मौत की मांझा: तीज के त्यौहार पर चाइनीज मांझे की चपेट में आने से एक दिन में बच्चे समेत पांच घायल
punjabkesari.in Thursday, Aug 08, 2024 - 02:14 PM (IST)
कैथल (जयपाल रसूलपुर) : जिलेभर में बुधवार को तीज पर्व मनाया गया जो कई लोगों की जान पर भारी पड़ा। हर साल की तरह इस बार भी शहर में हुई पतंगबाजी के बीच करीब आधा दर्जन लोग चाइनीज माझा की चपेट में आए। कई लोगों के गले, हाथ, नाक और कान कट गये हैं। चाइनीज माझा पर कोई प्रतिबंध न होने के चलते लोगों को हादसों का शिकार होना पड़ा। इसमें सीवन गेट निवासी 10 साल के बच्चे को अधिक चोट लगी।
बुधवार पतंगबाजी में प्रयोग किए चाइनीज माझे के कारण 10 वर्षीय सीवन गेट निवासी जीवन, फ्रांसवाला निवासी दिव्यम, गढ़ी निवासी दिनेश और संगतपुरा निवासी संजय सहित अन्य दो युवक चाइनीज मांझे की चपेट में आ गए। इसके अलावा में शहर में साइकिल चलाने वाले बच्चे और बाइक सवार वाहन चालक चपेट में आए। तीज पर्व से पहले जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जबकि बुधवार को हुए हादसों के तुरंत बाद प्रशासन जागा। इसके बाद एडीसी सी जया श्रद्धा ने चाइनीज मांझे पर रोक लगाने के तुरंत ही आदेश किए जारी। इसके बाद जिला प्रशासन के आदेशों पर हादसों की संभावना वाले विभिन्न चौक चौराहों पर पुलिस ने दो पहिया वाहन चालकों के लिए रास्ते बंद कर दिए। इस दौरान स्वयं यातायात थाना प्रभारी रमेश कुमार ने विभिन्न जगहों पर अपनी टीम को लगाया और बाइक चालकों को रास्ता बदलवाया। बता दें कि पिछले तीन साल से तीज पर्व पर हर वर्ष शहर में कई लोग चाइनीज मांझे की चपेट में आते हैं।
पहला केस
गढ़ी निवासी 24 वर्षीय दिनेश अपनी बाइक पर सवार होकर किसी काम के लिए कैथल से अपने घर जा रहा था। जब वह ड्रेन के पास पहुंचा तो सड़क की दूसरी तरफ खड़े कुछ बच्चे पतंगों को लूट रहे थे। तभी एक चाइनीज मांझा उसके मुंह को चीरती हुई काफी अंदर तक चली गई। जिस कारण वह गंभीर रूप से घायल हो गया और उसके मुंह से बहुत ज्यादा खून बहने लगा। तभी आसपास खड़े कुछ लोगों ने उसको संभाला और उसके मुंह से चाइनीज मांझा को निकाला। इसके बाद उसके पिता जो गाड़ी में उसके आगे चल रहा था उसने उसे फौरन शहर के एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया। जहां उसके चेहरे पर 72 टांके आए हैं।
दूसरा केस
शहर निवासी शिवम भी अपनी बाइक पर फ्लावर से होकर अपने घर जा रहा था। अचानक रस्ते में आसमान से एक चाइनीज मांझा उसकी गर्दन पर आ लगी। जब उसने अपनी गर्दन का बचाव करने के लिए अपना हाथ आगे किया, तो मांझा ने उसके एक हाथ की उंगली को ही काट दिया। इस दौरान उसकी बाइक का बैलेंस भी डगमगाया और वह दूसरे वाहनों की चपेट में आने से बच गया। हादसे के बाद वह काफी देर तक वहां खड़ा रहा और आने-जाने वाले राहगीरों को भी इसके बारे में सूचित करता रहा।
तीसरा केस:
सीवन गेट निवासी 10 वर्षीय जीवन अपनी साइकिल पर जा रहा था, तभी आसमान से एक चाइनीज मांझा उसके हाथ पर आ गिरी। जिससे उसके हाथ की एक उंगली को काट दिया। घायल बच्चा खून से लथपथ वही सड़क पर रोने लगा। वहां खड़े कुछ लोगों ने बच्चे को देखा और उसके परिजनों को सूचित किया। इसके बाद बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाकर उसका इलाज करवाया। हादसे के बाद आसपास खड़े लोगों ने सड़क पर लटक रही चाइनीज मांझा को हटाया।
चौथा केस
इसी तरह गांव फ्रांस वाला निवासी 23 वर्षीय दिव्यम भी किसी काम से शहर आया था। जब वह पुराना बस स्टैंड से पेहवा चौक की तरफ जा रहा था, तभी एक चाइनीस चाइनीज मांझा उसकी गर्दन में आ उलझी। जिसे बचने के लिए उसने अपना हाथ आगे किया तो मांझा ने उसके हाथ की उंगली को भी काट दिया। जिसे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। आसपास खड़े लोग उसको पास ही के एक निजी अस्पताल में लेकर गए, जहां पर डॉक्टर ने उसका इलाज किया।
पांचवा केस
बाइक पर किसी काम से शहर आए संगतपुरा निवासी 24 वर्षीय संजय भी कैथल के माता गेट के पास चाईनीज मांझे की चपेट में आया गया। जिससे उसका गला कटने से बच गया परंतु मांझे की डोर ने उसकी गर्दन पर काफी घाव कर दिया। जिसे वह पूरी तरह से घायल हो गया। बताया जा रहा है कि जब वह माता गेट के पास पहुंचा तभी उसकी गर्दन पर चाइनीज मांझा की डोर आ लगी। गनीमत रही कि वह बाइक पर कम रेस में था, इसलिए उसने जल्दी से अपनी बाइक को रोक लिया और डोर को निकाला जिससे एक बड़ा हादसा होने से बच गया।
पहले भी हो चुके हादसे, नहीं लिया सबक...
हर साल बसंत पंचवीं और तीज के त्यौहार पर चाइनीज मांझे की चपेट में आने से दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। इसके बावजूद भी जिला प्रशासन और पुलिस मौत का सामान बेचने वालों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती, बल्कि जब हादसे बढने लगते है तो तब जाकर कुछ समय के लिए इसपर बैन लगाया जाता है, लेकिन तब तक काफी लोग इसकी चपेट में आकर घायल हो जाते हैं। वहीं पिछले साल भी तीज के दिन तीन लोगों की गर्दन में मांझा फंसने से घायल हो गए थे। जो आज भी चाइनीज मांझा द्वारा दिए जख्मों को नहीं भूल पाए।
शहर की एक संस्था ने चाइनीज मांझा को बैन करने के लिए लिखा था खून से पत्र:
शहर की एक संस्था जीवन रक्षक दल ने 29 जुलाई को शहर में चाइनीज मांझा बैन करवाने के लिए खून से डी.सी को पत्र लिखा था। जिसको डीसी ने सभी सदस्यों के सामने खून से लिखे उस पत्र को फेंक दिया था, और दोबारा से पेन के साथ पत्र लिख कर लाने बारे बोला था।जीवन रक्षक दल के सदस्यों ने डीसी के सामने यह मांग रखी थी कि चाइनीज मांझा से शहर में हर साल दर्जन लोग घायल होते हैं, इसलिए इसको बैन किया जाए। उसके बावजूद भी प्रशासन द्वारा इस पर बैन नहीं लगाया गया। वहीं बुधवार को जब शहर से पांच युवक घायल होने की खबर आई तो प्रशासन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए चाइनीज मांझा को बैन करने की मात्र खानापूर्ति की गई। जबकि शाम तक किसी भी पतंग विक्रेता पर कोई कार्रवाई नहीं की गई गई।
ज्यादा डिमांड में है चाइनीज मांझा
इतने हादसे होने के बाद भी सांस छीन लेने वाला मांझा शहर में चोरी-छिपे नही बल्कि सरेआम बिक रहा है। पतंग के खेल में देशी मांझे को पटखनी देने वाला मांझा बाजार में आसानी से मिल जाता है, बच्चे भी सबसे ज्यादा इसको चाहते हैं, क्योंकि वो बिल्कुल नहीं चाहते किसी कीमत पर उनकी पतंग को लूटा जा सके। यह माझां सूती धागे वाले मांझे से अधिक मज़बूत होता है। इस लिए इसकी डिमांड ज्यादा रहती है। एक दुकानदार ने बताया कि चाइनीज मांझे की डिमांड अधिक है उस पर बचत भी अधिक होती है या 200 से 1000 रुपए तक आसानी से बिक जाता है मांझे के लिए कस्टमर ₹300 के बजाय 800 से 1000 रुपए तक देने को तैयार हो जाते हैं।
कैसे खतरनाक है चाइनीज मांझा ?
चाइनीज मांझा में 5 तरह के केमिकल और कई धातुओं का प्रयोग होता है। इसमें अल्युमिनियम ऑक्साइड और लेड का भी इस्तेमाल किया जाता है। यह सभी चीजें मिक्स होकर तेज धार वाला ऐसा चाइनीज माझा बनाती हैं। जिसे कोई नहीं काट सकता, साथ ही इसकी बिक्री अधिक है।