वैधानिक समय बीतने के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ नहीं की जा सकती विभागीय कार्रवाई : हाईकोर्ट
punjabkesari.in Sunday, Dec 18, 2022 - 10:43 PM (IST)
चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ वैधानिक तय समय के बाद विभागीय कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि एक कर्मचारी के लिए सेवानिवृत्ति के बाद का समय शांति से रहने का होता है। सेवानिवृत्ति के वैधानिक समय चार साल के बाद उसके खिलाफ विभागीय जांच करना उचित नहीं है।
हरियाणा सिविल सेवा नियमों के तहत एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी के खिलाफ हरियाणा सरकार द्वारा शुरू की गई विभागीय कार्रवाई को रद्द करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश पारित किए हैं। कोर्ट ने जो बीत गया सो बीत गया वाक्यांश का प्रयोग करते हुए कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारी द्वारा पूर्व में किए गए कथित कदाचार आरोप को समय के साथ समाप्त होने दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि उम्र के साथ स्मृति फीकी पड़ जाती है। सेवानिवृत्त व्यक्ति के लिए प्रासंगिक रिकार्ड या उनके सहयोगियों तक पहुंच बनाना आसान नहीं होता है। उम्र के एक दहलीज पर पहुंचने के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारी इतना कमजोर हो जाता है कि जांच में प्रभावी रूप से उसे अपना बचाव करना मुश्किल हो जाता है। हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि हरियाणा सिविल सेवा नियम 12.2 (बी) और 12 (5) (ए) के सामंजस्यपूर्ण पढ़ने से केवल एक अनूठा निष्कर्ष निकलता है कि एक कर्मचारी के सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद उस घटना के संबंध में उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई नहीं की जा सकती जो घटना चार साल से अधिक समय पहले हुई हो।
जस्टिस दीपक सिब्बल ने यह आदेश हरियाणा पुलिस के एक सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर राज पाल द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया है। उसने 5 अक्टूबर 2021 के उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी जिसके तहत उसके खिलाफ विभागीय जांच का आदेश दिया था। उस पर आरोप था कि उसने वर्ष 1986-88 के बीच, जब वह करनाल में हरियाणा पुलिस में एक इंस्पेक्टर के रूप में तैनात था, एलएलबी कोर्स राजस्थान से पास किया था। वह एक ही समय में दो स्थानों पर उपस्थित नहीं हो सकता था।
याची के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता 30 जून 2019 को सेवा से सेवानिवृत्त हुए और यहां तक कि एक वर्ष के लिए उनकी सेवा का विस्तार 30 जून 2020 को समाप्त हो गया। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद से उनके खिलाफ एक कथित आरोप के लिए विभागीय कार्रवाई की मांग की गई थी। कदाचार जो 1986-88 के बीच हुआ था, वह याचिकाकर्ता की सेवानिवृत्ति की तारीख से चार साल से अधिक था। याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने यह देखते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ विभागीय कार्रवाई को रद करने का आदेश दिया कि कथित कदाचार चार्जशीट जारी होने की तारीख से चार साल पहले का है। चूंकि उस समय तक वह सेवानिवृत्त हो चुके थे, राज्य की ओर से इस तरह की कार्रवाई नियमों के तहत वर्जित है।
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