लोगों के बेहतर जीवन के लिए MM सुपरस्पेशलिटी अस्पताल की पहल, रोबोटिक नी-रिसर्फेसिंग की लॉन्चिंग का मनाया जश्न
punjabkesari.in Monday, Apr 08, 2024 - 01:34 PM (IST)
अंबाला: एमएम सुपरस्पेशलिटी अस्पताल ने लोगों के बेहतर जीवन के लिए एक और छलांग लगाई है। एमएम सुपरस्पेशलिटी अस्पताल ने रोबोटिक नी-रिसर्फेसिंग (घुटने के प्रत्यारोपण संबंधी) की लॉन्चिंग का जश्न मनाया।
एमएम सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के नाम एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ चुकी है, अपने बहुप्रतीक्षित रोबोटिक नी-रिसर्फेसिंग के सफल लॉन्च की घोषणा करते हुए एमएम सुपरस्पेशलिटी अस्पताल ने खुशी का इजहार किया। मेडिकल साइंस के लिए ये उपलब्धि सिर्फ एक मील का पत्थर ही नहीं बल्कि ये हम सबके जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
एमएम सुपरस्पेशलिटी अस्पताल आज अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है। इस अवसर पर एमएम सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के चेयरमैन डॉ. तरसेम गर्ग ने कहा- "यह क्षण हमारे अटूट समर्पण को दर्शाता है और उन लोगों के जीवन में सार्थक बदलाव लाने की हमारी ईमानदार इच्छा को भी जाहिर करता है। हमारा एक ही लक्ष्य है समाज में जरूरतमंद लोगों की सेवा करना।" इस खास मौके पर डॉ. करण सोबती ने कहा कि घुटने की रिसर्फेसिंग सर्जरी में सर्जिकल तकनीक और घुटने के प्रत्यारोपण की गुणवत्ता के मामले में सराहनीय प्रगति देखी गई है।
डॉ. सोबती ने सीएमसी लुधियाना से आर्थोपेडिक्स में एमएस किया है और नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल और घुटने के जोड़ प्रतिस्थापन में फेलोशिप पूरी की है। उन्होंने ब्रीच कैंडी अस्पताल (मुंबई) से घुटने और कंधे में विशेष फेलोशिप की है।इसके अतिरिक्त, उन्होंने जर्मनी में कंप्यूटर नेविगेटेड आर्थ्रोप्लास्टी, चियांग माई, थाईलैंड में एक उन्नत संयुक्त पाठ्यक्रम और ऑस्ट्रेलिया में एक रोबोटिक घुटने कोर्स में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
उन्होंने विस्तार से बताया कि रोसा रोबोटिक्स असिस्टेड घुटना रिसर्फेसिंग ज्यादा सटीकता के साथ सर्जरी करने के लिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का इस्तेमाल करता है। घुटने की रिसर्फेसिंग सर्जरी की आवश्यकता वाले मरीजों को लिगामेंट प्रिजर्विंग सर्जरी का लाभ दिया जाता है, जहां घुटने की सामान्य संरचनाओं को यथासंभव संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है। यह रोजा रोबोटिक्स की मदद के साथ सर्जरी को दर्द रहित बनाता है और फिजियोथेरेपी की कम से कम आवश्यकता के साथ तेजी से रिकवरी करता है। छोटे चीरे के कारण नरम ऊतकों को कम से कम नुकसान होता है जिससे कि खून भी कम बहता है और तेजी से घाव की रिकवरी होती है। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी में इंट्रामेडुलरी रॉड इंसर्शन नहीं होता है, इसलिए फैट एम्बोलिज्म की संभावना भी कम होती है।
डॉ. सोबती ने ये भी बताया कि उत्तर भारत में रोजा रोबोटिक की मदद से अब तक 800 से ज्यादा रोबोटिक सर्जरी हो चुकी हैं। जैसे-जैसे हम इस पद्धति पर आगे बढ़ रहे हैं, हम अपने लक्ष्य के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध हैं। एमएम सुपरस्पेशलिटी अस्पताल का मकसद ऐसी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना जो न केवल अत्याधुनिक हो बल्कि मानव कल्याण के लिए भी हो।