लंबे कानूनी व सियासी संघर्ष के बाद हरियाणा में वंचित अनुसूचित जातियों को मिला हक: कृष्ण बेदी

punjabkesari.in Wednesday, May 21, 2025 - 03:39 PM (IST)

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) :  हरियाणा के केबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी ने कहा कि आजादी के बाद से लगातार वंचित समाज की अग्रणीय पंक्ति में खड़े दिख रहे समाज को आखिरकार न्याय मिला है। दरअसल समाज की जाति व्यवस्था में कुछ जातियों के शिक्षा, सामाजिक व प्रतिनिधित्व में पीछे छूट जाने पर बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर जी ने हमारे संविधान में उन जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान रखा था ताकि वो भी अन्य जातियों की तरह समाज में बराबरी के पायदान पर आ सकें। परंतु आजादी के बाद से लगातार इस व्यवस्था में कुछ त्रुटियां चलती रहीं जिसके कारण अनुसूचित जातियों में भी कुछ ऐसी वंचित जातियां पीछे रह गई जिन्हें बराबरी के अवसर प्रदान नहीं हुए। समय के साथ विभिन्न राज्यों ने इन वंचित जातियों के बारे में सोचते हुए तरह-तरह के प्रावधान भी किए। कुछ ऐसी ही स्थिति संयुक्त पंजाब के समय भी थी कि अनुसूचित जातियों में भी कुछ जातियां आरक्षण के लाभ समेत तमाम अधिकारों से वंचित रह गई थी। 

1966 में हरियाणा राज्य अलग बनने के बाद पंजाब के शासकों को इस व्यवस्था का एहसास हुआ और उन्होंने 1975 में अनुसूचित जातियों में भी उस वंचित वर्गों उसका अधिकार दे दिया जो आज़ादी के बाद से लगातार उपेक्षा का शिकार रहा। परंतु पंजाब से ही अलग हुए हरियाणा की अनुसूचित जातियों में से उस वंचित वर्ग पर कोई धयान नहीं दिया गया। यह उपेक्षित वंचित वर्ग अपनी इस पीड़ा से लगातार छटपटा रहा था और समय-समय पर आरक्षण में इस वंचित वर्ग के लिए अलग से प्रावधान करने के लिए मांग उठती रही परन्तु उस समय की सरकारों ने उस पर कोई ख़ास कार्यवाही नहीं की, बीतते समय के साथ आरक्षण में यह खाई बढ़ती गई और आंदोलन भी होते रहे परंतु कोई संगठित आवाज़ न होने के कारण किसी भी सरकार ने उस पर कान नहीं रखा

कृष्ण बेदी ने कहा कि समय के साथ संघर्ष में तेजी आती गई और वर्ष 1982 में एक बड़ी ताकत के रूप में हरियाणा के वाल्मीकी युवाओं ने हरियाणा वाल्मीकि युवा सभा का गठन किया, पीडित युवाओं के इस संघर्ष से प्रदेशभर में वंचित अनुसूचित जाती वर्ग के अधीकारों के लिए अलख जगाई और हरियाणा वाल्मीकि युवासभा ने प्रदेशभर में नुक्कड़ बैठकों व संघर्ष के माध्यम से अपने अधीकारों की मांग जोर शोर से रखी।

कृष्ण बेदी ने कहा कि पंजाब से अलग हुए हरियाणा राज्य में भी पंजाब की तर्ज पर वंचित अनुसूचित जाती वर्ग को उसका अधिकार देने का संघर्ष लगातार जोर पकड़ रहा था और वर्ष 1994 में हरियाणा वाल्मीकि महासभा का गठन हुआ जिसमें भाजपा सरकार के मौजूदा कैबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी जी ने महत्वपूर्व भूमिका निभाई, लगातार जारी संघर्ष के चलते वंचित अनुसूचित जाति वर्ग की इस जायज मांग पर 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भजन लाल जी ने मांग को उचित मानते हुए पंजाब की तर्ज पर हरियाणा राज्य में भी वंचित अनुसूचित जाती वर्ग को उनके अधिकार देने की पहल की, परंतु वंचित अनुसूचित जाति वर्ग को मिला ये उनका अधिकार बहुत सी राजनीतिक शक्तियों को खटक रहा था, जिसके कारण पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायलय में एक जनहित याचिका दायर की गई। 

वर्ष 2005 में पंजाब व हरियाणा हाइकोर्ट के नौकरी में आरक्षण में वर्गीकरण के मुद्दे पर आए फैसले का गलत सहारा लेते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंदर हुड्डा और उनकी मित्रमंडली ने इस अधिकार पर चौतरफा हथोड़ा हिलाकर वंचित अनुसूचित जाती वर्ग के युवाओं के सपनों को चूरचूर कर दिया। वंचित अनुसूचित जाती वर्ग से नौकरी में आरक्षण में वगीकरण के अलावा शिक्षा का अधिकार भी हुड्डा सरकार द्वारा हटा दिया गया। पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायलय के इस फैसले का आधा-अधूरा संज्ञान लेते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा ने वंचित अनुसूचित जाती वर्ग के अधिकारों पर तुरंत रोक लगा दी जबकि उसी फैसले पर पंजाब विधानसभा ने रातों-रात विधानसभा का सत्र बुलाकर पंजाब के वंचित अनुसूचित जाती वर्ग कोउनके अधिकारों का लाभ जारी रखने का काम किया।

कृष्ण बेदी ने कहा कि  भूपेंदर  हुड्डा सरकार के इस निर्णय ने वंचित अनुसूचित जाती वर्ग को तोड़कर रख दिया। परंतु समाज का अपने अधीकारों को लेकर संघर्ष हर एक तरह से जारी रहा। जबकि राजनीतिक और धरातल की लड़ाई वंचित अनुसूचित जाती वर्ग के कद्दावर नेता कृष्ण बेदी जैसेयोद्धा लड़ते रहे। अगस्त 2005 में कुरुक्षेत्र के हुड्डा ग्राउंड में कृष्ण बेदी के नेतृत्व में वंचित अनुसूचित जाती वर्ग ने 'ललकार रैली' का आयोजन कर सत्ता को हिलाकर रख दिया,जिसके बाद इसी साल वंचित अनुसूचित जाती वर्ग के खिलाफ हुड्डा सरकार द्वारा किए गए हमले के विरोध में कृष्ण बेदी  के नेतृत्व में चडीगढ़ में विधानसभा का घेराव किया गया। जिसके खिलाफ़ तत्कालीन सरकार ने दमन की नीती अपनाई परंतु वंचित अनुसूचित जाती वर्ग के संघर्ष में कमी नहीं आई। 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की अगुवाई में भाजपा सरकार बनने के बाद हरियाणा प्रदेश में भी पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और वंचित अनुसूचित जाती वर्ग के नेता कृष्ण बेदी ने शाहबाद विधानसभा से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी की सरकार में राज्यमंत्री बने।

सरकार का गठन होने के बाद वंचित अनुसूचित जाती वर्ग के मुद्दे पर कानून के जानकारों से मशवरा किया गया और लगातार इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए इसपर काम जारी रहा, मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण सरकार नौकरी में आरक्षण मेंवगीकरण पर कोई फैसला नहीं ले सकती थी परंतु उस समय के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण बेदी जी के प्रयासों से मनोहर लाल सरकार ने वंचित अनुसूचित जाती वर्ग को शिक्षा में उनका अधिकार देने के फैसले पर मुहर लगा दी जिसके ऊपर अदालत द्वारा कोई रोक नहीं थी। अपितु वो हुड्डा सरकार द्वारा वंचित अनुसूचित जाती वर्ग से उनका अधिकार छीना गया था। सभी पहलुओं पर गौर करके वंचित अनुसूचित जाती वर्ग को शिक्षा में आरक्षण का लाभ देने का मार्ग प्रशस्त हुआ और समाज को उनका अधिकार मिला।

कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में चलती रही जिसका फैसला अगस्त 2024 मेंआया और माननीय सुप्रीम कोर्ट ने माना कि आरक्षण में वगीकरण दिए जाने की जरुरत है, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये बात भी कही कि अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण लागु होने के बावजूद भी एक वर्ग ऐसा है जो अभी भी अधिकारों से वंचित है और इस वंचित अनुसूचित जाती वर्ग को उनका अधिकार मिलना चाहिए। इस फैसले के बाद तमाम तरह की राजनीती हुई और हरियाणा प्रदेश में विधानसभा चुनाव के कारण चुनाव आचार संहिता लागु हो गई जिसके कारण सरकार सुप्रीम कोर्ट के उक्त निर्णय पर कोई आदेश जारी नहीं कर सकी परंतु भारतीय जनता पाटी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नायब सिंह सैनी ने ये बात स्पष्ट कही कि सरकार बनने के साथ ही आरक्षण मेंवगीकरण का फैसला पहली कलम से जारी होगा। इस पूरे संघर्ष में वंचित अनुसूचित जाती वर्ग के सर्वमान्य नेता कृष्ण बेदी जी ने भी डीएससी वर्ग को ये विश्वास दिलाया कि उनको उनका अधिकार कैबिनेट की पहली बैठक मेंही दे दिया जायेगा। 

डीएससी वर्ग समेत पूरे हरियाणा के मतदाता ने भाजपा पर विश्वास जताया और 8 अक्तूबर 2024 को प्रदेश में तीसरी बार भाजपा सरकारबना दी। अपने कहे अनुसार उसपर वचनबद्ध रहते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जी ने 18 अक्तूबर कोआरक्षण में वर्गीकरण का फैसला हरियाणा प्रदेश में लागू कर दिया जिसके तहत अभी ग्रुप डी की 1209 पदों में से 605 डीएससी वर्ग के  आरक्षित किए गए। 1966 में हरियाणा राज्य बनने से लेकर लगातार चल रहे संघर्ष का फल डीएससी समाज को मिला। इस लंबे संघर्ष में डीएससी समाज के बहुत से योद्धा इस संसार को अलविदा कह गए परंतु उनकी आत्मा को इस बात की शांति अवश्य मिली होगी कि उनकी लड़ाई का नतीजा सफल हुआ। इस संघर्ष में स्वगीय के.एल. सरबटा जी, चंद्रभान लोट जी, राजकुमार सारसर जी, गोवर्धन दास चौहान जी, गुलजार केंथली जी, सुमेर चंद कोचलया जी, सागर चंद मंडल जी, चबिन दास टांक जी, बनारसी दास जी, एमएल सारवान जी, संतोर् सारवान जी, राजकुमार वाल्मीकि जी, मंगता राम वाल्मीकि जी, अमर सिंह धानक जी प्रमुख रूप से रहे। इस संघर्ष के दौरान मौजूदा कैबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी समेत अनेकों महानुभाव समाज का मजबूत स्तंभ बनकर खड़ेरहे। इस लंबे संघर्ष ने जहां डीएससी समाज को उनका अधिकार दिलाया वही लोकतंत्र की भी जीत हुई और वंचित अनुसूचित जाती वर्ग के खिलाफ काम करने वाले कांग्रेस व भूपेंदर हुडा को मुंह की खानी पड़ी।

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Content Editor

Deepak Kumar

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