दूसरे राज्यों से फार्मेसी करना बना प्रतिभागियों के लिए मुसीबत का कारण: धनेश अदलखा

punjabkesari.in Friday, Apr 22, 2022 - 04:25 PM (IST)

चण्डीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी):  दूसरे राज्यों से 'बी' और 'डी' फार्मा कर चुके नौजवानों के सामने हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवाना एक भारी मुसीबत का सबब बना हुआ है। बिना रजिस्ट्रेशन यह लोग संबंधित नियुक्तियों में आवेदन नहीं कर पा रहे है। दरअसल वर्ष 2019 में "हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल" के चेयरमैन पद पर धनेश अदलखा ने कार्यभार संभाला और दूसरे राज्यों से 'डी' फार्मा 'बी' फार्मा करके आए नौजवानों का बिना वेरीफिकेशन रजिस्ट्रेशन किए जाने पर पूर्णतय रोक लगा दी गई। इस संबंध में बहुत से लोग जहां देश के प्रधानमंत्री तक अपनी शिकायतें भेज चुके हैं, वहीं बहुत ने माननीय उच्च न्यायालय की भी शरण ली है।

आवेदकों का कहना है कि ऐसा कोई नियम नहीं कि दूसरे राज्यों सेे कोर्स करने वालों का यहांं रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता और दूसरी तरफ काउंसिल के चेयरमैन धनेश अदलखा का कहना है कि "हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल'' "फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया" के एक्ट में बंधी हुई है। कोई भी किसी भी प्रकार का सर्टिफिकेट नकली निकलने पर उसेे रद्द करने का अधिकार हम रखते हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज स्वयं इस बारे बेहद गंभीर हैं और सकारात्मक सोच रखते हैं कि किसी भी सही बच्चेे को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। 4-5 बार व्यक्तिगत तौर पर मुझे बुलाकर सख्त दिशा निर्देश दिए हैं। अदलखा ने बताया कि अलग-अलग कॉलेजों से हरियाणा की हमारे पास 10472 सीटे हैं। लेकिन बाहर से पढ़ाई करने वाले बच्चों की वेरिफिकेशन मे कुछ अधिक समय लगता है। कुछ बच्चों ने तो 12वीं और फार्मेसी भी अलग-अलग प्रदेशों से कर रखी है। बहुत से ऐसे बच्चे स्वास्थ्य मंत्री के सामने भी पेश हुए। जिन्होंने एनएचएम के एमडी आईएएस डॉ प्रभजोत  के नेतृत्व में एक जांच कमेटी भी गठित की है। जिसमें काउंसिल के दोषी लोगों में चाहे मैं भी हूं वह सजा भुगतेगा।

इस विषय पर काउंसिल के चेयरमैन धनेश अदलखा से बड़े विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने गंभीर विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश की "मध्य भारत ग्वालियर" के नाम जारी हुई मार्कशीट को सीबीआई ने जांच में गलत पाया था। उस जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्य सचिव द्वारा "मध्य भारत ग्वालियर" से 12वीं पास करने वाले सभी शिक्षा को अमान्य मानने के निर्देश दिए थे। जिस पर हमने इन सभी को नोटिस जारी किए। लेकिन यह लोग हाईकोर्ट चले गए। इसी दौरान एक छत्तीसगढ़ का केस हमारे संज्ञान में आया और हमने जांच के लिए छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री, प्रिंसिपल सेक्रेटरी और शिक्षा मंडल को इस बोर्ड के बारे में पूछा। जहां से पत्र आया कि इस बोर्ड को मान्यता प्राप्त नहीं है। लेकिन हमने फिर पत्र लिखा कि बोर्ड का कहना है कि हमें टेंपरेरी समानता मिली हुई है। इस बारे लिखे पत्र के जवाब में जवाब आया कि टेंपरेरी समानता हमारे चेयरमैन ने दी थी जिसके लिए वह अक्षम थे।

अदलखा ने बताया कि इसी प्रकार छत्तीसगढ़ बोर्ड वाले हाई कोर्ट में गए। हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए जो कि जांच में पाया गया कि चेयरमैन द्वारा जो यह अधिकार दिए थे, वह उसके लिए सक्षम नहीं था। हमारे यह रद्द करने के बाद छत्तीसगढ़ बोर्ड छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की शरण में गया। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने मामले की जांच करके स्पीकिंग ऑर्डर पास किए कि इस बोर्ड से 12वीं करने वाले बच्चों को "छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल" के प्राइवेट स्टूडेंट के तौर पर पेपर देने की अनुमति दी जाती है और छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ही अंकसूची (मार्कशीट) जारी करेगा। परीक्षा देने वालों की मार्कशीट जारी हुई। बाकियों को अमान्य माना गया। इसके बाद यह बच्चे अंजू चौहान वर्सेस स्टेट छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के खिलाफ हाई कोर्ट गए। हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ शिक्षा मंडल के फैसले को सही माना और कहा कि मंडल इन बच्चों पर सहानुभूति निर्णय लेना चाहे तो ले सकता है। लेकिन मं छत्तीसगढ़ शिक्षा मंडल द्वारा अपने द्वारा लिए गए निर्णय को अंतिम बताया। उसके बाद हमने इन बच्चों को नोटिस देने शुरू किए।जिसकी जांच पंचकूला सेक्टर 14 पुलिस कर रही है। अधलखा ने बताया कि इसी प्रकार से "बिहार स्टेट ऑफ काउंसिल" ने एक मामले में उनके द्वारा सर्टिफिकेट जारी नहीं करने की बात हमें लिख कर भेजी है।

इस पूरे प्रकरण बारे अदलखा ने जानकारी देते हुए बताया कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड मध्य भारत ग्वालियर के 160 बच्चे, जिनके बारे मुख्य सचिव हरियाणा द्वारा चिट्ठी सीबीआई की जांच के अनुसार रद्द करने बारे जारी की थी। छत्तीसगढ़ से संबंधित 126-127 बच्चों को ज्वाइन करने से पहले नोटिस जारी किए। मैंने यह मामला एक्सक्यूटिव कमेटी के सामने रखा। जिसकी जांच सेक्टर 14, पंचकूला पुलिस कर रही है और माननीय उच्च न्यायालय में 6 मई को इस पर बहस भी होनी है। अदलखा ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे पास हरियाणा फार्मेसी काउंसिल में 35 से 38000 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के दिशानिर्देशों पर मेरे लगातार प्रयास है कि सभी की वेरिफिकेशन समय पर मंगवाई जाए। जिसके लिए मैं स्वयं यूनिवर्सिटी में इसके लिए बोलता हूं। लेकिन कुछ यूनिवर्सिटी लिस्ट भेजने में देरी कर रही हैं। ऐसा लगता है कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा संबंधित यूनिवर्सिटीयों को अलाट की गई सीटों से अधिक बच्चों के एडमिशन किए गए हो। जिस प्रकार से "मानव भारती यूनिवर्सिटी", हिमाचल प्रदेश में बहुत बड़ा स्कैंडल सामने आया था। वेरीफिकेशन आने के 7 से 10 दिन में सर्टिफिकेट जारी कर दूंगा।

 

 


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Content Writer

Isha

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