बुढ़ापा पेंशन बंद करने व ब्याज समेत वसूली के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती

punjabkesari.in Friday, Mar 25, 2022 - 02:56 PM (IST)

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी): दो लाख रुपये सालाना से अधिक आय वाले बुजुर्ग दंपतियों की वृद्धावस्था पेंशन बंद करने का निर्णय विवादों में आ गया है। इस फैसले के खिलाफ जींद निवासी कृष्णा व अन्य कई लाभार्थियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं ने महंगाई को देखते हुए इनकम स्लैब बढ़ाने के निर्देश देने की मांग की है। साथ ही याचिकाकर्ताओं की पेंशन को बंद करने और 12 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ पेंशन की राशि की वसूली के आदेश को रद करने की मांग की गई है। 

कोर्ट को बताया गया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद उनके जीवनसाथी की पेंशन में संशोधन हो गया। इससे सभी स्रोतों से कुल पारिवारिक आय दो लाख रुपये प्रति वर्ष की ऊपरी सीमा को पार कर गई है। सरकार ने अपना आदेश पारित करते हुए इस तथ्य को अनदेखा किया है। याचिकाकर्ता को प्रदेश सरकार ने जनवरी 2016 से नवंबर 2020 तक दी गई वृद्धावस्था पेंशन राशि को जल्द से जल्द जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे वह व्यथित हैं। उन्हें यह भी चेतावनी दी गई है कि अगर राशि जमा नहीं करवाई तो उनके खिलाफ नियमानुसार विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी।  याचिकाकर्ता ने 22 फरवरी 2012 को तय की गई दो लाख रुपये प्रति वर्ष की ऊपरी आय सीमा को संशोधित करने  की मांग की है।

याचिकाकर्ताओं के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1999 में वरिष्ठ नागरिकों पर राष्ट्रीय नीति की घोषणा की गई थी। यह संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प के अनुसरण में 1999 को अंतरराष्ट्रीय  वृद्धावस्था वर्ष के रूप में मनाने के लिए सही दिशा में एक कदम था। हाई कोर्ट को यह भी बताया गया है कि 1 अप्रैल 1964 से संयुक्त पंजाब यानी हरियाणा और पंजाब ने 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए वृद्धावस्था पेंशन योजना शुरू की थी। उस समय यह 15 रुपये प्रति माह थी। वर्ष 1987 में इसे बढ़ाकर 100 रुपये प्रति माह कर दिया गया। वर्ष 1991 में न्यूनतम आयु सीमा 65 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष कर दी गई और उसके बाद वृद्धावस्था पेंशन को समय बीतने के साथ बढ़ाया गया।

हरियाणा सरकार की 22 मार्च 2012 की अधिसूचना के तहत  योजना के तहत लाभ के लिए पति या पत्नी की आय सभी स्रोतों सहित 50 हजार रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये प्रति वर्ष कर दी गई थी। इसका अर्थ है कि यदि किसी व्यक्ति की आय दो लाख रुपये है या  अपने पति या पत्नी की आय सहित किसी भी स्रोत से अधिक है तो वह व्यक्ति वृद्धावस्था पेंशन योजना के लिए पात्र नहीं होगा। याचिकाकर्ता के पति  पेंशनभोगी हैं। उन्होंने राज्य के अधिकारियों द्वारा विधिवत आपूर्ति किए गए फार्म को भरकर वृद्धावस्था पेंशन के लिए आवेदन किया था और उस समय वे इसके हकदार थे क्योंकि उनके पति या पत्नी की पेंशन सहित सभी स्रोतों से आय दो लाख  रुपये से कम थी। वर्ष 2016 में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद उनकी पेंशन में वृद्धि की गई है, लेकिन प्रदेश सरकार ने पेंशन के लिए ऊपरी आय सीमा रुपये में वृद्धि नहीं की है। राज्य सरकार ने पेंशन संशोधन के बाद याचिकाकर्ताओं को सभी स्रोतों से घरेलू आय के बारे में विभाग को सूचित करने का निर्देश नहीं दिया था। पेंशन आवेदन पत्र में ऐसा कुछ भी नहीं था जो लाभार्थियों को विभाग को सूचित करने के लिए अनिवार्य करता हो कि उनकी आय दो लाख से ज्यादा हो गई।  याचिकाकर्ताओं की मुख्य शिकायत यह है कि 12 मार्च 2021 को सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना उन्हें 12 प्रतिशत ब्याज सहित वसूली व पेंशन बंद करने का आदेश जारी कर दिया।

 


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Content Writer

Isha

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