पैरालंपिक में धर्मवीर नैन ने जीता गोल्ड मेडल, गुरु अमित सरोहा का सपना किया पूरा
punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2024 - 04:04 PM (IST)
सोनीपत(सन्नी मलिक): पेरिस में आयोजित पैरा ओलंपिक गेम में हरियाणा के खिलाड़ियों का दबदबा देखने को मिल रहा है। सोनीपत के गांव बैयापुर निवासी अंतरराष्ट्रीय क्लब थ्रोअर अमित सरोहा व उनके शिष्य गांव भदाना निवासी धर्मबीर नैन ने शानदार प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक देश की झोली में डाला है। धर्मबीर नैन ने अपने चौथे प्रयास में 34.92 मीटर थ्रो फेक कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
पेरिस ओलंपिक में सोनीपत के रहने वाले धर्मबीर नैन ने गुरु अमित सरोहा से आगे बढ़ते हुए देश को इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक दिलाया है। धर्मबीर नैन को भी बचपन से ही खेलने का शौक रहा है। तीन बहनों का इकलौता भाई होने के कारण परिवार ने घर से बाहर जाकर खेलने की अनुमति नहीं दी। 6 जून 2012 में जब वह एमए प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे, तब दोस्तों के साथ नहर में नहाने के लिए गए थे। नहाने के लिए नहर में छलांग लगाई, लेकिन जलस्तर कम होने से गर्दन सीधा जमीन से जा टकराई। इस हादसे में रीढ़ की हड्डी टूट गई और आधे से ज्यादा शरीर ने काम करना बंद कर दिया था।
इसके बाद भी धर्मवीर ने हिम्मत नहीं हारी। दिल्ली में इलाज कराने के बाद 6 महीने गुरुग्राम में आत्मनिर्भर बनने का प्रशिक्षण लिया। जिस खेल से परिवार दूर रखना चाहते थे, इत्तफाक से खेल का मोह दुर्घटना के बाद भी नहीं छूटा और खुद को ऐसा तैयार किया कि हर कोई उनकी काबिलियत का लोहा मान रहा है। वर्ष 2013 से वह अमित के सानिध्य में रहकर आगे बढ़ते चले गए। वर्ष 2018 एशियन गेम्स में अमित ने स्वर्ण व धर्मबीर ने रजत पदक जीता था। अब धर्मवीर ने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर अपने गुरु अमित का सपना पूरा किया है।
धर्मवीर की मां और पत्नी का कहना है कि ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के लिए धर्मवीर दिन रात मेहनत कर रहा था और अपने गुरु अमित सरोहा से लगातार अभ्यास की ट्रेनिंग ले रहा था। वह अपने बेटे को गोल्ड मेडल लेकर आने की बात कह कर लौटा था और अब अपने बेटे के लिए ही वह गोल्ड मेडल लेकर आ रहे हैं। धर्मवीर की पत्नी का कहना है कि उन्हें खुशी बहुत ज्यादा है और उनके गुरु अमित मेडल नहीं जीत पाए। इसका दुख नहीं है, क्योंकि यह गोल्ड मेडल धर्मवीर का नहीं यह गोल्ड मेडल अमित उनके गुरु को ही समर्पित है। धर्मवीर को खाने में मीठा पसंद है और घर आने पर जोरदार स्वागत किया जाएगा और उन्हें दूध पेड़े खिलाए जाएंगे।
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