देश विरोधी ताकतों के साथ खड़ी कांग्रेस, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का काला दौर वापस लाना चाहती: मुख्यमंत्री

punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2024 - 07:28 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी): मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेशनल कांफ्रेंस द्वारा धारा 370 और 35ए को लेकर प्रस्ताव फिर से लाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने चंडीगढ़ में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि जिस आतंकवाद को खत्म करने के लिए बलिदान दिए गए हैं, उस कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में फिर आतंकवाद और अलगाववाद का वही काला दौर वापस लाना चाहती है। धारा 370 और 35ए को लेकर विधानसभा में आए प्रस्ताव का कांग्रेस ने मौन समर्थन किया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

कांग्रेस का चेहरा जनता के सामने आ गया है। जिस धारा को हटाने के लिए पूरा देश लगा हुआ था, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बलिदान दिया, उस धारा 370 को प्रधानमंत्री मोदी ने समाप्त करके जम्मू-कश्मीर में अतंकवाद का दौर समाप्त किया। जम्मू-कश्मीर विकस की नई ऊंचाइयों को छू रहा,लेकिन वहां के क्षेत्रीय दल नेशनल कांफ्रेंस ने अपने मेनिफेस्टो में धारा 370 को खत्म करने की बात लिखी। विधानसभा में भी धारा 370 बहाली को लेकर बिल लेकर आए और कांग्रेस ने उसका मौन समर्थन किया। कांग्रेस ऐसी ताकतों का साथ दे रही है जो देश को तोड़ने का काम करती हैं।

कांग्रेस स्पष्ट करे कि क्या वह देश विरोधी ताकतों के खड़ी है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में धारा 370 और 35ए को फिर से लाने के नेशनल कांफ्रेंस के प्रस्ताव का समर्थन कर कांग्रेस ने देश को तोड़ने का कुचक्र फिर से चल दिया है। इस प्रस्ताव की कोई कानूनी वैधता नहीं है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर विधानसभा संसद या सुप्रीम कोर्ट से ऊपर नहीं है। कोई भी विधानसभा अनुच्छेद 370 और 35ए को वापस नहीं ला सकती। धारा 370 और 35ए इतिहास बन चुकी है, इस इतिहास को अब कोई बदल नहीं सकता।  मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि कांग्रेस बताए कि वह कश्मीर के लिए कैसी संवैधानिक गारंटियां चाहती है।

कांग्रेस बताए कि वह कैसे कश्मीर की अलग आईडेंटिटी बनाना चाहती है और अलग अधिकार देना चाहती है? कल विधानसभा में जो भी कुछ हुआ, वह पाकिस्तान और देश विरोधी लोगों को खुश करने के लिए किया गया, जम्मू-कश्मीर की जनता को गुमराह करने के लिए किया गया। सैनी ने कहा कि यह कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस का राष्ट्र विरोधी एजेंडा है। शेख अब्दुल्ला से लेकर उमर अब्दुल्ला तक, भावनात्मक ब्लैकमेल करना नेशनल कॉन्फ्रेंस की दिनचर्या है। 

धारा 370 हटने से आतंकवाद कम हुआ, 300 प्रतिशत पर्यटक बढ़े 
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि हमारी सरकार ने वादा किया था कि जम्मू-कश्मीर को विधानसभा देंगे, चुनाव कराएंगे, केवल 5 साल के अंदर मोदी सरकार ने चुनाव करवाए और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल किया। हम आगे भी जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए काम करेंगे। कांग्रेस फिर से धारा 370 बहाल करके यह बताना चाहती है कि हम वाल्मीकियों, गोरखा समाज, पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थी, पहाड़ी और गुर्जर के खिलाफ हैं। कांग्रेस ने नेशनल कांफ्रेंस के घोषणापत्र का समर्थन कर जम्मू-कश्मीर में आरक्षण को खत्म करने का समर्थन किया था।

वैसे भी राहुल गांधी अमेरिका जाकर आरक्षण को खत्म करने की बात कर चुके हैं। नायब सिंह सैनी ने कहा कि धारा 370 के हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है। नागरिकों की मृत्यु में भी लगभग 80 प्रतशित की कमी आई है। विदेशी नागरिकों के पर्यटन में 300 प्रतिशत का उछाल आया है। जम्मू-कश्मीर का बजट 17 प्रतिशत बड़ा है। पत्थरबाजी की घटना बिलकुल बंद हो गई। आतंकवादी घटनाएं दो-तीन जिलों में ही सिमट कर रह गई। जहां पहले 5-7 प्रतिशत मतदान होता था, वहां भी 50 प्रतिशत मतदान होने लगा। 

कांग्रेस के इरादे ठीक नहीं, राहुल गांधी स्थिति स्पष्ट करे 
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि जी-20 की बैठक जम्मू-कश्मीर में हुई। जम्मू-कश्मीर को 80 हजार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज मिला, 56,000 करोड़ रुपये का निवेश आया। आजादी से लेकर धारा 370 के हटने तक जम्मू-कश्मीर में जितना निवेश आया, उसकी तुलना में तीन गुना निवेश पिछले 4 सालों में जम्मू-कश्मीर में हुआ। कांग्रेस को इसका जवाब देना होगा। कांग्रेस के इरादे ठीक नहीं हैं। कांग्रेस नेता फिर से 90 के दशक वाला जैसा माहौल जम्मू-कश्मीर में बनाना चाहते हैं। राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी अनुच्छेद 370 को हटाने पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे।

कांग्रेस के एक और पुराने नेता सैफुद्दीन सोज ने प्रेस रिलीज करके इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जो प्रस्ताव पास किया गया है, भले ही उसमें से चालाकी से धारा 370 और 35ए का जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन उस प्रस्ताव में जो मांग की गई है, वह धारा 370 और 35ए के जैसी ही है। जब विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित हो रहा था तो भाजपा सदस्य इसका विरोध कर रहे थे जबकि कांग्रेस के सदस्य इसका मौन समर्थन कर रहे थे।

 


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Content Writer

Isha

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