16 पिस्तौल व 16 मैगजीन सहित मुख्य हथियार निर्माता गुरदेव सिंह गिरफ्तार

punjabkesari.in Saturday, May 27, 2023 - 08:29 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): मेवात पुलिस ने 16 पिस्तौल व 16 मैगजीन पकड़ने में सफलता प्राप्त की है प्राप्त जानकारी के अनुसार सीआईए स्टाफ तावडू ने हथियारों के जखीरे को पकड़ा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मैं बाद सीआईए स्टाफ ने इस मामले में एक मुख्य हथियार निर्माता अभियुक्त गुरदेव सिंह पुत्र बरार वासी मध्य प्रदेश की गिरफ्तारी भी की है। इससे पहले मेवात पुलिस आसिफ पुत्र आशु वासी नुहु की गिरफ्तारी भी कर चुकी है। इससे पहले मैं बाद पुलिस ने शाहनवाज पुत्र इसब वासी कोसी कलां की गिरफ्तारी भी मथुरा से करने में सफलता पाई थी।

सूत्रों के अनुसार मेवात जिला की पुलिस को हथियार बनाने वाले प्रमुख आरोपी गुरदेव सिंह वासी मध्यपदेश तक पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए शाहनवाज व गुरदेव सिंह से पुलिस जैन छानबीन कर रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मैं बाद पुलिस ने के लिए यह आरोपी बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ था क्योंकि यह बार-बार अपने मोबाइल सिम बदल रहा था तथा साथ ही बार-बार अपनी लोकेशन भी बदल रहा था। बाबा जानकारी के अनुसार आरोपियों के द्वारा 16000 से लेकर 25000 तक पिस्टल बेची जा रही थी। पुलिस को पुख्ता जानकारी एकत्रित करने अकेली कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। नूंह  जिले के अंदर हथियारों तथा अवैध हथियारों की सप्लाई रोकने के लिए नुहु में  पुलिस ने बड़ा ऑपरेशन चलाया हुआ है।नुहु मैंने युक्त पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला ने अवैध हथियारों का काम करने वाले लोगों के खिलाफ अपनी नियुक्ति के बाद जिस प्रकार से कड़ा एक्शन लगातार लिया है उसी कड़ी में पुलिस को यह सफलता मिली है।

हरियाणा जिला नूंह में साइबर जालसाजों के ठिकानों पर एक साथ की गई रेड के बाद जांच में अब तक देश भर में लगभग 100 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का खुलासा किया था।  ये महाठग फर्जी सिम, आधार कार्ड इत्यादि द्वारा देशभर के लोगों से ठगी करते और फर्जी बनाए बैंक खातों में राशि डलवा देते ताकि पुलिस इन तक ना पहुंच सके। इल जालसाजों द्वारा हरियाणा सेे राष्ट्रीय राजधानी, दिल्ली और यूपी से लेकर अंडमान निकोबार तक लोगों को निशाना बनाया जा चुका है। इनके पकड़े जाने से देशभर में साइबर ठगी के लगभग 28,000 केस ट्रेस हुए हैं।  नूंह पुलिस अधीक्षक  वरूण सिंगला द्वारा 27/28 अप्रैल की मध्यरात्रि को 5000 पुलिसकर्मियों की 102 टीमों ने जिले के 14 गांवों में एक साथ छापेमारी की थी। इस दौरान करीब 125 संदिग्ध हैकर्स को हिरासत में लिया गया था। इनमें से 66 आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया गया। हरियाणा से 40 साइबर विशेषज्ञों की एक टीम तैयार की। इस प्रकार साइबर विशेषज्ञों की मदद से पकड़े गए साइबर अपराधियों से  निरंतर पूछताछ की गई और साइबर धोखाधड़ी द्वारा अपनाई जा रही कार्यप्रणाली के साथ-साथ फर्जी सिम और बैंक खातों के स्रोतों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की गई।

साथ ही  केंद्रीय गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की सहायता से भी इन साइबर ठगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले फर्जी बैंक खातों, सिम, मोबाइल फोन आदि को देश भर में प्राप्त साइबर अपराध की शिकायतों से जोड़ने का अनुरोध किया गया था। इस विश्लेषण के दौरान यह बात सामने आई है कि साइबर ठगों ने अब तक देश भर के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से करीब 28000 भोले-भाले लोगों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी को अंजाम दिया है। पकडे़ गए इन साइबर जालसाजों के खिलाफ देशभर में पहले से ही 1346 प्राथमिकी दर्ज होनी पाई गई हैं। ऐसे ठगों की संलिप्तता तय करने के लिए इन साइबर अपराधियों का विवरण राज्यों के संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भेजा जा रहा है।

जांच में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 219 खातों और 140 यूपीआई खातों के बारे में भी जानकारी सामने आई, जिनका इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी करने के लिए किया जा रहा था। ये बैंक खाते मुख्य रूप से ऑनलाइन सक्रिय पाये गये और नौकरी देने के बहाने लोगों को धोखा देकर और फिर आधार कार्ड, पैन कार्ड, मोबाइल नंबर और ऑनलाइन केवाईसी करवाकर ठगी की जा रही थी। इसके अलावा, टेलीकॉम कंपनियों के हरियाणा, पश्चिम बंगाल, असम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु, पंजाब, नोर्थ ईस्ट, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सर्किल से एक्टिवेट 347 सिम कार्ड का भी पता चला है जिनका उपयोग ये ठग साइबर क्राइम के लिए कर रहे थे। जांच के दौरान फर्जी सिम और बैंक खातों का स्रोत मुख्य रूप से राजस्थान के भरतपुर जिले से जुड़ा पाया गया है।

 

साइबर जालसाजों के ठगी करने के तरीके का विवरण देते हुए  वरुण सिंगला के अनुसार ये महाठग फेसबुक बाजार/ओएलएक्स आदि पर बाइक, कार, मोबाइल फोन इत्यादि जैसे उत्पादों पर आकर्षक ऑफर का लालच देकर धोखाधड़ी की घटना को अंजाम देते थे। पीड़ित दिए गए मोबाइल नंबर पर जालसाज को कॉल करता और जालसाज कूरियर शुल्क, उत्पाद के परिवहन आदि के बहाने पीड़ित को धोखा देता लेकिन उत्पाद कभी डिलीवर नहीं होता था।ये जालसाज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मुख्य रूप से नटराज पेंसिल की पैकेजिंग से संबंधित वर्क फ्रॉम होम का विज्ञापन पोस्ट करते थे, प्रति माह 30,000 रुपये की कमाई का वादा करते थे और पंजीकरण शुल्क, पैकिंग सामग्री, कूरियर शुल्क आदि के बहाने भोले-भाले लोगों को ठगते थे।

इसी तरह, साइबर जालसाज यूपीआई ऐप्स में रैंडम नंबर सीरीज की जांच करते थे ताकि पीड़ितों के नाम उन नंबरों के मार्फत उन ऐप्स पर दर्ज करवा सकें। जालसाज फिर उन बेखबर पीड़ितों के कुछ दोस्त व रिश्तेदार के रूप में पेश होकर उनसे किसी न किसी बहाने उनकी ओर से भुगतान प्राप्त करने का अनुरोध करता था। फिर वे फर्जी भुगतान संदेश भेजकर धोखाधड़ी करते थे और इससे पहले कि पीड़ित कुछ गलत पाता, पैसे अपने खातों में स्थानांतरित कर लेते थे। इसी तरह पुराने सिक्के खरीदने के बहाने भोले-भाले लोगों से बड़ी रकम ठगी गई। साइबर अपराधी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आकर्षक प्रोफाइल बनाकर सेक्सटोरशन के माध्यम से पीड़ितों को ठगते थे। पीड़ितों को वीडियो चैट पर आने का लालच देते, जहां वे पीड़ितों की आपत्तिजनक स्थिति में स्क्रीन रिकॉर्डिंग करते थे और फिर उनसे बड़ी रकम वसूलते थे।

वर्तमान में प्रदेश की साइबर हेल्पलाइन टीम में 40 पुलिस कर्मी 24 घंटे काम कर रहे है। प्रदेश में आने वाली साइबर ठगी की शिकायतों को दर्ज कर, संदिग्ध मोबाइल नंबरों को ब्लॉक करने के लिए तुरंत पोर्टल पर अपडेट कर दिया जाता है। फर्जी और अवैध दस्तावेजों पर खरीदे गए इन  सिम को रोकने से साइबर ठगों के मंसूबों को विफल किया जा रहा है। साइबर ठगी को रोकने के लिए प्रदेश में स्टेट क्राइम ब्रांच में गृह मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार  हरियाणा स्टेट साइबर कोआर्डिनेशन सेंटर की स्थापना की गई है।  

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Content Editor

Ajay Kumar Sharma

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