DEO कार्यालय का क्लर्क 20 हजार रूपए रिश्वत लेता गिरफ्तार, महिला ड्राइंग टीचर की इंक्रीमेंट ठीक करने की एवज में मांगी थी घूस
punjabkesari.in Wednesday, Sep 13, 2023 - 09:09 PM (IST)

कैथल (जयपाल रसूलपुर) : भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो टीम कैथल को एक और बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। टीम ने आज जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में क्लर्क के पद पर तैनात आरोपी रमेश कुमार को महिला अध्यापिका के इंक्रीमेंट को ठीक करने के लिए 20 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
जानकारी देते हुए कैथल एंटी करप्शन ब्यूरो के इंचार्ज इंस्पेक्टर सुबह सिंह ने बताया कि उन्हें मोहनलाल निवासी कैथल की एक शिकायत प्राप्त हुई थी। जिसमें शिकायतकर्ता ने बताया कि उनकी पत्नी सीवन ब्लॉक के मलिकपुर गांव में ड्राइंग की टीचर है। जिसकी पिछले कई साल की इंक्रीमेंट रुकी हुई है और उसका केस डीईईओ कार्यालय के क्लर्क रमेश कुमार के पास पेंडिंग है। जो उसकी पत्नी के केस को ठीक कर उसे सरकारी लाभ दिलवाने के लिए रिश्वत की मांग कर रहा है। जिसकी शिकायत पर उन्होंने योजना बंद तरीके से डीईईओ कार्यलय में रेड की ओर जन स्वास्थ्य विभाग के एक्सईएन गौरव कंसल ब्यौरा ड्यूटी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में आरोपी को कार्यालय के बाहर गाड़ी में 20 हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। आरोपी अभी तक शिकायतकर्ता और अन्य कर्मचारियों से कितने पैसे की रिश्वत ले चुका है इसके बारे में फिलहाल जांच की जा रही है।
वहीं महिला टीचर के पति शिकायतकर्ता मोहनलाल ने बताया कि उसकी पत्नी रजनी सीवन ब्लॉक के मलिकपुर गांव में ड्राइंग टीचर है और 2004 से शिक्षा विभाग में कार्यरत है। जिसका एसीपी के केस में ऑब्जेक्शन लगने के कारण उसका इंक्रीमेंट रुका हुआ था। उसको ठीक करने और उन्हें सरकारी लाभ दिलवाने की एवज में डीईईओ कार्यालय में क्लर्क के पद पर कार्यरत रमेश कुमार ने उनसे 20 हजार रूपए की रिश्वत की डिमांड की थी। उसने बोला था कि बाकी काम होने के बाद दे देना। इसके बाद उन्होंने इसकी शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो कार्यालय में की और विजिलेंस टीम ने आरोपी रमेश को 20 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
मिली जानकारी अनुसार आरोपी क्लर्क से जिले के बहुत से अध्यापक और कर्मचारी परेशान थे। कैमरे के सामने न आने और नाम ने बताने की शर्त पर कर्मचारियों ने बताया कि पकड़े गए आरोपी से पूरा कार्यालय ही नहीं, बल्कि पूरे जिले के टीचर्स परेशान थे। जो बिना किसी वजह से कर्मचारियों की फाइलों में ऑब्जेक्शन लगा देता था और उसको हटवाने के लिए पैसों की डिमांड करता था। अपना काम निकलवाने के लिए ज्यादातर अध्यापक पैसे दे देते थे। इसीलिए आरोपी को रिश्वत की आदत पड़ गई थी। परंतु कोई भी अध्यापक या कर्मचारी खुलकर सामने नहीं आना चाहता था। इसीलिए जो आज जो शिकायतकर्ता ने आरोपी क्लर्क को पकड़वाया है यह करवाई बहुत पहले होनी चाहिए थी।
वहीं अध्यापकों का कहना है कि यदि एंटी करप्शन ब्यूरो टीम इस मामले की जनता से जांच करे तो इसमें और बड़े खुलासे हो सकते हैं। क्योंकि आरोपी क्लर्क की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह बिना अधिकारी की अनुमति के फाइल पर ऑब्जेक्शन लगा दे। इसीलिए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आरोपी द्वारा ली गई रिश्वत विभाग के अन्य अधिकारियों तक भी जाती थी।
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