सी.आई.डी. विवाद, अब आलाकमान के हस्तक्षेप का इंतजार

punjabkesari.in Friday, Jan 17, 2020 - 11:14 AM (IST)

चंडीगढ़ (पांडेय): सी.आई.डी. महकमे की बागडोर को लेकर एक सप्ताह से छिड़े विवाद में अब आलाकमान के हस्तक्षेप का इंतजार है। सी.आई.डी. विवाद बारे गृह मंत्री अनिल विज की ओर से हाईकमान को हर रोज की जानकारी दी जा रही है। वहीं, 2 दिनों से मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी विवाद पर कुछ नहीं बोला है। हालांकि विज के तेवर अभी ठंडे नहीं पड़े हैं लेकिन दोहराया है कि मुख्यमंत्री सर्वेसर्वा हैं और कोई भी विभाग अपने पास रख सकते हैं। विज अडिग हैं कि रूल ऑफ बिजनैस मुताबिक सी.आई.डी. गृह विभाग का ही हिस्सा है।

अब देखना यह होगा कि हाईकमान विवाद का निपटारा किस तरह से करवाता है? सवाल यह भी बना है कि सी.आई.डी. गृह विभाग का हिस्सा रहेगा या फिर अलग बनाया जाएगा। माना जा रहा है कि विधानसभा सत्र से पहले विवाद का खात्मा हो सकता है।

हाईकमान के पाले में गेंद
सी.आई.डी. विवाद की गेंद अब हाईकमान के पाले में जा चुकी है। पहले भी आई.पी.एस. अफसरों की तबादला सूची में गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के बीच विवाद का पटाक्षेप आलाकमान के ही हस्तक्षेप से हुआ था। माना जा रहा है कि इस बार भी हाईकमान के हस्तक्षेप से ही मामले का निपटारा होगा। माना जा रहा है कि जल्द इस मामले में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा और प्रदेश प्रभारी डा.अनिल जैन मुख्यमंत्री व गृह मंत्री से बातचीत कर सकते हैं।

बिल तैयार करने में आ रही हैं कानूनी अड़चनें
सी.आई.डी.को गृह विभाग से अलग महकमा बनाने में भी कई कानूनी अड़चनें आ रही हैं। गृह विभाग के सूत्रों की मानें तो सी.आई.डी. के बिना गृह विभाग अधूरा हो जाएगा। फिर पुलिसिंग सिस्टम भी पूरी तरह से हिल जाएगा। मौजूदा सिस्टम में सी.आई.डी. की रिपोर्ट डी.जी.पी. को जाती है और किसी तरह की स्थिति में सबसे पहले सी.आई.डी. का इनपुट अहम होता है। सूत्रों की मानें तो जिन कर्मचारियों और अफसरों को बिल का ड्राफ्ट तैयार करने का जिम्मा सौंपा है वह दुविधा में हैं कि किस तरह से ड्राफ्ट बनाया जाए। फिलहाल अफसरों ने ड्राफ्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं।

सी.आई.डी. की रिपोर्ट भेजने पर हो सकता है फैसला
सत्ता के गलियारे में चर्चा है कि सी.आई.डी.विवाद में हाईकमान की ओर से सर्वमान्य फैसला हो सकता है कि पूर्व की तरह ही सी.आई.डी. की रिपोर्ट मुख्यमंत्री और गृह मंत्री दोनों को ही जाती रहेगी। अफसरशाही में चर्चा है कि सी.आई.डी. को अलग करना आसान नहीं है, ऐसे में पहले की तरह ही सी.आई.डी. की कार्यप्रणाली बनी रहेगी।

कानून-व्यवस्था के लिए इंटैलीजैंस रिपोर्ट जरूरी
सी.आई.डी. को भले ही राजनीतिक सी.आई.डी. करने के तरीके से जाना जाता हो लेकिन सिस्टम में उसकी भूमिका इंटैलीजैंस के तौर पर ज्यादा है। उसके पास बड़े अपराधियों से लेकर आतंकवादियों का डाटा एकत्र करने व उन पर नजर रखना भी होता है। यही नहीं पासपोर्ट तथा विदेशी नागरिकों बारे नजर रखना भी सी.आई.डी. का रुटीन कार्य है।


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Isha

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