Kuldeep नहीं बचा पाए आदमपुर का किला, Chandramohan ने बचा ली भजनलाल परिवार की लाज
punjabkesari.in Sunday, Oct 13, 2024 - 03:58 PM (IST)
हरियाणा डेस्क (कृष्ण चौधरी) : हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे में इस बार एक से बढ़कर एक उलटफेर देखने को मिले जहां एक तरफ जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर पर सवार भारतीय जनता पार्टी ने तमाम पूर्वानुमानों को ध्वस्त करते हुए राज्य में जीत की हैट्रिक लगाकर अब लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। वहीं दूसरी तरफ कई दिग्गजों को चुनाव मैदान में धूल चाटना पड़ा। दिलचस्प है कि उन्हें ऐसे कैंडिडेट के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा, जिसकी जीत की उम्मीद बड़े से बड़े पॉलिटिकल पंडित तक नहीं कर रहे थे।
कुछ ऐसा ही हुआ हिसार जिले के आदमपुर हलके में हुआ जहां हरियाणा की राजनीति के पीएचडी कहे जाने वाले चौधरी भजनलाल के परिवार के वर्चस्व वाली इस सीट पर विधानसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ। भजनलाल के पोते और बीजेपी उम्मीदवार भव्य बिश्नोई कांग्रेस के उम्मीदवार रिटायर्ड नौकरशाह चंद्रप्रकाश के हाथों महज 1268 वोटों से चुनाव गंवा बैठे और इसी के साथ करीब छह दशक बाद परिवार के हाथ से ये सीट निकल गई।
भव्य बिश्नोई की हार के बड़े मायने हैं। क्योंकि आदमपुर प्रदेश का एकमात्र ऐसा हलका है, जहां पर बीते 56 साल से उनके परिवार का कब्जा रहा है। 1966 में हरियाणा के गठन के बाद 1967 का चुनाव छोड़ दें तो 1968 से लेकर 2019 तक इस सीट पर भजनलाल परिवार का कब्जा रहा। इस सीट से उनके दादा और पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल, दादी जसमा देवी, पिता कुलदीप बिश्नोई, मां रेणुका बिश्नोई और खुद वो विधायक रह चुके हैं। परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में भव्य ने 2022 के उपचुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। आदमपुर अच्छे वक्त में तो भजनलाल परिवार के साथ रहा है। उस बुरे दौर में भी मजबूती से परिवार के साथ डटा रहा जब भजनलाल खुद और बाद में उनके बेटे राजनीति में संघर्ष कर रहे थे।
इतिहास गवाह है कि अलग-अलग समय में आए चुनावी लहरों ने हरियाणा के दिग्गजों को अपने गढ़ में ही धाराशायी किया है, लेकिन अब तक आदमपुर इसका अपवाद था। बीते तीन विधानसभा चुनावों का ही उदाहरण दें तो 2009, 2014 और फिर 2019 में कुलदीप बिश्नोई ने सत्ता में आने वाली पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी, लेकिन 2024 में जब बीजेपी ने अपना अब तक का शानदार प्रदर्शन किया तब भी उसके टिकट पर चुनाव लड़ रहे भव्य बिश्नोई अपनी पारंपरिक सीट बचा नहीं पाए। यही वजह है कि इस हार पर कुलदीप सबके सामने अपने आंसूओं को रोक नहीं पाए।
किला ढ़हा लेकिन बच गई परिवार की लाज
आदमपुर में भव्य बिश्नोई की हार भजनलाल परिवार के लिए बड़े झटके के तौर पर देखी जा रही है। 1968 से लेकर अब तक इस परिवार का कोई न कोई सदस्य विधानसभा में आदमपुर का प्रतिनिधित्व जरूर करता रहा है, लेकिन अब ये पहला मौका होगा। जब इस हलके की नुमाइंदगी परिवार के बाहर का शख्स करेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि 56 वर्षों में क्या पहली बार हरियाणा विधानसभा में भजनलाल परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं होगा? जवाब है न क्योंकि भव्य बिश्नोई के ताऊ यानी भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। 2005 के बाद कोई चुनाव नहीं जीत पाने वाले चंद्रमोहन ने इस बार पंचकूला से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल कर फिर से राजनीति में कमबैक किया है। उन्होंने 1997 वोटों के करीबी अंतर से स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता को हराया। चंद्रमोहन पहली बार 1993 में कालका उपचुनाव में जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, तब उनके पिता भजनलाल हरियाणा में मुख्यमंत्री हुआ करते थे। इसके बाद लगातार 1996, 2000 और फिर 2005 में लगातार जीत हासिल की। 2005 में जीत कर आने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। ऐसे में चौधरी भजनलाल के बड़े बेटे कुलदीप भले आदमपुर जैसी पारंपरिक सीट न बचा पाए हों लेकिन उनके बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई ने 15 साल के अंतराल के बाद विधानसभा पहुंचकर परिवार की प्रतिष्ठा जरुर बचा ली है, यानी 1968 से विधानसभा में भजनलाल परिवार के सदस्य की मौजूदगी का सिलसिला अगले पांच वर्षों तक भी जारी रहेगा।
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