एनएसयूआई का संघर्ष रंग लाया, खट्टर-दुष्यंत सरकार ने टेके घुटने: दिव्यांशु बुद्धिराजा
punjabkesari.in Saturday, Jun 13, 2020 - 04:31 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): प्रदेश में कालेजों, आईटीआई व पॉलिटेक्निक के तमाम छात्रों के कोरोना महामारी के चलते परीक्षाओं पर बना संशय उस समय खत्म हुआ जब राज्य सरकार द्वारा एक आदेश जारी कर छात्रहित में एनएसयूआई के संघर्ष के समक्ष घुटने टेकने पड़े।
दरअसल, प्रदेश में छात्रों को बिना परीक्षाओं के ही प्रमोट करने के लिए एनएसयूआई हरियाणा काफी समय से संघर्षरत थी, जिसके लिए ऑनलाइन पेटिशन से लेकर विभिन्न विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियो को ज्ञापन, प्रदेश के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री तथा महामहिम राज्यपाल को निरन्तर ज्ञापन भेजने से लेकर हाईकोर्ट की शरण लेने तक एनएसयूआई ने छात्रों को बिना परीक्षाओं के प्रोमोट करने की मांग को पूरा करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
जानकारी देते हुए एनएसयूआई हरियाणा के अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा ने बताया कि यह प्रदेश के तमाम छात्रों व संगठन के सभी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के मेहनत का ही फल है कि सरकार को मजबूरन छात्रहित में फैसला लेना पड़ा। एनएसयूआई नेता ने बताया कि जहां एक तरफ तमाम छात्र संगठन एनएसयूआई के मांग के खिलाफ सरकार के पि_ू बने बैठे रहे, वहीं एनएसयूआई ने मजबूती से छात्रों की मांग को उठाया।
हालांकि अभी भी फाइनल सत्र के छात्रों को बिना परीक्षाओं के ही प्रोमोट करवाने की लड़ाई को निरन्तर लड़ा जाएगा और जल्द ही छात्रहितों में काम करवाया जाएगा। एनएसयूआई के कठिन प्रयासों के बाद सरकार के आदेशानुसार सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, आईटीआई, पॉलिटेक्निक के तमाम नॉन फाइनल सत्र के छात्रों को बिना परीक्षाओं के ही प्रोमोट करने के आदेश जारी किए गए हैं, जिसमें छात्रों के पिछले सत्र के 50 प्रतिशत तथा इस सत्र के इंटरनल असेसमेंट के 50 प्रतिशत अंकों को जोड़कर रिजल्ट निकाला जाएगा। वहीं जो फाइनल सत्र के छात्र प्रदेश से बाहर है उनको भी सरकार द्वारा राहत देने का काम एनएसयूआई की मांग पर ही किया गया है।
इसके साथ ही दिव्यांशु ने बताया कि फाइनल सत्र के हरियाणा में रहने वाले छात्रों को भी बिना परीक्षाओं के ही 10 प्रतिशत ग्रेस अंकों के साथ डिग्री दी जानी चाहिए क्योंकि प्रदेश में हालात सामान्य नहीं है व विशेषज्ञों के अनुसार अभी हालात सुधरने में समय लगेगा। इसके साथ ही प्रदेश सरकार द्वारा आदेश दिए गए है कि फाइनल सत्र की परीक्षाओं के समय हॉस्टल बन्द रहेंगे, ऐसे में जो छात्र देहात व ग्रामीण इलाकों व अन्य इलाकों से विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों आदि में पढ़ते हैं उनके लिए सरकार ने कोई प्रावधान नहीं किया जबकि प्रदेश में सरकारी व अन्य ट्रांसपोर्ट की खस्ता हालत से हर कोई वाखिफ है। इसके साथ ही परीक्षाओं के समय अलग अलग जिलो व इलाको से छात्र परीक्षाए देने आएंगे तो वही परीक्षा अटेंडेंस लिस्ट पर हस्ताक्षर करने से लेकर अन्य माध्यमो से संक्रमण फैलने का खतरा है।
अगर फाइनल सत्र के एक विद्यार्थी जो हरियाणा के बाहर से आता है उसे बिना लिखित परीक्षा के प्रमोट करना व एक जो फाइनल ईयर का है पर हरियाणा में रहता है उससे लिखित परीक्षा लेने का फैसला यह संविधान के आर्टिकल 14 (समानता के अधिकार ) की भी अवहेलना है, ऐसे में छात्रहित में राज्य सरकार को फाइनल सत्र के सभज छात्रों को तुरन्त नॉन फाइनल सत्र के छात्रों की भांति प्रोमोट करदेना चाहिए।