प्रदूषण का मुख्य कारण पराली नहीं, इंडस्ट्री व कंस्ट्रक्शन वर्क में भी बदलाव की आवश्यकता: डॉ सुमिता
punjabkesari.in Friday, Nov 19, 2021 - 10:19 AM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी) : राजनीति का बड़ा मुद्दा बनी हरियाणा-पंजाब की पराली को जलने से बचाने के लिए प्रदेश सरकार और प्रदेश के संबंधित विभाग किस प्रकार के कदम उठा रहे हैं ? किस प्रकार से किसानों को अनुदान दिया जा रहा है? किस प्रकार से किसानों को जागरूक किया जा रहा है? किस प्रकार से किसानों के सामने नए विकल्प रखे जा रहे हैं?
इन विषयों को जानने के लिए पंजाब केसरी ने हरियाणा प्रदूषण विभाग के चेयरमैन एवं हरियाणा कृषि विभाग की एडिशनल चीफ सेक्रेटरी डॉ सुमिता मिश्रा से महत्वपूर्ण बातचीत की। जिसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली प्रदूषण का मुख्य कारण पराली नहीं बल्कि हमारा रोजमर्रा की जीवन शैली है। प्रदेश सरकार की गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश के तमाम विभाग किसानों को जागरूक करने से लेकर तरह तरह के कदम उठा रहे हैं। लेकिन इसके साथ-साथ समाज को खुद अपने में बदलाव लाने की जरूरत है। कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बातचीत हुई। जिसके कुछ आपके सामने प्रस्तुत हैं:-
प्रश्न : दिल्ली और उसकी सीमा के साथ लगते जिलों में हुए वायु प्रदूषण में पराली का जलाया जाना भी जिम्मेदार है। किस प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं ?
उत्तर : हम किसानों को जागरूक करने के लिए 3 महीने पहले ही कार्यवाही शुरू कर देते हैं। किसानों तक मशीनरी पहुंचाना, सब्सिडी उपलब्ध करवाना हमारी प्राथमिकताओं में रहता है और जागरूकता कैंप इत्यादि लगाकर हम किसानों को इसके नुकसान भी बताते हैं। जिससे पराली ना जलाई जाए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी माना गया है कि प्रदूषण का मुख्य कारण पराली नहीं है। हमारी जीवनशैली इसके लिए जिम्मेदार है। चाहे गाड़ियों का बढ़ता प्रयोग हो, ट्रैफिक हो, इंडस्ट्री हो या कंस्ट्रक्शन वर्क हो। इन सभी में बदलाव करने की जरूरत है। केवल पराली पर ही नहीं इन सभी पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रश्न : एनसीआर में सभी स्कूल बंद करने की चर्चा में कितनी सच्चाई है?
उत्तर : सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है और पर्यावरण विभाग द्वारा भी जो आर्डर जारी किया गया है उसमें दिल्ली के साथ लगते हरियाणा के 4 जिले फरीदाबाद, गुड़गांव, सोनीपत और झज्जर में फिलहाल स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। ताकि सड़कों पर चलने वाली स्कूल बसिस व अन्य प्राइवेट व्हीकल्स का प्रयोग कम हो व बच्चों पर भी प्रदूषण का दुष्प्रभाव न पडे। इसके साथ ही पोल्यूटिंग इंडस्ट्री को भी रोका गया है और लोगों से भी आग्रह है कि जितना हो सके घर पर ही काम करें। कम से कम गाड़ियों का प्रयोग करें। आजकल साइकिल एक बहुत अच्छा साधन है। उसका अधिक प्रयोग करें। यह आर्डर 21 तारीख तक लागू है। इसके बाद दोबारा से समीक्षा की जाएगी।
प्रश्न : गैस से जुड़ी इंडस्ट्री को छोड़कर क्या बाकी इंडस्ट्री पर भी प्रतिबंध लगाया गया है?
उत्तर : सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार गठित सेंट्रल एयर क्वालिटी कमीशन द्वारा आर्डर पारित किया है कि सीएनजी व पी एन जी इत्यादि के अलावा बाकि सभी इंडस्ट्री प्रतिबंधित हैं।
प्रश्न : क्या प्रतिबंधित श्रेणी में जनरेटर सेट भी शामिल हैं?
उत्तर : एमरजैंसी सर्विसेज को छोड़कर फिलहाल जनरेटर सेट भी प्रबंधित हैं। क्योंकि उनसे भी काफी प्रदूषण होता है। लेकिन यह पूरे हरियाणा में नहीं केवल एनसीआर के क्षेत्र में ही प्रतिबंध लगाया गया है।
प्रश्न : हरियाणा के 9 शहरों घातक पर्यावरण के नियंत्रण के लिए किस प्रकार के कदम सरकार उठाएगी ?
उत्तर : हरियाणा के 9 शहरों में 381 के करीब एसक्यूवाई आ रहा है।सरकार द्वारा बहुत व्यापक आर्डर जारी किए जा चुके हैं। जिसमें बहुत सी चीजें कवर की गई है। क्योंकि यह एक तरह से प्राकृतिक संकट भी है। क्योंकि इस समय हवाएं रुक जाती हैं। मैट्रोलोजी डिपार्टमेंट को उम्मीद है कि 21 तारीख से कुछ राहत मिलेगी। साथ ही हमारे द्वारा उठाए गए सख्त कदम जैसे पराली प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए पहले से ज्यादा मशीनरी उपलब्ध करवाई गई है। पिछले वर्षों के मुकाबले ज्यादा खर्च किया गया। लगभग 176 करोड रुपए का अनुदान केवल मशीनरी में किसानों को दिया गया। इन सभी चीजों का असर होगा और हमें उम्मीद है कि अगले दो-चार दिनों में कुदरती बदलाव से भी फायदा होगा और राहत मिलेगी।
प्रश्न : क्या ऑड ईवन का भी फैसला लिया गया है ?
उत्तर : ऑड ईवन पर हरियाणा सरकार ने कोई आदेश जारी नहीं किया है और ना ही इन्फोस किए जा रहे हैं। चार जिलों में जो चर्चा ऑड ईवन बारे आप बता रहे हैं यह मेरे संज्ञान में नहीं है।
प्रश्न : किसानों को पराली ना जलाए जाने बारे किस प्रकार से जागरूकता मिशन चलाया जा रहा है ?
उत्तर : पराली को जलने से रोकने के लिए जागरूकता सबसे जरूरी कदम है। क्योंकि आज हमारे पास बहुत सी टेक्नोलॉजी और सॉल्यूशन है। हमारे पास सुपर सीडर, रोटावेटर और बेलिंग मशीन है। हर तरह की मशीनरी है। जिसके उपयोग से किसानों को फायदा तो होगा ही साथ में हमारा प्रदूषण और किसानों की जमीन भी सुरक्षित रहेगी। जिसे लेकर किसानों द्वारा बिलिंग सिस्टम को अपनाने पर 1000 रुपए प्रति एकड़ की सहायता राशि देने का हरियाणा सरकार ने फैसला किया है। साथ ही प्रदेश सरकार किसानों को मशीनरी पर 50 से 80 फ़ीसदी तक अनुदान दे रही है। अगर किसान कस्टम हायरिंग सेंटर से मशीनरी लेगा तो उसे केवल 20 फ़ीसदी ही खर्च करना होगा और इंडिविजुअल खरीद पर 50 फ़ीसदी की अनुदान राशि किसान को मिलेगी। यह एक बड़ा कदम है।
प्रश्न : पराली जलाने वालों के खिलाफ इस बार किस प्रकार की कार्यवाही हुई है ?
उत्तर : अभी तक हमने ऐसे 150 मुकदमे दर्ज किए हैं और 60 से 70 लाख रुपए मौके पर ही फाइन लगाया है। कई हजार चालान किए गए हैं। इंफोर्समेंट हम बड़ी सख्ती से कर रहे हैं। लेकिन मेरा मानना है कि इंफोर्समेंट सबसे अंत का विकल्प है। क्योंकि जो नुकसान वातावरण को और किसानों की जमीन को होना था वह हो जाने के बाद कुछ भी किया जाए उसका कोई लाभ नहीं होगा। इसलिए हमारा फोकस पराली को जलने से रोकने पर रहना चाहिए। करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र और फतेहाबाद जिलों में पराली जलने के सबसे अधिक केस सामने आए हैं।
प्रश्न : किसान जागरूकता कैंप लगाने की स्थिति क्या है ?
उत्तर : पिछले दो माह में हमने जागरुकता को लेकर पूरे हरियाणा में जो सेंसिटिव गांव है, जहां सेटेलाइट डाटा हमारे पास था, जहां बार-बार पराली में आग लगाई गई थी, वहां हमने 10000 से भी ज्यादा किसान जागरूकता कैंप लगाए हैं। 18 नवंबर को भी हर उस गांव- जिले में जहां पूरी कटाई अभी तक नहीं हो पाई है जागरूकता रैली निकाली गई है और मुझे उम्मीद है कि इन कदमों से हम समाज, किसानों और बच्चों में जागरूकता ला पाएंगे। बच्चे भी अपने अभिभावकों के विचारों और सोच को बदलने में एक बड़ा योगदान दे सकते हैं।