6 साल बाद भी फर्जी छात्रों के नाम पर हुई घोटाले की जांच पूरी नहीं कर पाई CBI, HC ने दी चार महीने की और मोहलत

punjabkesari.in Friday, Jun 06, 2025 - 02:09 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी ): हाई कोर्ट के छह साल पूर्व जारी आदेश के बाद भी सीबीआइ हरियाणा के सरकारी स्कूलों में करीब चार लाख 'मौजूद नहीं होने वाले' छात्रों के नाम पर सरकारी फंड की बंदरबांट की जांच पूरी नहीं कर पाई है। इसके लिए सीबीआइ ने कोर्ट से कुछ समय की मांग की। जिस पर हाई कोर्ट ने सीबीआइ को जांच पूरी करने के लिए चार महीनों की मोहलत प्रदान की है। कोर्ट ने साथ ही हरियाणा के प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के महानिदेशक को यह निर्देश भी दिया है कि वे जांच प्रक्रिया में पूरा सहयोग करें और संबंधित दस्तावेज शीघ्रता से उपलब्ध कराएं।

यह आदेश जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा एवं जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता की खंडपीठ द्वारा पारित किया गया। यह आदेश उस अर्जी के निपटारे के दौरान पारित किया गया जिसे सीबीआइ ने इस मामले की जांच के संबंध में दायर किया था। सीबीआइ ने अपनी मांग में अदालत को सूचित किया कि उसने इस मामले में अब तक सात प्राथमिकियां दोबारा दर्ज की हैं और विस्तृत जांच प्रक्रिया प्रारंभ की है, जो अभी जारी है। सीबीआइ ने कोर्ट को अवगत कराया कि जांच में कई ऐसे पहलू सामने आए हैं जिनकी गहराई से जांच आवश्यक है।||
 

साथ ही जांच में ऐसे भारी-भरकम आंकड़ों का विश्लेषण और समेकन भी करना है, जो एक समय साध्य प्रक्रिया है। इसीलिए एजेंसी ने अदालत से अनुरोध किया कि उसे जांच को तार्किक परिणति तक पहुंचाने के लिए चार माह की अतिरिक्त अवधि प्रदान की जाए। साथ ही यह प्रार्थना भी की गई कि प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के महानिदेशक को यह निर्देशित किया जाए कि वे जांच में पूर्ण सहयोग दें और आवश्यक दस्तावेज समय पर उपलब्ध कराएं।

 

हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि किसी भी व्यक्ति द्वारा जांच में कोई बाधा उत्पन्न की जाती है तो सीबीआइ को कानून के अनुसार उचित कदम उठाने की पूरी स्वतंत्रता होगी। इसके अलावा, सीबीआइ ने अदालत से यह भी अनुरोध किया था कि वह रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दें कि वे शिक्षा विभाग तथा हरियाणा सरकार की ओर से दाखिल हलफनामों व अन्य दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराएं। इस पर न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इसके लिए सीबीआइ को नियमानुसार रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष विधिवत आवेदन प्रस्तुत करना होगा।

गौरतलब है कि यह मामला उस गंभीर घोटाले से जुड़ा है जिसमें हरियाणा के विभिन्न सरकारी स्कूलों में ऐसे छात्रों के नाम पर फंड आवंटन व उसके दुरुपयोग का आरोप है जो वास्तविकता में कभी अस्तित्व में नहीं थे। इस मामले में लंबे समय से जांच की मांग की जा रही थी, और सीबीआइ द्वारा जांच संभालने के बाद अब यह केस न्यायिक निगरानी में आगे बढ़ रहा है। अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख एक अक्टूबर निर्धारित की है।

 

फर्जी दाखिलों से जुड़ा है करोड़ों रुपये का यह घोटाला

हरियाणा के सरकारी स्कूलों में फर्जी दाखिले से जुड़े इस घोटाले का खुलासा मई 2016 में हाई कोर्ट में हुआ था, जब राज्य के स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षकों की तैनाती को लेकर सुनवाई हो रही थी। रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी स्कूलों में 22 लाख छात्रों का नामांकन दिखाया गया था, जबकि वास्तविक संख्या 18 लाख पाई गई। शेष चार लाख फर्जी दाखिले पाए गए। आरोप है कि इन फर्जी दाखिलों को सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले फंड के लिए दिखाया गया था। पहले इस मामले की जांच हरियाणा पुलिस को सौंपी गई थी, लेकिन उसकी जांच से असंतुष्ट होकर हाई कोर्ट ने 2019 में इसे सीबीआइ को सौंप दिया।


 


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Content Writer

Isha

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