04:29 PM (IST)

डेस्कः हाल ही में 2 से 7 वर्ष की आयु के बच्चों में हैंड-फुट-माउथ डिजीज (HFMD) के मामलों में हल्की वृद्धि देखी थी, लेकिन अब इस वायरस से वयस्क और अधिक उम्र के लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। कई बच्चों में बुखार, मुंह में छाले और त्वचा पर चकत्ते जैसे लक्षण सामने आए हैं। एक्सपर्ट्स ने इस बीमारी को गंभीरता से लेने और आवश्यक सावधानी बरतने की सलाह दी है।

हैंड-फुट-माउथ डिजीज क्या है?

AIIMS भोपाल के जनरल मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड और प्रोफेसर डॉ. रजनीश जोशी ने कहा कि यह एक वायरल संक्रमण है, जो कॉक्ससैकीवायरस (Coxsackievirus) के कारण होता है। यह बीमारी आमतौर पर शिशुओं और छोटे बच्चों में अधिक देखी जाती है, लेकिन वयस्क भी इसके संपर्क में आकर संक्रमित हो सकते हैं।

यह वायरस कैसे फैलता है?

  • संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से निकलने वाली बूंदों (ड्रॉप्लेट्स) के संपर्क में आने से
  • संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं या सतहों (जैसे खिलौने, दरवाजे की कुंडी आदि) को छूने के बाद
  • संक्रमित व्यक्ति के थूक, बलगम या द्रव पदार्थ के संपर्क में आने से
  • शुरुआती कुछ दिनों में संक्रमित व्यक्ति यह बीमारी अत्यधिक संक्रामक रूप में दूसरों में फैला सकता है

HFMD के सामान्य लक्षण

  • बुखार
  • सिरदर्द
  • गले में खराश
  • मुंह, जीभ और टॉन्सिल में छाले
  • भूख में कमी
  • हाथ-पैर और डायपर क्षेत्र में रैशेज
  • हाथ-पैर में दर्द या छाले
  • चिड़चिड़ापन (बच्चों में)

कब डॉक्टर से संपर्क करें?

  • लगातार तेज बुखार
  • शरीर में दर्द या ऐंठन
  • डिहाइड्रेशन के लक्षण: जैसे शुष्क त्वचा, वजन में कमी, चिड़चिड़ापन, पेशाब में कमी या अत्यधिक पेशाब, कमजोरी
  • अलर्टनेस की कमी या सुस्ती

इससे कैसे बचें?

  • व्यक्तिगत साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • संक्रमित व्यक्ति से निकट संपर्क से बचें।
  • बच्चों के खिलौने और हाथ नियमित रूप से धोएं।
  • छींकने या खांसने के बाद हाथ धोने की आदत डालें।
  • बीमार होने पर घर पर आराम करें और दूसरों से दूरी बनाएं।

हैंड-फुट-माउथ डिजीज आमतौर पर गंभीर नहीं होती, लेकिन यह बहुत संक्रामक है। बच्चों में यह अधिक देखी जाती है, लेकिन अब वयस्कों में इसके मामले सामने आ रहे हैं, इसलिए सावधानी और समय पर इलाज जरूरी है।


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Content Editor

Deepak Kumar

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